चूत की चुदाई कहानी मेरी ज़ुबानी

फिर वो मेरी कमीज़ उपर करके मेरी नाभि को चूमने लगी और देखते ही देखते भाभी ने मेरे कपड़े उतार दिए और खुद के कपड़े भी उतार दिए. अब हम दोनो नंगे थे एक-दूसरे के सामने. वो रात को मई ब्रा-पनटी नही पहनती और इतेफ़ाक़ से भाभी भी रात को ब्रा पनटी निकाल कर सोती थी.

फिर भाभी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गयी. वो मेरे बूब्स के निपल चूसने लगी और एक हाथ मेरी छूट पर फेरने लगी. मेरे मूह से आह.. ऑश.. अफ.. की सिसकिया निकल रही थी. फिर मई बोली-

मई: ओह भाभी! आपने मुझे बहुत गरम कर दिया है.

भाभी: हा अंजू, आज तुमको मई बहुत मज़ा देने वाली हू. बस तुम मज़े लेती रहो.

वैसे मुझे घर मे सब अंजू बुलाते है.

मई: ओह मेरी भाभी.

भाभी: अंजू तुम्हारे बूब्स बहुत कड़क हो गये है और तुम्हारी छूट भी बहुत गीली हो गयी है. तुम्हारी छूट का सारा पानी मेरी उंगलियो से लिपट गया है.

मई: हा भाभी बहुत मज़ा आ रहा है.

और फिर हम दोनो 69 की पोज़िशन मे आ गये. वो मेरी छूट चाटने लगी और मई उनकी छूट चाटने लगी. बहुत अछा लग रहा था मुझे. भाभी की छूट भी बहुत गीली हो गयी थी.

मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था. भाभी अपनी पूरी जीभ मेरी छूट मे घुसा रही थी और मई उनकी छूट के बीच मे अपनी जीभ रब कर रही थी.

मुझे छूट चाटना नही आता था, पर फिर भी जितना आता था, उतना कर रही थी. लेकिन भाभी तो बड़े मज़े से मेरी छूट को चाट रही थी. उसके बाद फिर भाभी घपा-घाप मेरी छूट मे उंगली करने लगी और मुझे काफ़ी दर्द होने लगा था.

भाभी उंगली करने के साथ मे मेरे बूब्स को भी दबा रही थी. फिर लास्ट मे भाभी मेरी छूट का सारा पानी पी गयी और भाभी की छूट का पानी मई पी गयी.
उस रात के बाद, जब भी भैया आउटडोर होते थे, तब हम दोनो लस्बियान सेक्स करती थी.

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लेकिन अब मेरी छूट भाभी की उंगलियो से शांत नही होती थी. फिर भाभी बोली-

भाभी: अंजू अब तुम्हारी छूट को एक मर्द का बड़ा लंड चाहिए, जिससे तुम्हारी छूट शांत होगी.

मई: भाभी ये लंड क्या होता है?

भाभी: क्या तूने कभी लंड नही देखा?

मई: भाभी मैने कभी सुना नही लंड के बारे मे, की वो क्या होता है. तो मई उसको देखूँगी कहा से.

भाभी: ओह अछा. चल ठीक है, अब मई तुमको दिखौँगी लंड और तुम्हारी छूट मे डालवौनगी भी.

मई: हा, पर ये लंड मिलता कहा है?

भाभी: अर्रे ये कही मिलता नही. ये बाय्स के पास होता है. जैसे हमारे पास छूट है, वैसे बाय्स के पास लंड होता है.

मई: ओह अछा? तो मुझे कैसे मिलेगा ये बॉय वाला लंड?

भाभी : वो मेरा एक कॉलेज टाइम मे बाय्फ्रेंड था. उसका लंड तुमको मिलेगा.

मई: नही भाभी, मई किसी बाहर के बॉय का लंड नही लूँगी.

भाभी : तो फिर तुझे किसका लंड चाहिए ?

मई: वो भैया भी तो एक बॉय है ना. उनके पास भी तो लंड होगा ना. मुझे भैया का लंड चाहिए.

भाभी: चल हॅट! तुमको मेरे पति का लंड चाहिए? नही-नही.

मई: भाभी प्लीज़ एक बार. और फिर भले ही आप मुझे बाहर का लंड दिला देना. अभी घर का ही लेना है मुझे. क्यूकी इससे घर की बात घर मे ही रहेगी.

फिर भाभी ने हा कर दी. लेकिन भाभी के दिमाग़ मे कुछ और भी था. वो आपको बाद मे पता चलेगा. मुझे विकास भैया का लंड बहुत पसंद था. मई उनको देखा करती थी, जब वो बातरूम मे नहाने जाते थे. और मई सब जानती थी, लंड, छूट, सेक्स सब. मई बस भाभी के सामने नाटक कर रही थी.

भाभी: अंजू तुझे मई पहले अपनी चुदाई दिखौँगी , ताकि तुझे पता चले, की कैसे चुदाई होती है और एक मर्द कैसे एक लड़की की छूट मे अपना लंड डालता है. उसके बाद तेरी और तेरे भैया की चुदाई फिक्स करूँगी. ठीक है?

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मई: ओक भाभी.

और फिर हम दोनो अपने-अपने काम मे लग गये. मुझे भाभी ने पहले बता दिया था, की उस रात मई उनकी चुदाई देखु और फिर सुबा हम बात करेंगे.

अब उस रात को क्या हुआ, और कैसे भैया-भाभी की चुदाई हुई. वो सब आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा.

तो फ्रेंड्स कैसी लगी मेरी ये न्यू चुदाई की कहानी. प्लीज़ मुझे कॉमेंट्स करना.
कहानी अभी भी बाकी है और मज़ेदार भी होगी.

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