आज मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी मामी की है। मुझे पूरा भरोसा है कि ये कहानी आपको बहुत अच्छी लगेगी होगी।
मैं अपनी मामी के संग चूत चुदाई की दूसरी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस कहानी में जैसा कि मैं आपको बता चुका था कि मामी जो एक विधवा हैं और उनकी एक बेटी भी है.. जिसकी उम्र पांच साल की है।
उस कहानी में मैंने मामी से सेक्स करते समय बताया था कि उनकी कोई समस्या थी जिसका समाधान स्वामी जी के द्वारा ही हो सकता है।
आज मैं वो कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। ये मामी की स्वामी जी से मुलाकात की कहानी है। मैं जब दोबारा मामी के यहाँ गया तो उनसे स्वामी जी के पास चलने के लिए बोला।
मैंने उनसे बता दिया कि मैंने उनके लिए स्वामी जी से समय लिया है। मैं मामी के यहाँ शनिवार को गया था। रविवार को स्वामी जी जन साधारण से नहीं मिलते थे। इसलिए मैंने मामी से रविवार को स्वामी जी के पास चलने के लिए बोला।
मामी तैयार हो गईं। उन्होंने अपनी लड़की को एक रिश्तेदार के पास छोड़ दिया और मेरे साथ स्वामी जी से मिलने चल दीं।
जब हम लोग स्वामी जी के आश्रम पर पहुँचे.. तो उस समय शाम का छह बज रहा था। स्वामी जी अकेले ही थे।
मैंने स्वामी जी को पैर छूकर प्रणाम किया तो स्वामी जी ने ‘खुश रहो..’ कह कर आशीर्वाद दिया।
जब मामी ने उनको प्रणाम किया तो स्वामी जी ने मामी की पीठ पर हाथ फेरते हुए आशीर्वाद दिया और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मामी के कंधों को पकड़ कर उठाया।
हमने अपनी समस्या स्वामी जी को बताई तो स्वामी ने सोचते हुए हम दोनों को बैठने के लिए कहा और वे खुद अन्दर चले गए।
कुछ देर के बाद स्वामी जी ने मामी को नहाने के बाद पूजा पर आकर बैठने के लिए बोला।
मैं आश्रम का मेन गेट को बन्द करके ऊपर चला गया और ऐसी जगह पर बैठा जहाँ से सब कुछ साफ़ दिखाई दे रहा था।
मामी ने नहाने के बाद दूसरे कपड़े पहन लिए और आकर स्वामी जी के सामने बैठ गईं।
स्वामी जी ने आँखों को बन्द कर लिया। आँखें बन्द करने के बाद स्वामी जी कुछ देर तक मन में कुछ गुनगुनाते रहे। इसके बाद उन्होंने मामी के सर पर हाथ रख कर मामी के बारे में वो सब कुछ बताया.. जो मैंने उनसे बताया था।
इस तरह स्वामी जी ने मामी को अपने विश्वास में ले लिया।
अब स्वामी जी मामी से बोले- अब तेरे पति की आत्मा मेरे पास में यहीं आ चुकी है.. वो तुमसे मिलना चाहता है। लेकिन वो सीधे तुम्हारे अन्दर नहीं आ सकता.. इसके लिए मैं उसे अपने अन्दर बुलाता हूँ। मैं जो भी कहूँगा.. उसे तुम चुपचाप करते जाना।
मामी ने सर हिला कर उनका जबाव दिया।
अब स्वामी जी ने आँख बन्द करके मामी से बोला- वो तुम्हारे साथ सम्भोग करना चाहता है। इसके लिए तुम बिल्कुल से निर्वस्त्र हो जाओ।
मामी ने खड़े होकर अपने तन के सारे कपड़े उतार दिए। अब वो स्वामी जी के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हो गईं।
स्वामी जी ने आँखें खोल कर मामी को देखा और पास पड़े बिस्तर पर जाकर लेट जाने का इशारा किया.. मामी लेट गईं।
अब स्वामी जी वहाँ से उठ कर जब मामी के पास पहुँचे तो उनके हाथ में तेल की एक शीशी थी। स्वामी जी मामी के पूरे नंगे शरीर को ध्यान से देखते रहे। इसके बाद स्वामी जी ने मामी की चूत पर तेल डाल दिया। तेल डालने के बाद स्वामी जी ने मामी की चूत के कोमल बालों को सहलाना शुरू किया। मामी ने आँखें बन्द कर लीं।
कुछ देर के बाद स्वामी जी मामी के जांघों पर बैठ गए और मामी से बोले ‘अब तुम्हारा पति तुम्हारे अन्दर जाना चाहता है।’
इतना कहकर स्वामी जी ने अपने हब्शी लंड को.. जो लगभग बहुत लम्बा और मोटा था और मामी की चूत के बहुत बड़ा था.. उसको मामी की चूत से सटा दिया।
मामी ने उसे अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैलाते हुए लंड को रास्ता दिखाया।
स्वामी जी ने अपनी कमर को एक जोर का झटका देने के बाद कमर को हिलाना शुरू किया तो कमरे में मामी की ‘आआआ.. अह्हह्ह.. आह्हह.. ऊउईई.. औऊ.. आआअह्ह..’ की आवाज गूँज उठी।
स्वामी जी चूत में लंड पेल कर मामी के ऊपर पूरी तरह से चढ़ गए और उन्होंने कमर को हिलाना बन्द कर दिया।
फिर स्वामी जी ने पास रखी शीशी से सरसों का तेल निकाल कर मामी की दोनों चूचियों पर लगाया।
मामी की चूचियां तेल से चमक उठीं और स्वामी जी ने चूचियों को अपने हथेलियों में लेकर मसलना शुरू कर दिया।
अब जब मामी धीरे-धीरे शिथिल पड़ने लगीं.. तो स्वामी जी ने फिर से कमर को झटका देना शुरू कर दिया।
लंड की शंटिंग से कमरे में ‘आआह्ह.. आआऔऊ.. आआआह्ह..’ की आवाज आने लगी।
कुछ देर तक स्वामी जी मामी की चूत में धीरे-धीरे झटके लगाते रहे। जब उन्होंने देखा कि मामी के मुँह से आवाज बन्द नहीं हो रही है.. तो उन्होंने मामी के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया।
अब एक तरफ़ स्वामी जी मामी की चूत में तेज रफ्तार से झटके लगा रहे थे.. तो दूसरी तरफ़ मामी की दोनों चूचियों को मसलते जा रहे थे व साथ में उनके होंठों को बुरी तरह से चूस रहे थे।
मामी एक जल बिन मछली की तरह छटपटा रही थीं।