कुवारी चुत का सील थोड़ डाला

यह कहानी कुछ वक़्त पहले की है… जब मैं ब.स्क के पहले साल मैं था और मेरी क्लासमेट संगीता थी… जिस-से मेरी दोस्ती क्लास मैं हे हुई थी. वो देखने मैं सुंदर और सेक्सी थी और थोड़ी भावुक किस्म की थी. दोस्ती के बाद से हम दोनो क्लास मैं एक हे बेंच पर आजू-बाजू मैं बीतते थे.

कुछ हे दिन मैं हम आपस मैं बहुत घुल-मिल गये थे और कभी-कभी तो कॉलेज से बंक मार कर बाहर घूमने चासले जाते थे. हम दोनो जब भी बाहर जाते थे हमारे जिस्म जब भी एक-दूसरे से टच हो जाते थे तो मेरे जिस्म मैं 110000 वॉल्ट का करेंट दौड़ने लगता था और मेरा 8 इंच लूंबा और 3 इंच मोटा लंड खड़ा होने लगता था. यूयेसेस वक़्त मेरे दिमाग़ मैं अजीब से ख़याल आने लगते थे और मुझे उसे बार-बार चुने का मॅन कराता था.. मुझे यह बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन हम माल मैं घूमने गये… तो उसने कहा- लिफ्ट से चलते है. लिफ्ट मैं हम दोनो हे थे और मैने मौका पाकर उसके होतो पर चुंबन कर दिया और उसके गोल-गोल मुम्मो को ज़ोर से दबा दिया.

वो गुस्सा हो गयी और मुझसे बोलने लगी- यह ग़लत है… और मुझसे दोड हूट गयी.

मई चुप हो गया.. लेकिन यूयेसेस दिन के बाद बस दिल की एक हे खावहिश थी… उसे छोड़ने की..

उसका फिगर साइज़… करीब 32-30-32 का था.. वो भौत मस्त लगती थी. लेकिन यूयेसेस दिन के बाद वो मुझे अपने जिस्म से हाथ भी नही लगाने देती थी. इस घतना के बाद मैने उसे बहुत बार बाहर चलने को और सेक्स करने को कहा… लेकिन वो हमेशा माना कर देती थी. आब मुझे यूयेसेस पर बहुत गुस्सा आने लगा था… और हर वक़्त यह ही सोचता था की जब भी मौका मिलेगा मैं इससे ज़रूर चोदूगा … चोद हे डालूँगा… एक दिन शाम को मैं अपने दोस्त के शॉप पर घूमने के लिए गया.

मेरा दोस्त मेडिसिन की शॉप पर जॉब कराता था.

जब मैं उसके पास पहुचा तो उसने पूछा- क्यू परेशान है?

मैने उसे अपनी और संगीता की सारी कहानी बता दे.

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तो उसने कहा- बस इतनी से बात से परेशान हो… तू चिंता मत कर… तेरी संगीता को मैं चुदया दूँगा. बस तू तैयार हो जा.

मुझे लगा… यह मेरी टाँग खींच रहा है.

फिर चलते वक़्त मेरे दोस्त ने मुझे दो गोलिया दे और बोला- एक तू खा लेना और एक गोली किसी खाने की चीज़ मैं मिला कर संगीता को खिला देना.

मैने कहा- ठीक है.

मई घर आ गया… लेकिन मुझे यकीन नही हो रहा था की गोली से कुछ होगा. मैं सोच रहा था की क्या एक गोली कुछ कर सकती है…जो लड़की हाथ नही लगाने देती… वो छोड़ने कैसे देगी?

फिर मैने सोचा… कुछ तो होगा हे… फिर मैं दूसरे दिन गोली ले कर कॉलेज गया और सारा दिन संगीता को बाहर घूमने के लिए मानता रहा लेकिन वो बार-बार माना कर रही थी. शायद मेरी पिछली हरकत की वजह से.

लेकिन जब मैने वादा किया की मैं उसे हाथ नही लगौँगा… तो वो मन गयी और उसने अगले दिन चलने के लिए कहा. फिर कॉलेज ख़त्म होते हे हम अपने-अपने घर चले गये.

