माँ बेटे का प्यार और संस्कार भाग 3

गतांक से आगे…………………
अम्मा ने अपनी टांगें पसार दीं. यह उसकी मूक सहमति थी. साथ ही उसने मेरा लंड हाथ में लेकर सुपाड़ा खुद ही अपनी चूत के मुंह पर जमा दिया. उसका मुंह चूसते हुए और उसकी काली मदभरी आंखों में झांकते हुए मैंने लंड पेलना शुरू किया. मेरा लंड काफ़ी मोटा और तगड़ा था इसलिये धीरे धीरे अंदर गया. उसकी चूत किसी गुलाब के फ़ूल की पंखुड़ियों जैसी चौड़ी होकर मेरा लंड अंदर लेने लगी.

अम्मा अब इतनी कामातुर हो गई थी कि उससे यह धीमी गति का शिश्न प्रवेश सहन नहीं हुआ और मचल कर सहसा उसने अपने नितंब उछाल कर एक धक्का दिया और मेरा लंड जड़ तक अपनी चूत ले लिया. मां की चूत बड़ी टाइट थी. मुझे अचरज हुआ कि तीन बच्चों के बाद भी मेरी जननी की योनि इतनी संकरी कैसे है. उसकी योनि की शक्तिशाली पेशियों ने मेरे शिश्न को घूंसे जैसा पकड़ रखा था. मैंने लंड आधा बाहर निकाला और फ़िर पूरा अंदर पेल दिया. गीली तपी उस बुर में लंड ऐसा मस्त सरक रहा था जैसे उसमें मक्खन लगा हो.

इसके बाद मैं पूरे जोर से मां को चोदने में लग गया. मैं इतना उत्तेजित था कि जितना कभी जिंदगी में नहीं हुआ. मेरे तन कर खड़े लंड में बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी और मैं उसका मजा लेता हुआ अम्मा को ऐसे हचक हचक कर चोद रहा था कि हर धक्के से उसका शरीर हिल जाता. मां की चूत के रस में सराबोर मेरा शिश्न बहुत आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.

हम दोनों मदहोश होकर ऐसे चोद रहे थे जैसे हमें इसी काम एक लिये बनाया गया हो. मां ने मेरी पीठ को अपनी बांहों में कस रखा था और मेरे हर धक्के पर वह नीचे से अपने नितंब उछाल कर धक्का लगा रही थी. हर बार जब मैं अपना शिश्न अम्मा की योनि में घुसाता तो वह उसके गर्भाशय के मुंह पर पहुंच जाता, उस मुलायम अंदर के मुंह का स्पर्श मुझे अपने सुपाड़े पर साफ़ महसूस होता. अम्मा अब जोर जोर से सांसें लेते हुए झड़ने के करीब थी. जानवरों की तरह हमने पंद्रह मिनट जोरदार संभोग किया. फ़िर एकाएक मां का शरीर जकड़ गया और वह कांपने लगी.

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मां के इस तीव्र स्खलन के कारण उसकी योनि मेरे लंड को अब पकड़ने छोड़ने लगी और उसी समय मैं भी कसमसा कर झड़ गया. इतना वीर्य मेरे लंड ने उसकी चूत में उगला कि वह बाहर निकल कर बहने लगा. काफ़ी देर हम एक दूसरे को चूमते हुए उस स्वर्गिक आनंद को भोगते हुए वैसे ही लिपटे पड़े रहे.

मां के मीठे चुंबनों से और मेरी छाती पर दबे उसके कोमल उरोजों और उनके बीच के कड़े निपलों की चुभन से अब भी योनि में घुसा हुआ मेरा शिश्न फ़िर धीरे धीरे खड़ा हो गया. जल्द ही हमारा संभोग फ़िर शुरू हो गया. इस बार हमने मजे ले लेकर बहुत देर कामक्रीड़ा की. मां को मैंने बहुत प्यार से हौले हौले उसके चुंबन लेते हुए करीब आधे घंटे तक चोदा. हम दोनों एक साथ स्खलित हुए.

अम्मा की आंखों में एक पूर्ण तृप्ति के भाव थे. मुझे प्यार करती हुई वह बोली. “सुन्दर, तेरा बहुत बड़ा है बेटे, बिलकुल मुझे पूरा भर दिया तूने.”

