गतान्क से आगे ……………………
मैंने चुपचाप कार स्टार्ट की और हम घर आ गये घर में अंधेरा था और शायद सब सो गये थे मुझे मालूम था कि मेरे पिता अपने कमरे में नशे में धुत पड़े होंगे घर में अंदर आ कर वहीं ड्राइंग रूम में मैं फिर माँ को चूमने लगा
उसने इस बार विरोध किया कि कोई आ जाएगा और देख लेगा मैं धीरे से बोला “अम्मा, मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ, ऐसा मैंने किसी और औरत या लड़की को नहीं किया मुझसे नहीं रहा जाता, सारे समय तुम्हारे इन रसीले होंठों का चुंबन लेने की इच्छा होती रहती है और फिर सब सो गये हैं, कोई नहीं आएगा”
माँ बोली “मैं जानती हूम बेटे, मैं भी तुझे बहुत प्यार करती हूँ पर आख़िर मैं तुम्हारे पिता की पत्नी हूँ, उनका बाँधा मंगल सूत्र अभी भी मेरे गले में है” मैं धीरे से बोला “अम्मा, हम तो सिर्फ़ चुंबन ले रहे हैं, इसमें क्या परेशानी है?”
माँ बोली “पर राज, कोई अगर नीचे आ गया तो देख लेगा” मुझे एक तरकीब सूझी “अम्मा, मेरे कमरे में चलें? अंदर से बंद करके सिटकनी लगा लेंगे बापू तो नशे में सोए हैं, उन्हें खबर तक नहीं होगी”
माँ कुछ देर सोचती रही सॉफ दिख रहा था कि उसके मन में बड़ी हलचला मची हुई थी पर जीत आख़िर मेरे प्यार की हुई वह सिर डुला कर बोली “ठीक है बेटा, तू अपने कमरे में चल कर मेरी राह देख, मैं अभी देख कर आती हूँ कि सब सो रहे हैं या नहीं”
मेरी खुशी का अब अंत ना था अपने कमरे में जाकर मैं इधर उधर घूमता हुआ बेचैनी से माँ का इंतजार करने लगा कुछ देर में दरवाजा खुला और माँ अंदर आई उसने दरवाजा बंद किया और सिटकनी लगा ली
मेरे पास आकर वह काँपती आवाज़ में बोली “तेरे पिता हमेशा जैसे पी कर सो रहे हैं पर राज, शायद हमें यह सब नहीं करना चाहिए इसका अंत कहाँ होगा, क्या पता मुझे डर भी लग रहा है”
मैंने उसका हाथ पकडकर उसे दिलासा दिया “डर मत अम्मा, मैं जो हूँ तेरा बेटा, तुझ पर आँच ना आने दूँगा मेरा विश्वास करो किसी को पता नहीं चलेगा” माँ धीमी आवाज़ में बोली “ठीक है राज बेटे” और उसने सिर उठाकर मेरा गाल प्यार से चूम लिया
मैंने अपनी कमीज़ उतारी और अम्मा को बाँहों में भरकर बिस्तर पर बैठ गया और उसके होम्ठ चूमने लगा हमारे चुंबनो ने जल्द ही तीव्र स्वरूप ले लिया और ज़ोर से चलती साँसों से माँ की उत्तेजना भी स्पष्ट हो गई मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर घूम रहे थे मैंने उसके उरोज दबाए और नितंबों को सहलाया आख़िर मुझ से और ना रहा गया और मैंने माँ के ब्लओज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए
एक क्षण को माँ का शरीर सहसा कड़ा हो गया और फिर उसका आखरी संयम भी टूट गया अपने शरीर को ढीला छोड़कर उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया इसके पहले कि वह फिर कुछ आनाकानी करे, मैंने जल्दी से बटन खोल कर उसका ब्लओज़ उतार दिया इस सारे समय मैं लगातार उसके कोमल मुख को चूम रहा था
ब्लओज़ उतरने पर माँ फिर थोड़ा हिचकिचाई और बोलने लगी “ठहर बेटे, सोच यह ठीक है या नहीं ” अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं था इसलिए मैंने उसका मुँह अपने होंठों से बंद कर दिया और उसे आलिंगन में भर लिया अब मैंने उसकी ब्रेसियार के हुक खोलकर उसे भी निकाल दिया माँ ने चुपचाप हाथ उपर करके ब्रा निकालने में मेरी सहायता की
उसके नग्न स्तन अब मेरी छाती पर सटे थे और उसके उभरे निपलो का स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था उरोजो को हाथ में लेकर मैं उनसे खेलने लगा बड़े मुलायम और मांसल थे वे झुक कर मैंने एक निपल मुँह में ले लिया और चूसने लगा माँ उत्तेजना से सिसक उठी उसके निपल बड़े और लंबे थे और जल्द ही मेरे चूसने से कड़े हो गये “अम्मा, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ मुझे मालूम है कि अपने ही माँ के साथ रति करना ठीक नहीं है, पर मैं क्या करूँ, मैं अब नहीं रह सकता”
उसके शरीर को चूमते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा और अपनी जीभ से उसकी नाभि चाटने लगा वहाँ का थोड़ा खारा स्वाद मुझे बहुत मादक लग रहा था माँ भी अब मस्ती से हुंकार रही थी और मेरे सिर को अपने पेट पर दबाए हुई थी उसकी नाभि में जीभ चलाते हुए मैंने उसके पैर सहलाना शुरू कर दिए उसके पैर बड़े चिकने और भरे हुए थे अपना हाथ अब मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट के नीचे डाल कर उसकी मांसल मोटी जांघें रगडना शुरू कर दीं
मेरा हाथ जब जांघों के बीच पहुँचा तो माँ फिर से थोड़ी सिमट सी गयी और जांघों में मेरे हाथ को पकड़ लिया कि और आगे ना जाऊ मैंने अपनी जीभ उसके होंठों पर लगा कर उसका मुँह खोला और जीभ अंदर डाल दी अम्मा मेरे मुँह में ही थोड़ी सिसकी और फिर मेरी जीभ को चूसने लगी अपनी जांघें भी उसने अलग कर के मेरे हाथ को खुला छोड़ दिया
मेरा रास्ता अब खुला था मुझे कुछ देर तक तो यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी माँ, मेरे सपनों की रानी, वह औरत जिसने मुझे और मेरे भाई बहनों को अपनी कोख से जन्मा था, वह आज मुझसे, अपने बेटे को अपने साथ रति क्रीडा करने की अनुमति दे रही है
माँ के पेटीकोट के उपर से ही मैंने उसके फूले गुप्ताँग को रगडना शुरू कर दिया अम्मा अब कामवासना से कराह उठी उसकी योनि का गीलापन अब पेटीकोट को भी भिगो रहा था मैंने हाथ निकाल कर उसकी साड़ी पकडकर उतार दी और फिर खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा कपड़ों से छूटते ही मेरा बुरी तरह से तन्नाया हुआ लोहे के डंडे जैसा शिश्न उछल कर खड़ा हो गया
मैं फिर पलंग पर लेट कर अम्मा की कमर से लिपट गया और उसके पेटीकोट के उपर से ही उसके पेट के निचले भाग में अपना मुँहा दबा दिया अब उसके गुप्ताँग और मेरे मुँह के बीच सिर्फ़ वह पेटीकोट था जिसमें से माँ की योनि के रस की भीनी भीनी मादक खुशबू मेरी नाक में जा रही थी अपना सिर उसके पेट में घुसाकर रगडते हुए मैं उस सुगंध का आनंद उठाने लगा और पेटीकोट के उपर से ही उसके गुप्ताँग को चूमने लगा.