माँ बेटे का प्यार भाग 3

“बहुत आस है रे मेरे मन में …. हमेशा यही सोचती रहती हूं कि मेरा बेटा मां के बदन के रस के लिये तरस रहा है और मैं उसकी इतनी सी भी इच्छा पूरी नहीं कर सकती … इतनी आस है तेरी कुछ पीने की अपने अम्मा के बदन से और …. और मैं कुछ नहीं कर रही हूं …. बोल बेटे …. पियेगा?”

“चल अम्मा, मूत दे मेरे मुंह में अभी यहीं पर …. आ जा अम्मा.”

“अरे पगला हो गया है क्या …. यहां नहीं … छलक जायेगा …. पहली बार है … चल बाथरूम में चल … पर सोच ले मेरे लाल फ़िर से … बाद में मौके पर पीछे हट जायेगा तो … मैं नहीं सहन कर पाऊंगी बेटे”

“सोच लिया मां … कब का सोच कर रखा है मैंने … कर दे ना अम्मा यहीं पर, जल्दी पिला दे …. मुझसे नहीं रुका जाता अब”

“चल ना मेरे दिल के टुकड़े … बाथरुम में, आज तो चल, अब तो हमेशा पिलाऊंगी बेटे, फ़िर कहीं भी पी लिया करना. तू नहीं जानता मेरे लाल, कितनी इच्छा होती है तुझे अपने बदन से …. तेरी हर प्यास बुझाने की मेरे बच्चे …..मैं तो निहाल हो जाऊंगी आज …”

“चलो अम्मा …. और अम्मा आज मेरा यह लंड अब ऐसा खड़ा हो गया है कि रात भर मारूंगा आज तेरी ….. मां कसम …. तेरी कसम … मार मार के आज फ़ुकला कर दूंगा तेरी गांड …. तेरे बदन का ये अमरित पी कर अम्मा …. ऐसा जोश चढे़आ है अम्मा मेरे लंड को सिर्फ़ उसके बारे में सोचने से … तब जब पी लूंगा तो ये क्या करेगा …. आज तेरी गांड की खैर नहीं अम्मा”

“मार लेना बेटे … कुछ महने की तो बात है, फ़िर बहू भी आ जायेगी मेरा दर्द कम करने को.”

“मां … एक बात तो बता . वो बहू को भी पिलायेगी क्या? वो पिक्चर जैसे?”

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“और क्या? उसका भी तो हक है अपनी सास के बदन पर. मन में बात थी कब से मेरे, आज पिक्चर में देखा तो कल्पना करने लगी कि मेरी बहू है और मैं उसके मुंह में मूत रही हूं, बड़ा मजा आया बेटे, फ़िर सोचा कि सिर्फ़ बहू क्यों, मेरे बेटे को भी शायद मजा आये. इसलिये सोचा कि कह ही डालूं तुझे …. अब चल बेटे, तेरे मुंह में मूतूंगी तभी चैन आयेगा मुझे … आ जा मेरे लाल …. आ जा.”

“वो कमला पियेगी ना अम्मा?”

“पियेगी बेटा, झट से पियेगी, मैं पहचान गयी हूं उसको, बड़ी बदमाश छिनाल सी लड़की है, हर चीज करेगी वो ये मुझे यकीन है. और मान लो नहीं किया तो … तो भी मैं इसे छोड़ने वाली नहीं बेटे … मुश्कें बांध कर जबरदस्ती भी करनी पड़े तो करूंगी … पर लगता है उसकी नौबत नहीं आयेगी”

“अम्मा, एक मेरे मन की भी बात सुन ले. ये तो शुरुआत है. तेरी गांड चूस रहा था ना अम्मा? बहुत मस्त स्वाद आता है अम्मा. उंगली से घी लगाने के बाद मैंने उंगली चूसी थी, मजा आ गया मां. अब सोच ले, सिर्फ़ पिलायेगी मुझे अपने बदन से या ….”

“या क्या बेटे? बोल ना?”

“खिलाने की नहीं सोची? सच मां, तेरे बदन से मैं खाना भी चाहता हूं.”

“कैसी गंदी बात करता है रे …. नालायक ….”

“अब इसमें गंदा क्या है? आज मैंने नहीं कहा था कि लगता है तेरी गांड में मिठाई भर दूं और वहीं से खा लूं?”

“वो … अच्छा उसकी बात कर रहा है … मेरे को लगा …”

“तुझे क्या लगा मां? बोल? बोल ना. अब गंदी बात कौन सोच रहा है?”

“चल बदमाश … वैसे बुर में केला तो तू रोज डालता है और खाता है …”

“बस वैसे ही केला गांड में डाल दूंगा … वो पिछले हफ़्ते जब तू हलुआ बना रही थी मां … और मैं वहीं खड़ा खड़ा तेरी गांड मार रहा था … याद आया?”

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“याद कैसे नहीं आयेगा मूरख … वो कढ़ाई उलटते उलटते बची थी नालायक”

“बस उस दिन मन में आ गया कि अगर वो हलुआ तेरी गांड में भर दूं और वहां से खाऊं तो क्या मजा आयेगा”

“अच्छा ये बात है … तभी एकदम से बीच में हुमक कर झड़ गया था … मैं भी अचरज में पड़ गयी थी कि आज क्या हुआ नहीं तो आधे घंटे तक मारे बिना मेरे को नहीं छोड़ता कभी … ओह … ओह … कैसी कैसी बातें करने लगा रे तू अब … देख ये बुर फ़िर बहने लगी”

“बहेगी ही, आखिर मेरी चुदैल मां की बुर है! आखिर बेटे को खिलाने में किस मां को मजा नहीं आता मां? सोच ले, मैं इंतजार करूंगा मां.”

“हां सोचूंगी मेरे लाल सोचूंगी, तू तो पागल है, पर अब चल ना, जल्दी चल बाथरूम में”

“चल अम्मा, उठा के ले चलता हूं.”

समाप्त

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