मैं बहुत खुश था और गर्व महसूस कर रहा था कि पहले ही मैथुन में मैंने अम्मा को वह सुख दिया जो आज तक कोई उसे नहीं दे पाया था. मैं भरे स्वर में बोला. “यह इसलिये मां कि मैं तुझपर मरता हूं और बहुत प्यार करता हूं.”

मां सिहर कर बोली. “इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया. मैं तो भूल ही गई थी कि स्खलन किसे कहते हैं” मैं मां को लिपटा रहा और हम प्यार से एक दूसरे के बदन सहलाते हुए चूमते रहे.

आखिर मां मुझे अलग करते हुए बोली “सुन्दर, मेरे राजा, मेरे लाल, अब मैं जाती हूं. हमें सावधान रहना चाहिये, किसी को शक न हो जाये.”

उठ कर उसने अपना बदन पोंछा और कपड़े पहनने लगी. मैंने उससे धीमे स्वर में पूछा. “अम्मा, मैं तुम्हारा पेटीकोट रख लूं? अपनी पहली रात की निशानी?”

वह मुस्करा कर बोली. “रख ले राजा, पर छुपा कर रखना.” उसने साड़ी पहनी और मुझे एक आखरी चुंबन देकर बाहर चली गई.

मैं जल्द ही सो गया, सोते समय मैंने अपनी मां का पेटीकोट अपने तकिये पर रखा था. उसमें से आ रही मां के बदन और उसके रस की खुशबू सूंघते हुए कब मेरी आंख लग गयी, पता ही नहीं चला.

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अगले दिन नाश्ते पर जब सब इकट्ठा हुए तो मां चुप थी, मुझसे बिलकुल नहीं बोली. मुझे लगा कि लो, हो गई नाराज, कल शायद मुझसे ज्यादती हो गई. जब मैं काम पर जा रहा था तो अम्मा मेरे कमरे में आयी. “बात करना है तुझसे” गम्भीर स्वर में वह बोली.

“क्या बात है अम्मा? क्या हुआ? मैंने कुछ गलती की?” मैंने डरते हुए पूछा.

“नहीं बेटे” वह बोली “पर कल रात जो हुआ, वह अब कभी नहीं होना चाहिये.” मैंने कुछ कहने के लिये मुंह खोला तो उसने मुझे चुप कर दिया. “कल की रात मेरे लिये बहुत मतवाली थी सुन्दर और हमेशा याद रहेगी. पर यह मत भूलो कि मैं शादी शुदा हूं और तेरी मां हूं. यह संबंध गलत है.”

मैंने तुरंत इसका विरोध किया. “अम्मा, रुको.” उसकी ओर बढ़कर उसे बांहों में भरते हुए मैं बोला. “तुम्हे मालूम है कि मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूं और यह भी जानता हूं कि तुम भी मुझे इतना ही चाहती हो. इस प्यार को ऐसी आसानी से नहीं समाप्त किया जा सकता.”

मैंने उसका चुंबन लेने की कोशिश की तो उसने अपना सिर हिलाकर नहीं कहते हुए मेरी बांहों से अपने आप को छुड़ा लिया. मैंने पीछे से आवाज दी. “तू कुछ भी कह मां, मैं तो तुझे छोड़ने वाला नहीं हूं और ऐसा ही प्यार करता रहूंगा.” रोती हुई मां कमरे से चली गई.

इसके बाद हमारा संबंध टूट सा गया. मुझे साफ़ दिखता था कि वह बहुत दुखी है फ़िर भी उसने मेरी बात नहीं सुनी और मुझे टालती रही. मैंने भी उसके पीछे लगना छोड़ दिया क्योंकि इससे उसे और दुख होता था.

मां अब मेरे लिये एक लड़की की तलाश करने लगी कि मेरी शादी कर दी जाये. उसने सब संबंधियों से पूछताछ शुरू कर दी. दिन भर अब वह बैठ कर आये हुए रिश्तों की कुंडलियां मुझसे मिलाया करती थी. जबरदस्ती उसने मुझे कुछ लड़कियों से मिलवाया भी. मैं बहुत दुखी था कि मेरी मां ही मेरे उस प्यार को हमेशा के लिये खतम करने के लिये मुझपर शादी की जबरदस्ती कर रही है.

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