आब तो मैं अगले दिन के लिए बहुत खुश भी था और परेशान भी… की क्या होगा. मेरा प्लान पूरा होगा या नही.

आख़िर अगला दिन आ हे गया और मैं कॉलेज के बाहर इंतेज़्ज़र करने लगा.थोड़ी देर बाद संगीता आ गयी… आज उसने ब्लू जीन्स और गुलाबी रंग की स पहना था.. जिस्मै से उसकी तनी हुई चूचिया सॉफ दिख रही थी और वो बड़ी सेक्सी लग रही थी. उसे देख कर मेरा लंड फुदकने लगा. मुझ पर चुदाई का बहोत चढ़ने लगा.

मई बाहर घूमने जाने के हिसाहब से अपना बाग लाया हे नही था और संगीता ने अपना बाग अपनी सहाली के पास चोद दिया और हम दोनो घूमने चल दिए. घूमते-घूमते हम लोग बाते करते हुए बिग-बाज़ार पहुच गये. बिग-बाज़ार मैं मैने कॉफी के लिए बोला… वो मन गयी और हम टेबल देख कर बैठ गये. मैं कॉफी लेने चला गया.. मैने कॉफी ले और दोनो कॉफी मैं अपने दोस्त के दे हुई गोलिया डाल दी… और लाकर एक कॉफी संगेता को दे डी और एक खुद पेसेनए लगा.

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हम दोनो कॉफी पीने लगे और कॉफी पीने के बाद थोड़ी देर माल मैं घूमे और फिर बाहर निकल आए… सड़क पर बाते करते हुए चलने लगे. कॉफी पिए हुए हमे आधा घंटा हो चुका था और मुझे थोड़ी बेचैनी होने लगी थी, साथ हे मेरी धड़कने भी बढ़ने लगी थी. मुझे संगीता को चुंबन करने का दिल करने लगा.

तोड़ा आगे चलने के बाद सड़क के किनारे पैएड-पौधो के कारण घाना जंगल सा झुर्मुट था… उधर झाड़िया भी थी… तो झाड़िया देख कर संगीता ने मुझे उधर खड़ा कर दिया और खुद झाड़िया के पीछे पेशाब करने चली गयी.

दो मिनिट बाद मुझसे रुका नही गया और मैं भी उसके पीछे चला गया. वो मुझे देख कर खड़ी हो गयी और पूछने लगी- तुम यहा क्या कर रहे हो?

तो मैं कुछ नही बोला और उसे अपनी बाहो मैं जाकड़ लिया.

मई उसे तेज़-तेज़ चुंबन करने लगा… और उसके मुम्मो को दबाने लगा. वो मुझसे चुतने की कोशिश करने लगी. कुछ मिनिट तक मुझसे ज़डो-ज़हद करने के बाद उसे भी माज़ा आअनए लगा था और उसने मेरा विरोध करना चोद दिया. आब वो भी मुझे चुंबन करने लगी, उसे भी माज़ा आने लगा. फिर मैं अपना एक हाथ उसकी चुत पर ले गया और सहलने लगा, मैं साथ मैं उसे चुंबन करते जा रहा था. आब तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी तभी मैने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो मेरे लंड को पेंट के उपर से हे मसालने लगी. मैने सोचा आज तो मेरा काम हो गया…

आब वो गरम होने लगी थी और उसके मूह से आवाज़े निकल रही थी- आ… आहह.. आ.. और तेज़-तेज़ मुममे दबयो…

आब हुमको एस्सा करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. अचानक मुझे किसी के आने आहत लगी तो हम अपने कपड़े ठीक करके सड़क पर निकल आए. लेकिन आब वो बहुत हे गरम हो चुकी थी और मुझे चुदसी नॅज़ारो से देख रही थी. हम सड़क पर चलने लगे… थोड़ा आगे हे एक गेस्ट-हाउस था.. और वो उसके सामने जाकर रुक गयी.

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