दोस्तो घर में मेरे इलावा मम्मी-पापा, और एक बड़ी बहन भी थी।
पापा को, अपने काम से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती थी.. इस कारण, हम दोनों भाई बहन मम्मी के साथ ही घूमते फिरते थे..
वैसे, मेरी बड़ी बहन अधिकतर घर से बाहर ही रहा करती थी।
मौका मिलते ही, वह कभी नाना-नानी, कभी दादा-दादी या कभी और किसी करीबी रिश्तेदार के पास, रहने चली जाती थी।
उसकी पढ़ाई भी इस कारण अच्छी नहीं रह पाई।
हमारी मम्मी जो की खुद अच्छी पढ़ी लिखी महिला थीं, काफ़ी मॉडर्न विचारों वाली थीं।
वह कभी भी दकियानूसी विचारों को नहीं पालती थीं.. उन्होंने, कभी भी हम भाई बहन में अंतर नहीं रखा..
इस कारण, हम लोग आपस में काफ़ी खुले हुए थे।
यहाँ तक की कभी भी किसी भी बात पर, अपने विचार व्यक्त कर सकते थे।
एक तरह से, हम में किसी प्रकार का कोई परदा नहीं था।
मम्मी और मेरी बहन जो की मुझसे करीब एक साल बड़ी थी ने कभी मुझसे शरम या परदा नहीं किया..
वह दोनों घर में, मेरे सामने ही अपने ऊपरी कपड़े बदल लेती थीं.. जैसे तोलिये की आड़ में, या पीठ कर के..
जिस कारण, मैं बड़ी सफाई से निगाहें चुरा कर उन दोनों के मांसल बदन का भरपूर रसस्वादन करता था…
इसका एक कारण, यह हो सकता है की मैं बचपन से ही काफ़ी सीधा साधा, भोला भंडारी सा दिखता था.. लेकिन, कोई नहीं जानता था की मैं जितना ज़मीन के ऊपर हूँ, उससे कहीं ज़्यादा ज़मीन के नीचे हूँ..
तो अब, मैं सीधे सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ… …
मेरी मम्मी जो की काफ़ी बिंदास स्वाभाव की थीं की उम्र 37-38 होगी.. क्यूंकि, मम्मी की शादी 17-18 साल की उम्र में ही हो गई थी और 19-20 साल में मेरी बड़ी बहन जन्मी थी..
अपने कॉलेज की पढ़ाई, मेरी मम्मी ने हम दोनों बच्चों के जन्म के बाद की थी।
उनका बदन, अब तक गठीला था.. लंबाई, लगभग 5.5 फीट और बदन पूरा मांसल… (यानी केवल वहीं पर, जहाँ ज़रूरी होता है।) कहीं कोई, ज़्यादा चर्बी नहीं थी.. इस कारण, वह अब भी 30-32 से ज़्यादा की नहीं लगती थीं..
ऐसी ही मेरी बहन भी थी.. जोकि, उस समय कोई 18-19 साल की थी..
उसका रूप सौंदर्य भी देखते ही बनता था.. ग़ज़ब का नशीला जिस्म था, उसका..
मेरे दोस्त भी उसे चोरी छुपे देखा करते थे और मेरे पीठ पीछे उसके बारे में गंदी और अश्लील बातें करते थे.. जिन्हें, मैं थोड़ा बहुत सुन कर खुश होता था की चलो, मेरे घर में मुझे क्या मस्त चीज़ें देखने को मिलती हैं.. जिसके लिए, ये सभी बिचारे तरसते हैं..
खैर, तो उन दिनों मेरी बहन कुछ ज़्यादा ही मोटी लगने लगी थी।
असल में, वो कुछ दिनों पहले ही दादा-दादी के यहाँ से आई थी और वहां लाड प्यार में खूब खाया पिया था।
यहाँ आने के बाद, मम्मी ने उसे कहा की रोज़ाना एक्सर्साइज़ करा कर… नहीं तो, फुलती ही चली जाएगी…
उसने भी डर कर, हामी भर दी।
इसके बाद, वह रोज़ाना हमारे रूम में सुबह और शाम के समय कसरत करती।
हम दोनों बचपन से, एक ही रूम में रहते और सोते थे.. जिसमें, एक डबल बेड रखा था..
