माँ की प्यासी चुत भाग 2

दोस्तो मेरा नाम रवि है, मेरे घर में हम तीन लोग हैं, मैं, मेरी माँ और मेरे पिताजी ! पिताजी ज्यादातर ऑफिस के काम से बाहर ही रहते हैं तो घर पर रह गए मैं और मेरी माँ ! मैं अभी 19 साल का हूँ और मेरी माँ की उम्र होगी 37 साल, मेरी माँ बला की खूबबसूरत है। उनकी खूबसूरती तो ऐसी है कि अगर आज भी वो घर से बाहर निकलती है तो चलने वाले सभी आदमियों की और लड़कों की लुल्ली पैंट में ही खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनका फिगर है ही इतना लाजवाब 36-27-36 ।

मैं अभी कालेज में ही हूँ और अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ। इस रविवार को मैं घर पर ही था छुट्टी होने की वजह से तो जब मैं सोकर उठा तो मेरी माँ घर की साफ सफाई कर रही थी।

माशा अल्लाह !

क्या लग रही थी वो !

सिल्की गुलाबी रंग के गाउन में उनके स्तन तो गाउन से बाहर निकलने को ही हो रहे थे। अगर ब्रा ना होती तो माँ के स्तन बाहर निकल चुके होते। और उनकी गांड तो मानो ऐसे मुझे उकसा रही थी कि आ बैल- मेरी मार। मैंने अपनी माँ को पहले कभी ऐसी नजर से नहीं देखा था पर मैं करता भी क्या ! मैं अभी उनके नितम्बों को देख कर सोच ही रहा था कि इतने में उन्होंने कहा- रवि, रवि , आज पूरे दिन पड़ा ही रहेगा या उठेगा भी ! बिस्तर से खड़ा हो ! मुझे यहाँ सफाई करनी है, कितना गन्दा कर रखा है तूने अपना कमरा !

मैं बोला- होता हूँ खड़ा !

और मैं खड़ा हो गया पर यह भूल गया कि मेरा लंड भी जोश में आकर खड़ा हो गया था, वो तो बस घुस जाना चाहता था माँ की गांड में !

मैंने उसे ठीक किया और बाहर आ गया।

बाहर पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। इतने में मेरे दोस्त मुझे बुलाने के लिए आ गए क्रिकेट मैच के लिए।

मैं भी फिर जल्दी से नहा धोकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर पूरे दिन में अपनी माँ के सेक्सी ख्यालों में खोया रहा और उस दिन ढंग से खेल भी नहीं पाया।

शाम को 6 बजे जब मैं घर पर आया तो घर बिलकुल सुनसान सा पड़ा था, लग रहा था कि कोई नहीं है। पर जब मैं अन्दर घुसा तो मैं तो हैरान ही रह गया।

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पापा मम्मी को चोद रहे थे। वो अब मेकअप करके किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं यह सब बाहर दरवाजे के बगल में खड़ा होकर देख रहा था। क्या लग रही थी वो ! पापा मम्मी के बोबों को ऐसे दबा रहे थे कि आज ही सारा दूध निकाल लेना चाहते हो !

वो कह रहे थे- कमली , आजा मेरी जान ! अब तो महीने भर बाद ही मौका मिलेगा तुझे चोदने का !

शायद वो ऑफिस के काम से बाहर जा रहे थे।

माँ ने कहा- तो जा क्यों रहे हो ? इस जान को छोड़कर मत जाओ न ! मेरा दिल नहीं लगेगा, इतने दिन में मैं तो पागल ही हो जाऊँगी तुम्हारे बिना !

अरे, कमली क्यों चिंता करती हो? एक महीने बाद आ तो रहा हूँ मैं ! फिर से चोदूँगा तुझे मेरी जान ! पर काम तो काम है न ! वो तो करना ही पड़ेगा।

माँ बोली- हम्म ! वो तो है मेरे राजा !

पापा ने कहा- कमली ,चल अब घोड़ी बन जा ! काफी देर हो गई चूत मारते हुए !

तो माँ बोली- तुम मर्द लोगो को गाण्ड में ऐसा क्या मजा आता है?

और पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और चोदने लगे।

क्या आवाजें निकाल रही थी माँ चुदते हुए ! मेरा लंड तो फनफनाने लगा था उनकी अवस्था देख कर !

मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं अपनी माँ को चोद पाता ! क्या माल है वो ! आधे घंटे भर तक वो चुदाई-कार्यक्रम चला होगा और फिर पापा रात को ही मुंबई के लिए चले गए और माँ से कह गए कि मेरा ख्याल रखे।

मैंने उस शाम का दृश्य देख कर कसम खाई कि एक बार तो माँ को जरुर चोदूँगा।

दिन ऐसे ही निकलने लगे और माँ भी थोड़ा उदास सी रहने लगी। क्या करे, उन्हें लंड ही नहीं मिला था इतने दिनों से !

मुझसे माँ की यह बेचैनी देखी नहीं जा रही थी पर मैं उनसे कह भी तो नहीं सकता था।

मैंने उनसे पूछा- माँ, इतनी उदास क्यों रहती हो तुम आजकल?

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तो वो बोली- कुछ नहीं रवि, तेरे पापा की बहुत याद आ रही है, इतनी दिन हो गए न !

तो मैंने कहा- माँ मैं हूँ न पापा की जगह ! बोलो क्या हुआ ?

तो वो बोली- र वि तू क्या जाने एक औरत की मज़बूरी ! तू तो अभी बच्चा है।

तो मैंने कहा- हाँ माँ ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है ! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब ! पूरे 19 साल का हो गया हूँ ! और मेरा पप्पू भी।

वो बोली- क्या कहा तूने र वि?

मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया।

और वो मेरे लंड को देखने लगी। मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया ! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में….. की रवि कैसी बात बोल कर गया है ?

पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।

कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा !

और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई। उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था। मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा ! चल नीचे जा !

मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ !

और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए।

सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे !

उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे ! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था। मन तो कर रहा थ कि उनको गोदी में उठा कर उनकी इतनी गांड मारूँ कि सारा वीर्य ही निकाल दूँ !

नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था ! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश ! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।

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