बारिश की ठंडक में माँ का गरम चुत

रश्मि आवाज़ सुन कर घूम जाती है और सामने अपने बेटे रवि को तीन और लड़कों और दो लड़कियों के साथ बैठा हुआ देखती है. उनके सामने टेबल पर बहुत सारी किताएँ बिखरी पड़ी थीं.

“माँ तुम तो…बिल्कुल..भीग गयी हो…” रवि अपनी माँ से कहता है जबकि उसके दोस्त नज़रें फाडे उसकी माँ को घूर रहे थे. “अच्छा है तुम जल्दी से चेंज कर लो”

“हाँ! हाँ! मैं बस अभी चेंज करने ही जा रही हूँ” रश्मि धीरे से उत्तर देती है जब उसे एहसास होता है कि सब आँखे उसे ही घूर रही हैं. जल्दी से घूमते हुए उपर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है.

“ओह माइ गॉड! तूने हमे आज तक नही बताया तेरी मोम इतनी सेक्सी है”

” तुम लोगों ने देखा उसके गोल मटोल मम्मे कितने मोटे और तने हुए थे”

“और उसकी गान्ड ….वाआह! उसकी गान्ड तो शिखा देखने में तुमसे भी टाइट लग रही थी”

“बकवास बंद करो राजन में कहे देता हूँ….”

“और उसकी टांगे देखी तुम लोगों ने? क्या जबरदस्त माल है तेरी मम्मी”

“अब बस भी करो! भगवान के लिए..वो मेरी मम्मी है”

रश्मि सीढ़ियो के बिल्कुल ऊपर खड़ी यह सब बातें सुन रही थी. उसे बेहद ताज्जुब हो रहा था यह सब सुन कर. उसे इस बात से ख़ुसी हुई कि उसका बेटा उसके लिए अपने दोस्तों पर गुस्सा होने लगा है मगर इस बात से हल्की सी निराशा भी कि अब उसने उसकी प्रशंसा भी बंद करवा दी थी चाहे वो अश्लील भाषा में ही हो रही थी. उसे लगता था अब उसमे पहले वाली वो बात नही रही मगर आज जब उसने बहुत समय बाद अपने लिए ऐसे शब्द सुने तो उसे एक अलग रोमांच का एहसास हुआ एक सुखद और मन को आनदित कर देने वाला एहसास था. वो अपने बेडरूम की ओर बढ़ जाती है और एक टवल उठाकर अपने लंबे काले बालों को पोंछने लगती है.

नीचे अभी भी रश्मि के खूबसूरत और कामुकता से लबरेज बदन पर कयि टिप्पणियाँ हो रही थीं मगर अब वो उन्हे स्पष्ट तौर पर सुन नही पा रही थी. उसे ज़ोर से हँसने और फिर किसी के उँचा चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दी. उसने अपने अंदर एक रोमांच, एक थरथराहट सी महसूस की–उसे समझ नही आया कि यह बारिश में भीगने के कारण लगने वाली सर्दी के कारण है या फिर उसे नीचे हो रही अपनी अश्लील तारीफ उसे इतनी अच्छी लगी थी. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उसने अपना टवल फेंका और दर्पण के सामने खड़ी हो गयी.

अपना अक्श शीसे में देखते ही उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी. हल्के आसमानी रंग की उसकी गर्मियों में पहनने की ड्रेस बारिश में गीली होकर बुरी तरह उसके बदन से चिपकी हुई थी. उसकी ड्रेस लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी और उसकी लंबी टाँगो, पतली सी कमर और भारी स्तनों को पूरी तरह से रेखांकित कर रही थी. उसकी नीले रंग की कच्छि और ब्रा आसानी से देखे जा सकते थे और गीली ड्रेस ने उपर से उसके मम्मों का उपरी हिस्सा नंगा कर दिया था. ध्यान से देखने पर वो अपने निपल अपनी ड्रेस के उपर उभरे हुए देख सकती थी.

“ओओह माइ गॉड!” अपनी हालत आईने में देख कर वो चकित रह जाती है और उसका हाथ उसके मुँह पर चला जाता है. “में तो वास्तव में नंगी ही दिख रही हूँ”

“हाँ मम्मी ……तुम लगभग नंगी ही हो और…..उन सब ने तुम्हे इस रूप में देख लिया.”

आवाज़ सुन कर रश्मि एक दम से पलटी और अपने बेटे को दरवाजे की चौखट से टेक लगा कर खड़े हुए देखा. जलते हुए अंगारो जैसी उसकी आँखे उसे घूर रही थी, उसकी लगभग नंगी काया में गढ़ी जा रही थी. रश्मि की आँखे अबचेतन मन से नीचे की ओर जाती हैं जहाँ वो अपने बेटे की कमर पर एक बड़ा सा टेंट बना हुआ देखती है. प्रतिक्रिया में उसके हाथ उसके स्तन और जाँघो के जोड़ को ढकने के लिए उठ जाते हैं.