अब वह रोज़ाना सुबह 6 बजे का अलार्म लगाकर उठती थी और फ्रेश होकर, केवल स्पोर्ट्स ब्रा और नेकर पहन कर एक्सर्साइज़ करती.. मैं धीरे से आधी आँख खोल कर, उसका भूगोल देखता रहता था..
कभी कभी, मम्मी भी वहां कई बार कोई एक्सरसाइज सीखने के लिए हम दोनों के सामने ही, अपनी साड़ी खोल कर केवल ब्लाउज पेटीकोट में एक्सर्साइज़ सिखातीं।
तब तो, मेरा दिमाग़ ही खराब हो जाता और मैं अपना तना हुआ लौड़ा दबाया करता।
ऐसा कई महीनों तक चलता रहा और मैं बुद्धू बन कर मज़े मारता रहा।
इस बीच, हम लोग पापा के पीछे पड़ गये की हम सभी को कहीं घूमने ले जाएँ… तो वो बोले की मैं समय निकालने की कोशिश करता हूँ…
लेकिन, समय यूँही बीतता गया और मेरी बहन ने चाचा चाची के साथ, बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया और वो उन लोगो के साथ 15-20 दिनों के लिए, घूमने चली गई।
इससे हम (मम्मी और मैं) पापा से नाराज़ हो गये तो कुछ ही दिन बाद, पापा ने कहा की उनके एक दोस्त का गोआ शहर के बाहर एक गेस्ट हाउस है और अभी वो खाली है… इसलिए, हम लोग वहां चले जाएँ और मज़े करें… बाद में, वो भी समय निकाल कर वहां आ जाएँगें…
लेकिन, हम उनके बिना वहां जाना नहीं चाहते थे.. पर, उनके समझाने पर मैं और मम्मी गोआ चले गये और मेरी बहन का पापा के साथ, वहां आना तय हुआ..
और तय प्लान के अनुसार, मैं और मम्मी ठीक समय गोआ पहुँच गये।
उस समय वहां ऑफ सीज़न चल रहा था और बारिश की वजह से टूरिस्ट्स भी नाम के ही थे.. लेकिन, वहां जाते ही रास्ते में वहां के सेक्सी नज़ारे देख कर, मुझे लगा की यहाँ आकर कोई ग़लती नहीं की है..
हमें लेने के लिए, गेस्ट हाउस से एक आदमी आया था और उसने बताया की यहाँ अंदर ही ज़रूरत की सभी चीज़ें हैं और यदि कुछ चाहिए तो उसकी दुकान कम हाउस पास ही है.. अपना फोन नंबर देकर, वो बोला की बस हम उसे फोन कर दें और वो आकर समान या जो भी हमें चाहिए हो दे जाया करेगा.. रोज़ सुबह शाम, सफाई वाली आएगी और आपके बाकी सभी काम भी कर देगी..
मम्मी इस बात से खुश थीं की गेस्ट हाउस में रुकने से हमें होटल का भारी रूम चार्ज नहीं लगेगा और यहाँ हम, कम पैसों में कई दिन मज़े कर सकते हैं।
खैर, गेस्ट हाउस में आकर पता चला की यहाँ पर घूमने के लिए एक गाड़ी भी खड़ी है.. किचन और फ्रिज, पूरा खाने की चीज़ों से भरा हुआ है..
सड़क से अंदर, गेस्ट हाउस एक बड़े कॉंपाउंड में फैला हुआ था.. जिसके, चारों और बड़ी-बड़ी कटेदार दीवारें थीं.. पीछे की तरफ, उफनता हुआ समुंदर था और यह पूरा इलाक़ा सुनसान में था.. जहा, चारों तरफ केवल समुंदर और बड़े-बड़े पत्थर रखे थे..
अंदर अलमारी में शानदार कपड़े थे.. जिनमें, स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स ऐसे थे की जिनको हाथ में लेने में ही, शरम महसूस हो..
खैर, एक बात थी की यहाँ कोई भी अपना परिचित नहीं था.. इस कारण, शरम और संकोच का, यहाँ कोई काम नहीं था..