माँ बेटे का प्यार भाग 3

“बेटे एक बात कहूं?”

“हां बोलो मां, हुकुम करो. आज तो मजा आ गया मां तेरी मारने में … और वो केले भी क्या जायकेदार थे …. तेरी चूत का रस तो अमरित है मां अमरित. बोल क्या कह रही थी? और पिक्चर ले आऊं ऐसा ही? क्या बात है मां? चूतें भी भा गयीं आखिर तुझे.”

“हां बेटे, कितनी खूबसूरत थी वो दोनो औरतें और वो लड़की तो सच में बहुत सुंदर थी. मुझे कमला की याद आ गयी बेटे.”

“कौन कमला मां?”

“अरे वो मेरी चचेरी ननद की भांजी, बेचारी का कोई नहीं है, मां बाप बचपन में ही गुजर गये ना, वो उसकी मौसी ने ही पालपोसकर बड़ा किया है, वहीं रहती है, अब शादी की उमर हो गयी है करीब करीब.”

“हां तो अम्मा? चाची शादी रचा रही है उसकी?”

“हां बेटे … बोली नहीं पर लगता है मन में है उसके”

“चलो अच्छा है मां, लड़का देख तू भी उसके लिये”

“बेटे … तू कर ले ना उससे शादी.”

“मैं शादी वादी नहीं करने वाला अम्मा”

“अरे बहुत सुंदर लड़की है, जरा छोटी है, अभी उन्नीस की हुई होगी पर तू हां कहेगा तो मैं मना लूंगी सब को, आखिर मेरा बेटा भी तो जवान है, इतना कमाता है. वो लोग तो उछल पड़ेंगे, उनको भी कहां तुझसे अच्छा लड़का मिलेगा”

“अब मां, मैंने पहले ही कहा था कि शादी ब्याह की जरूरत नहीं है मुझे, तू जो है मेरी हर जरूरत पूरी करने को. और मैंने तेरे को वो मंगलसूत्र नहीं पहनाया था उस दिन?”

“अरे वो तो ऐसे ही … बदमाश कहीं का … मेरे को तेरा मंगलसूत्र पहना देख कर तेरा लंड ऐसा हो गया था जैसे लोहे की सलाख … वो बात अलग है बेटा … वो तो मेरे तेरे बीच की बात है”

“पर मां, मेरे लिये तो तू ही मां है, तू ही मेरी बीवी, लुगाई, सब कुछ. अब उस लड़की से शादी करके मैं क्या करूंगा?”

“अरे कर ले ना. सच में बड़ी रूपवती है. तुझे बहुत पसंद आयेगी. बहू घर में आये तो मुझे भी कुछ आराम मिलेगा.”

“तो क्या मैं तुझे इतना रगड़ता हूं कि तेरे को मेरे से आराम चाहिये?”

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“हंस रहा है ना, हंस, और हंस, तेरे को मालूम है कि तू मुझे चौबीस घंटे रगड़ेगा फ़िर भी मैं तेरे को आशिर्वाद ही दूंगे मेरे राजा. अरे घर का भी काम होता है, अब मेरी उमर हो चली है, घर के काम को तो जवान बहू चाहिये ना?”

“ऐसा बोल. पर अम्मा, घर में कमला हो ना हो, चोदूंगा तो मैं बस तुझे ही. अब वो बालिका घर में रहेगी तो उसे पता चल ही जायेगा कि ये बेटा अपनी मां के पीछे दीवाना है. तब वह हाय तोबा नहीं मचायेगी?”

“अरे मैं सब संभाल लूंगी. उसे बता भी दूंगी.”

अच्छा अम्मा? वो शादी को तैयार हो जायेगी अगर उसे पता चलेगा कि हमारे यहां तो मां बेटे का इश्क चलता है?

“शादी के बाद बताऊंगी. तब बच के कहां जायेगी? उसकी सुनता कौन है बाद में? शादी के बाद तो ऐसे जाल में फ़ंसा दूंगी कि पर मारेगी तो भी उड़ नहीं पायेगी.

“अच्छी डांट डपट के रखेगी? उससे काम करवायेगी अम्मा?”