“तुम…तुम्हारे दोस्त कहाँ हैं?” वो सामान्य दिखने की कोशिश करते हुए उससे पूछती है.

“वो तो चले गये”

“मगर बाहर तो अभी भी बहुत जोरदार बारिश हो रही है…..एसी बारिश में वो कैसे….?” रश्मि ने आश्चर्य से पूछा.

“मैने उन्हे जाने को कहा था.” रवि चेहरे पर एक अजीब सी भावना लिए हुए था. वो कुछ परेशान सा दिखाई देने के साथ साथ कुछ निडर सा भी दिखाई दे रहा था.

“आइ आम सॉरी बेटा, मुझे मालूम नही था घर पर कोई है, तुम भी अक्सर इस समय घर से बाहर होते हो.” रश्मि धीरे से बोलती है “इसमे मेरा दोष नही है कि बारिश के कारण मैं भीग गयी”

“नही वो बात नही है मम्मी….” रवि धीरे से फुसफुसाता है “बात तो बस यह है….. क्या आपने सुना था वो आपके बारे में क्या बोल रहे थे?”

“पूरा नही, कुछ-कुछ, जो वो पहले पहल बोल रहे थे.” रश्मि मुस्कराती है. “असल में मुझे काफ़ी ताज्जुब हुआ वो सब सुन कर”

“और फिर वो इससे भी बदतर बोलने लगे”

“क्या कह रहे थे वो?” रश्मि उत्सुकता में पूछती है.

“वो…वो…बोल रहे थे…कि…नही मम्मी में नही बता पाऊँगा. वो बहुत भद्दे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे”

“एसा क्या कह रहे थे वो? मुझे ठीक ठीक बताओ क्या बोल रहे थे वो?” रश्मि धृड़ता से और ज़ोर देते हुए पूछती है.

“वो …वो कह रहे थे…कैसे मैं आपके साथ इस घर में रह सकता हूँ बिना.. बिना…?”

“मुझे तुम्हारी बात की कोई समझ नही आ रही है. बिना क्या?” रश्मि पूछती है

“बिना आपको चोदे!!!! उन्होने कहा आप देखने में इतनी गर्म और कामुक दिखती हैं तो मैं आपके साथ एक ही घर में बिना आपको चोदे कैसे रह रहा हूँ? रवि ने तपाक से बोल दिया . “उनके इतना कहते ही मैने उन्हे घर से चले जाने को कह दिया. और तब.. तब….”

रश्मि को एक झटका सा लगा था ये सब जानकर मगर साथ ही उसमे कौतूहल भी जगा था अपने बेटे के दोस्तों के द्वारा हुई उन भड़कीली अश्लील टिप्पणियों को सुन कर.

“और फिर वो सब मुझ पर हँसने लगे और मुझसे बोले कि मैं मन ही मन आपको चोदने की इच्छा रखता हूँ इसलिए सच सुन कर मैं इतना घबरा रहा हूँ और मुझे इतना गुस्सा आ रहा है”

रश्मि की आँखे फिर से नीचे जाते हुए रवि के लौडे पर ठहर जाती है. पूरे दो साल हो गये थे उसे लौडा देखे हुए, चूत में लेने की बात तो अलग रही. वो अपनी नज़रें तेज़ी से उपर उठाती है जब उसे एहसास होता है कि वो अपने सगे बेटे के लौडे को घूर रही है. रश्मि का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था.

“और…क्या तुमने वाकई में…वाकई में कभी एसा सोचा है?” रश्मि लगभग ना सुन सकने स्वर में बोलती है. “क्या तुम वाकई में मुझे चोदना चाहते हो?”

“माँ….आप….आप मुझे एसा कैसे पूछ सकती हो?” रवि धीरे से बिना साँस लिए फुसफुसाता है.

“बताओ मुझे! मैं जानना चाहती हूँ! क्या तुम वाकई मे मुझे चोदना चाहते हो?” रश्मि किसी अग्यात भावना के तहत अति कौतूहल से और बैचैनि से अपने बेटे के जवाब का इंतजार कर रही थी.

“हां…हां! मैं चाहता हूँ.” आख़िर में रवि जवाब देता है, उसकी आँखे नीचे फर्श पर टिकी हुई थी. “तुम इतनी सुंदर हो माँ….और तुम्हारे बदन की मादकता मुझे इतनी उत्तेजित कर देती है कि बस मैं खुद पर नियंत्रण नही रख पाता और मैं आप के बारे में वो सब सोचने लग जाता हूँ जो मुझे कतयि भी नही सोचना चाहिए”

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