मारवाड़ी की ख़ूबसूरत बेटी का चुत में मेरा लुंड

मैं और शाँतिलाल बचपन से ही एक दूसरे के साथ हैं और हम एक दूसरे के साथ अपनी सीक्रेट्स भी शेर करते हैं. मेरे फादर गवर्नमेंट सर्वेंट है और हम अप्पर मीडियम क्लास के फॅमिली वाले लोग हैं. ऊपेर वाले ने मुझे पैसे की धन दौलत तो नही दी पर जिस्मानी धन दौलत बुहोट दी है. मेरी हाइट 5’ 8” है गोरा रंग, एक्सर्साइज़्ड मस्क्युलर बॉडी, ब्रॉड शोल्डर्स और मेरे सारे जिस्म पर बाल है और चेस्ट पे भी बोहोत बाल है. और लंड का तो क्या पूछना एक दम से मस्त फुल्ली एरेक्ट लंड 8” लंबा मूसल जैसा मोटा और लोहे जैसा सख़्त एक दम से शानदार जिसका सूपड़ा एक दम से चिकना और उसपे बड़ा सा सुराख किसी लड़की के हाथ लग जाए तो मेरे लंड को सीधे पकड़ के अपनी चूत मैं डाल ले. और वही शाँतिलाल आक्ची सूरत का हॅंडसम लड़का है पर दुबला पतला कमज़ोर टाइप का है जिसके अंदर सेल्फ़ कॉन्फिडेन्स भी नही है और मोस्ट्ली वो मेरे डिसिशन पर ही निर्भर रहता है.

हम हमेशा स्कूल को साथ ही जाते और जब कभी पिशाब करने का टाइम आता तो भी हम एक दूसरे के करीब ही ठहर के पिशाब करते और एक दूसरे की नुनु देखते और देखते के किसके पिशाब की धार कितनी दूर तक जाती है जिस्मै हमेशा मेरी पिशाब की धार ही भोत दूर तक जाती थी. . मेरी नुन्नि शाँतिलाल की नुन्नि से बोहोत ही बड़ी थी और वो हमेशा मुझ से बोलता था के अबे राजू ( यहा यह बता दू के सब लोग मुझे राजा, राज्ज या राजू कह कर बुलाते थे ) तेरी नुन्नि इतनी बड़ी कैसे है और मेरी इतनी छोटी कैसे तो मैं कहता मुझे क्या मालूम शाएद इस लिए के मैं चिकन और मीट ख़ाता हू और तू सिर्फ़ वेजिटेबल्स और दाल ही ख़ाता है तो वो कहता हा हो सकता है. कभी कभी बोलता के राजू मुझे भी कभी चिकन खिला यार तो मैं बोलता के तेरी माताजी मुझे मारेगी तो वो खामोश हो जाता पर चिकन खाने का वो मंन बना चुका था. कभी कभी हम एक दूसरे की नुन्नि को अपने हाथो मे पकड़ के दबाते भी थे इसी तरह से हमारे दिन गुज़रते गये और हम छ्होटे से बड़े होते गये.
जब हम 6थ या 7थ क्लास मे थे तब तक मेरी नुन्नि बोहोत ही बड़ी और मोटी हो चुकी थी और दिन भर मे कम से कम 25 – 30 टाइम एरेक्ट भी हो जाती थी और अब वो किसी बड़े आदमी के लोड्*े या लंड से कम नही थी हम दोनो अभी भी एक दूसरे के सामने ही अपने लोड्*े निकाल के पिशाब करते थे और एक दूसरे के लोड्*े देखते रहते थे. शांति लाल की नुन्नि अभी भी उतनी ही छोटी थी जितनी बचपन मे थी या शाएद थोड़ी सी बड़ी होगआई होगी पर लगती थी जैसे उतनी ही है. होगी शायद कोई 3 इंच की और उसकी नुन्नि के हेड के ऊपेर का अन वांटेड स्किन भी लटका रहता था जिस्मै से पिशाब की धार निकलती थी और उसके पैरो के पास ही गिरती थी लैकिन मेरे लोड का अनवॉंटेड स्किन कटा हुआ था और लंड का सूपड़ा गोल किसी बाइक के हेल्मेट या मशरूम जैसा था और और लंड किसी मूसल की तरह मोटा और लोहे जैसा सख़्त हो गया था . लंड के सूपदे के ऊपेर मोटा सुराख भी था जिस्मै से पिशाब की मोटी सी धार निकलती थी जिसे देख के शाँतिलाल कहता अबे राजू तेरा लोड्*ा मुझे दे दे और मेरा तू लेले तो मैं मुस्कुरा के मज़ाक से कहता यह समझ के मेरा लौदा आज से तेरा ही है जब चाहे ले ले तो वो भी मुस्कुरा के कहता देख लेलुँगा तो मैं कहता कोई बात नही यार तेरे से बढ़ के है क्या, ले ले जब मर्ज़ी आए. जब पिशाब करने के लिए एक दूसरे के करीब खड़े होते तो शाँतिलाल मेरा लौदा पकड़ लेता और उसके हाथ लगते ही मेरा लोड्*ा एक दम से खड़ा हो जाता जिसे शाँतिलाल दबा देता और पिशाब ख़तम होने के बाद भी मेरे लौदे को हिला हिला के लास्ट ड्रॉप्स भी नीचे गिरा देता फिर हम अपने अपने लौदो को अपने पॅंट या चड्डी के अंदर रख लेते. शान्ती लाल की एक पड़ोसन थी उसका नाम पायल था वो भी मारवाड़ी ही थी और वो शाँतिलाल को लाइन मारती थी. पायल भी एक बोहोत ही खूबसूरत और सेक्सी लड़की थी गोरा रंग और मीडियम बिल्ट बॉडी जो बोहोत मोटी भी नही बोहोत दुबली पतली भी नही वो एक दम से मारवाड की मलाई लगती थी. पायल उसको बचपन से लाइन मारती थी और शांति लाल से बोहोत मोहब्बत करती थी और शाँतिलाल भी उसको बोहोत चाहता था. वो भी शाँतिलाल के घर आती जाती रहती थी और पिंकी से भी उसकी गहरी दोस्ती थी. जवान हो जाने के बाद पायल कुछ ज़ियादा ही खूबसूरत और ज़ियादा ही सेक्सी हो गयी थी. तकरीबन 5’ 3-4” की हाइट होगी और उसके बूब्स भी बड़े मस्त छोटे अमरूद जैसे थे और कभी बिना ब्रस्सिएर के शर्ट या टॉप पेहेन्ति तो उस मे से उसके पिंक कलर के निपल्स दिखाई देते थे जिसे देखते ही मेरा लंड तो एक दम से खड़ा हो ही जाता था पर शाँतिलाल का शाएद खड़ा नही होता था. मोस्ट्ली स्कर्ट और टॉप पेहेन्ति थी या कभी बर्म्यूडा टाइप की चड्डी और टॉप भी पेहेन्ति थी. पायल के पिताजी का भी बिज़्नेस था और वो भी बोहोत पैसे वाले थे. शाँतिलाल के पिताजी से पायल के पिताजी की फ्रेंडशिप भी थी पर आजकल दोनो बिज़्नेस मे बिज़ी थे इसी लिए कभी कभार ही उनकी मुलाकात हो पाती थी.

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