पापा के सात मिलकर माँ को चोदा

देखने लगे। उस समय पापा सोफे पर बैठे हुए थे और में कुर्सी पर बैठा हुआ था। थोड़ी देर के बाद माँ नंगी ही कमरे में चली आई। अब माँ का वो नंगा रूप और वो भी पापा के सामने देखकर में तो अपने आपे से बाहर हो गया और में पापा से बोला कि पापा मैंने माँ की चूत का तो मज़ा ले लिया है, लेकिन अभी तक उनकी मस्ताने बूब्स नहीं दबाए क्या में इनको थोड़ा सा दबाकर और चूसकर इनका मज़ा ले लूँ? और पापा के कुछ कहने के पहले ही मैंने अपनी नंगी घूम रही माँ को अपनी गोद में खींचकर बैठा लिया, माँ मेरी गोद में मेरी तरफ मुहं करके और अपने दोनों पैरों को मेरे दोनों तरफ करके बैठ गयी। अब पापा मेरी तरफ देखते हुए मुझसे बोले, बेटे आज तुम्हारे पास सही मौका है, तुम माँ का पूरा मज़ा ले लो, लेकिन देखो चोदना मत और चाहे जो कुछ भी कर लो, क्योंकि तू बेटा और यह तेरी माँ है और इसलिए तू अपनी माँ को चोद नहीं सकता, नहीं तो तू मादरचोद कहलाएगा, हाँ ऊपर ऊपर जो कुछ भी करना है कर ले, क्योंकि शाम को फिर मंजू घर पर आ जाएगी और तब तुझे ऐसा अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
दोस्तों मुझसे इतना कहकर पापा एक बार फिर से अपना पेपर पढ़ने में व्यस्त हो गए और हम लोग एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे के शरीर पर हाथ फेरने लगे। अब मैंने कुछ देर बाद माँ की गांड को पकड़कर उनको थोड़ा सा ऊपर उठाया और मैंने अपनी पेंट को उतार दिया और पेंट के उतारते ही मेरा तनकर खड़ा मस्त लंड बाहर आ गया और उसको देखते ही माँ ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत से सटा दिया, मेरा लंड जैसे ही चूत के मुहं पर गया तो मैंने अपनी कमर को हिलाकर उसको माँ की चूत के अंदर कर दिया और लंड चूत के अंदर जाते ही माँ ने एक चैन की लंबी सांस ली और अपने कूल्हों को उठा उठाकर वो धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। अब हम माँ और बेटा बहुत ही चिपककर बैठे थे और हम लोगों का निचला हिस्सा सोफे से छुपा हुए था और पापा हमारे पास ही बैठे थे, लेकिन हम लोग पापा के रहते ही चुदाई कर रहे थे और जब भी पापा पेपर से आँख उठाकर हम लोगों को देखते थे तो उनको में माँ के बूब्स को या तो दबाते या चूसते हुए दिख रहा था। अब हम लोग अपनी चुदाई को धीरे धीरे चला रहे थे और इसलिए पापा को कुछ समझ नहीं आया और उनके सामने ही में माँ को चोदता रहा और माँ मुझसे चुदवाती रही। फिर थोड़ी देर के बाद चुदाई करते करते माँ और में भी झड़ गया और माँ तुरंत उठकर बाहर चली गयी। अब में भी अपनी पेंट को पहनकर पापा के पास में बैठ गया और पापा को इस बात का धन्यवाद दिया, क्योंकि उन्होंने अपनी बीवी को मेरे सामने नंगी करके उनका नंगा मस्त रूप मुझको दिखा दिया। फिर पापा ने मेरी पीठ थपथपाई और बोले, बेटा यह बात बाहर किसी को ना कहना, लेकिन में अभी भी खुश नहीं था। अब में पापा को मेरे खड़े लंड को उनकी बीवी और मेरी माँ की चूत में डालते हुए बाहर आते हुए चोदते हुए दिखाना चाहता था। फिर मैंने पापा से कहा कि पापा मैंने माँ को पूरा नंगी देखा भी और उसकी चूत का मज़ा भी थोड़ा बहुत लिया है, लेकिन उसने मेरा लंड नहीं देखा है, इसलिए में एक बार अपने लंड को आपके सामने उसकी चूत मे रगड़ना चाहता हूँ। दोस्तों पापा पहले तो नहीं माने और मेरे बहुत बार कहने के बाद वो मान गये और वो मुझसे बोले कि ठीक है, तू अपना लंड खड़ा करके अपनी माँ की चूत के ऊपर ऊपर रगड़ लेना, लेकिन में फिर से कहता हूँ कि चोदना मत वो तेरी माँ है और में तुझको मादारचोद नहीं होने दूँगा। फिर मैंने झट से उठकर अपनी पेंट को खोल दिया। अब मेरा लंड अभी खड़ा नहीं था, क्योंकि मैंने अभी आधे घंटे पहले ही माँ को अपनी गोद में बैठाकर उनको चोदा था। तभी माँ थोड़ी देर के बाद कमरे में आ गई और में अभी भी नंगी ही थी। अब मैंने माँ से पूछा कि माँ चुदाई क्या होती है? माँ मेरे पास आकर खड़ी हो गयी और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर वो सहलाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड माँ की चूत की खुशबू और उनके हाथों का स्पर्श पाकर खड़ा हो गया। तभी माँ ने अपने एक पैर को ऊपर उठाकर कुर्सी पर रख दिया और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली, जब भी लंड चूत के अंदर जाता है तो उसको चुदाई कहते है।

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