मई दीदी का गुलाम बन गया

हेलो दोस्तों में अमित आज मेरे जिन्देगी में घटित एक सच्ची कहानी जो अपनी दूर की दीदी नेहा के साथ  मेरे सेक्स एंकाउन्टर की एक सेक्सी  कहानी. इये  कहानी इसलिए मजेदार क्यूंकि इस कहानी में केवल लंड चूसने की बात हैं और हमें सेक्स करने का मौका नहीं मिला था इसलिए दीदी ने केवल मेरे लंड को चूस दिया था. मेरे दीदी का नाम नेहा है .दरअसल मैं और मेरी दीदी जो मुझ से 4 साल बड़ी हैं; यानी की 25 साल की हैं; उसके साथ 9 महीने से सेक्स सबंध हैं. दीदी को रात को मैं उसके कमरे में जा के चोदता भी हूँ और अपना लंड उसकी गांड में भी दे के आता हूँ. लेकिन पिछले महीने हम मामा के वहाँ गए थे, मामा के बेटे संतोष की शादी थी इसलिए दो हफ्ते के लिए मम्मी और हम दोनों भाई बहन यहाँ आये थे. मामा की डेथ दो साल पहले हुई थी इसलिए मामी को कंपनी और काम में हाथ बंटाने के लिए हम लोग लम्बे समय के लिए यहाँ आये थे. डैड अपने दुकान के वजह से लेट आने वाले थे.

पहले कुछ दिन तो अच्छे बीते और मैं और  दीदी स्टोर रूम में जा के लंड चूस और चूत मारी कर आते थे. दीदी ने घर से निकलने के पहले ही एक दर्जन कंडोम मंगवा लिए थे इसके लिए ख़ास. लेकिन जैसे जैसे महमान आते गए हमारी मुश्किलें बढती गयी; क्यूंकि अब स्टोर रुम में चुदाई करना खतरे से खाली नहीं था. दीदी और मुझे दोनो को ही चोदना था लेकिन सेट नहीं हो पा रहा था. दीदी तो दो दिन से मुझे इशारे कर रही थी के चलो चोदते हैं. पर साला बहुत कुछ देखना पड़ता हैं; और ऊपर से हम दोनों ठहरे दूर की भाई बहन. मैं जुगाड़ में था की कोई जगह मिले जहाँ में दीदी की चूत लूँ. आखिर थक के मैंने एक जगह की आइडिया लगाई. घर के नज़दीक ही एक खाली जागा है जो अँधेरे में सुनसान सा हो जाता है और सिर्फ कुछ बदमाश लोग वहां घूमते रहते हैं. उधर एक खाली पड़ा मकान था .

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वो मकान में मजदुर दिनभर लगे रहते थे काम में और दोपहर के बाद लोग ज्यादा उधर नहीं रहेता है. मैंने नेहा दीदी को कहा की इस ब्रेक में चोदने का मौका मिल सकता हैं. दीद बोली, ठीक हैं वही चोदना तू मुझे. मैंने दुसरे दिन 1 बजे से ही खोज रखनी चालू कर दी थी. जैसे 2:00 पे मजदुर और बाकि लोग खाने के लिए उस मकान से बाहर आये मैंने कुसुम दीदी को मिस कॉल दी. वो चुपके से मकान के अंदर पीछे के रास्ते से घुसी. मैंने इधर उधर देखा और मैं आगे से अंदर चला गया.

चोद नहीं सकते केवल चूस सकते हैं यहाँ इतना कहते ही दीदी ने अपने मुहं को खोला और लंड को मुहं में भर लिया. उसने जैसे प्यारा चूस दिया; मेरे तनबदन में जैसे की करंट दौड़ गया. मी दीदी के माथे को पकड़ लिया. दीदी ने अपने दोनों हाथ अब मेरी गांड के उपर रख दिए और वो जोर जोर से अपने मुहं को मेरे लंड के उपर चलाने लगी. वो इतना मस्त चूस रही थी जिसका कोई मुकाबला ही नहीं हो सकता था. मैंने दीदी के चुंचे पकडे और उन्हें दबाने लगा. दीदी अब अपनी जबान को लंड के सुपाड़े के उपर चला रही थी. मुझे जो मजा आ रहा था उसका बयान मैं कोई शब्दों में तो नहीं कर सकता. दीदी के मुहं में लंड को एक अलग ही मजा आ रहा था. वैसे दीदी पहली बार मेरा लंड नहीं चूस रही थी; लेकिन शायद बहुत दिन के बाद यह अवसर हाथ आया था इसलिए मुझे कुछ एक्स्ट्रा मजा आ रहा था.

लेकिन अब नेहा दीदी की  हाथ की गरमी से मेरा 8 इंच का लंड पूरा का पूरा तन चुका था और मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था. फिर में सीधा सो गया, लेकिन अभी भी वो मेरे लंड को पकड़े हुई थी. फिर मैंने हिम्मत करके अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़कर हिलाने लगा. दोस्तों अब मेरी बहन मेरा लंड हिला रही थी और फिर कुछ देर बाद में उसके हाथ पर झड़ गया और मेरा वीर्य बहुत सारा उसके हाथ में आ गया.

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फिर मैंने उसका हाथ अपनी अंडरवियर से साफ किया और मेरे  हाथ को उसके चूत पर रख दिया.  मेरे कंधे पर हाथ रखकर वो मेरे कंधे को दबा रही है, जैसे कोई किसी चीज़ को मस्ती में मसलता है वैसे ही वो मेरे कंधे को मसल रही थी. अब में समझ गया कि काल  रात वाली बात उसको पता चल चुकी है और वो उससे बहुत खुश है. दोस्तों अब मेरी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था. मैंने सोचा कि आज मुझे इसके कुछ आगे बढ़ना होगा.

तभी दीदी ने लंड को मुहं से बहार निकाला और वो इधर उधर देखने लगी, उसे लगा की कोई आ गया हैं. मैंने उसके मुहं को अपने लंड के उपर खींचते हुए कहा, दीदी चुसो मेरा लंड आराम से कोई नहीं देख रहा हैं. दीदी वापस लंड को सुख देने लग गई. अब की बार उसकी गति बढ़ गई. वो अब अपने हाथ से लंड के निचे के गोटो को मसल भी रही थी. मुझ से यह अतिशय सुख बिलकुल भी बर्दास्त नहीं हो रहा था. दो मिनिट के बाद मेरे लंड के अंदर से मलाई निकलने लगी. दीदी जैसे की चोकोलेट शेक पी रही हो वैसे लंड के मुठ को गले में उतार गई. मैंने घुटनों से पेंट उठा के पहन ली. दीदी और मेरे चूस सेक्स का अंत हुआ और हम बारी बारी उस मकान से निकल गए; जैसे की हम अंदर आये थे. उसके बाद भी हम लोग दो बार उस मकान में गए थे और एक बार तो मैंने हिम्मत कर के दीदी को चोद भी दिया था वही पें. अब हम घर जाने की राह देख रहे थे बस, ताकि एक दुसरे की बाहों में रात भर सुस्ती की नींद ले सके .

धन्यवाद ……………

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