“हां बेटे, घर का काम भी करवाऊंगी और … जरा अपनी भी सेवा करवाऊंगी.”

“अच्छा … अब समझा. अम्मा तू बड़ी चालू चीज है. बहू से सेवा करवायेगी, वो पिक्चर वाली सेवा? ओह अम्मा, क्या दिमाग पाया है तूने.”

“अरे तो क्या हुआ? तू ही कह रहा था ना आज कि अम्मा किसी को ले आऊं क्या चोदने को अगर तेरा मन नहीं भरता. तो अब बहू ही ले आ, मैं उसी से मन बहला लूंगी.”

“पर वो तो मैं किसी मर्द की बात कर रहा था, किसी तगड़े लंड वाले मर्द की. तेरी हवस क्या वो जरा सी छोकरी पूरी कर पायेगी? तेरे को चाहिये मस्त मूसल जैसा लौड़ा जो कभी ना झड़े”

“तेरा लंड क्या कम है? चूत में घुसता है तो स्वर्ग ले जाता है बेटे और गांड में … उई मां ऽ … हालत खराब कर देता है मेरी, तू नहीं जानता कि जब एक मां अपने बेटे का लंड पा लेती है तो उसे और कोई लंड नहीं भाता. तेरे बिना मैं किसी से नहीं चुदाऊंगी. हां कोई प्यारी सी लड़की मिल जाये तो बात और है. बहुत सुकून मिलेगा बेटे मुझे. तू नहीं जानता, तूने जो ये आग लगायी है मेरे बदन को वो बुझती नहीं है मेरे लाल. जब तू होता है तो अपनी अम्मा से चिपटा रहता है पर दोपहर को जब मैं अकेली होती हूं तो परेशान हो जाती हूं बेटे, मुठ्ठ मार कर भी आराम नहीं मिलता. वो केले, ककड़ी, गाजर – सब नाकारा हो जाते हैं. और जब तू काम से शहर के बाहर जाता है तो …. मैं पागल सी हो जाती हूं बेटे. ये जो पिक्चर तू लाता है ना, उन्हें देख देख कर अब मेरा भी मन होता है किसी औरत के बदन से बदन लगाने का. अगर बहू ले आये तो दोनों काम हो जायेंगे.”

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“चलो, मेरी अम्मा को और कोई तो मिला प्यास बुझाने को पर क्या हुआ अम्मा, एकदम से कमला कैसे खयाल में आ गयी तेरे? ऐसी क्या खास बात है उसमें? या तेरी बुर कुलबुलाती है उसकी कमसिन जवानी देख कर,अब मेरे को पता चला है कि तेरा कोई भरोसा नहीं मां”

“खास बात है ना उसमें. हमारे यहां बहू लानी हो तो जरा देख भाल कर चुननी पड़ेगी बेटे. और कमला में वो सब बातें हैं. वो सुंदर तो है ही, जरा चालू चीज भी है. मार खा चुकी है अपनी मौसी से कई बार. असल में एक दो बार पकड़ी गयी थी वहां की नौकरानी चंपा के साथ कुछ कर रही थी.”

“अच्छा! अब समझा. तो कल जैसी पिक्चर में हीरोइन बनने लायक है?”

और क्या? पिछली बार जब मेरी ननद ने पकड़ा तो छत पर के कमरे में चंपा की टांगों के बीच मुंह दे कर बैठी थी बदमाश. तेरी चाची तो हाथ पैर ही तोड़ देती उसके, मैंने ही मना लिया कि शुकर करो किसी लड़के या मर्द के साथ मुंह काला नहीं किया. तब छोड़ा उसे. फ़िर भी कस के दो चार जड़ ही दिये थे उसको. रो रही थी तब मैंने ननद को नीचे भेजा और कमला को मना कर चुप किया. मुझे लिपट कर सहम कर बैठी ती बेचारी. मैंने तब हौले हौले उसकी छाती भी टटोल ली बेटे, छोटे छोटे हैं मम्मे पर एकदम अमरूद जैसे सख्त हैं, दबाने में मजा आयेगा”

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