कुवारी चुत का रास

जब बात मेरी बर्दाश्त के बाहर हो गयी तो मैंने उसकी चूत को बहाने से अपने अंगूठे से छूना शुरू कर दिया. उसकी चूत की सरहदों तक मेरा अंगूठे की पहुंच जा चुकी थी. बार-बार मेरा अंगूठा उसकी चूत पर फंसे जांघिया को उठा कर अंदर तक एक राउंड लगा कर आ रहा था. मगर अभी तक चूत को छूने का सौभाग्य नहीं मिला था.

पायल की आंखें बंद होने लगी थीं और उसके होंठ खुलने लगे थे. चेहरे पर शर्म और हवस के मिले जुले भाव बता रहे थे कि उसकी चूत को लंड की दरकार जल्द ही होने वाली है. मैंने अपने जांघिया की तरफ झांक कर देखा तो लंड के टोपे के ऊपर कामरस का धब्बा बनने लगा था.

अब बात बर्दाश्त के बाहर जा रही थी. मैंने पायल की जांघों को थोड़ा और जोर से मसलना शुरू किया. अब मैं बहाने से उसकी चूत तक अपनी उंगलियों की पहुंच बना रहा था. जब पहली बार उसकी नर्म चूत की फांकों तक मेरी उंगली पहुंची तो उस अहसास ने सारे बंधन तोड़ने पर मजबूर कर दिया.

पायल की तरफ से भी कोई विरोध होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा था. मैंने उसकी चूत को कभी अपने अंगूठ और कभी अपनी उंगलियों से छूना शुरू कर दिया. उसकी जांघिया के अंदर पहुंच कर मेरे हाथ की उंगलियां उसकी गर्म भट्टी की गर्मी को महसूस करके आ रही थीं.

अब शायद उस जवान कुंवारी चूत की कामवासना भी कामरस के रूप में अपनी बेचैनी को बयां कर रही थी. उसकी जांघिया गीली होने लगी थी. इधर मेरे लंड का भी बुरा हाल था. मैंने हिम्मत की और उसकी चूत तक पूरा हाथ ले गया.

जैसे उसकी चूत पर मेरा हाथ लगा तो लंड टनटना गया. पायल के मुंह से हल्की सी सिसकारी के रूप में कसक सी बाहर निकली और मैं समझ गया कि अब अगर देरी की तो मामला बिगड़ जायेगा.
मैंने कहा- बेटा, कैसा लग रहा है?
वो बोली- अच्छा लग रहा है नानू.
मैंने बोला- क्या मैं तुम्हारे जांघिया को उतार दूं, अगर नहीं उतारा तो इस पर तेल के दाग लग जायेंगे.

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वो बोली- उतार दो नानू.
उसके जवाब में समर्पण की सहमति भी छिपी हुई थी.
मैंने बिना पल भर की देर किये उसकी जांघिया को खींच कर उसकी जांघों से निकाल दिया. उसकी गुलाबी, कुंवारी और कमसिन चूत को देख कर जैसे मन प्रफुल्लित हो उठा.

बहुत दिनों के बाद एक कच्ची कली की चूत के दर्शन हुए थे. मालिश का तो बहाना था. मैंने बार-बार उसकी चूत को अपने अंगूठे से रगड़ना शुरू कर दिया. नातिन की चूत से निकल रही कामरस की बूंदें उसकी उत्तेजना की गवाह थीं.

मैं भी उसको और गर्म कर रहा था ताकि वो खुद ही अपने मुंह से कहे कि मेरी चूत को अब उसके नानू का लंड चाहिए. मैंने उसकी जांघों के इर्द-गिर्द ही अपना ध्यान केंद्रित कर लिया और उसकी टांगें अब खुद ही फैल गयीं.

उसकी चूत को देख कर मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मगर जब तक वो अपने चरम पर पहुंच कर खुद लंड लेने के लिए उतावली न हो जाये तब तक मैं किसी तरह खुद को रोके हुए था.
मैंने कहा- पायल बेटा, ऊपर वाले हिस्से की मालिश भी करवाना चाहोगी क्या?

वो बोली- हां नानू.
मैंने कहा- तो फिर अपनी कमीज को उतार दो.
वो उठी और एक झटके में अपनी कमीज को अपने धड़ से अलग कर दिया.

पायल ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसकी मीडियम साइज की चूचियां देख कर मैं पगला गया. गोरी गोरी चूचियां और उनके बीच में पहाड़ की चोटी के समान नुकीले गुलाबी निप्पलों को अपनी आंखों के सामने नंगे देखना किसी भी मर्द को उसकी जवानी का कायल बना सकता था.

मेरी नातिन कामदेवी का दूसरा रूप लग रही थी. ऐसे तराशा हुआ बदन तो अप्सराओं का ही होता है. बनावट में कहीं से भी रत्ती भर का खोट नहीं.
मैंने अपनी हथेलियों पर थोड़ा तेल और लिया और उसके पेट पर मालिश करते हुए उसके जवान कसे हुए उभारों तक ले जाने लगा.

अब तो किसी तरह की शर्म लिहाज रहने का सवाल नहीं रह गया था. अगली ही बार में मेरे हाथ उसकी चूचियों पर थे. उसकी चूचियों को मसलते हुए मैंने उनको ही मालिश का केंद्र बना लिया. बार-बार उसके पेट से होते हुए उसकी चूचियों पर हथेलियों को ले जाकर उसके उभारों को दबाने लगा था मैं.

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पायल का बदन कांपने लगा था और मेरी टांगें. इतनी कामोत्तेजना एक अरसे के बाद ही बदन में महसूस हुई थी. मैं उसके संगमरमर जैसे बदन को जितनी देर हो सके, उतनी देर तक भोगना चाह रहा था. उसकी चूचियों को दबाते हुए अब उसकी चूत को रगड़ रहा था.

वो अब अपनी गांड को उठा कर ऊपर की तरफ लाने लगी थी. ऐसे तड़प रही थी जैसे कामदेवी उसके शरीर में प्रवेश कर गयी हो. मैंने उसकी चूचियों को जोर से दबाया तो उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी- आह्ह … नानू … इस्स … ऐसा मत करो.
मैंने कहा- क्या हुआ बेटा!

उसने कोई उत्तर न दिया और अपनी आंखें बंद करते हुए फिर से लोचने लगी. नागिन की तरह बलखाता हुआ बदन जैसे किसी से लिपट जाना चाह रहा था. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी. उसकी कुंवारी चूत में उंगली गई तो उसने मुझे अपने पास ही खींच लिया.

मेरी उत्तेजना से कहीं ज्यादा प्रबल उसकी उत्तेजना का आवेग था. मुझे अपने पास लिटा कर वो मेरे बदन से लिपटने लगी और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. उसकी चूत मेरे जांघिया पर आकर लगने लगी. वो बार-बार अपनी चूत को मेरे जांघिया में तने हुए मूसल पर रगड़ रही थी.

हाल दोनों का ही बेहाल हो गया था. मैंने उसके अधरों का रस पीते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली से चोदन शुरू कर दिया. उसकी चूत से निकल रहा रस उसकी गर्म चूत को और ज्यादा मादक और मेरे लंड को और ज्यादा उतावला कर रहा था.

अब मैंने पायल के होंठों को छोड़ कर उसके कबूतरों को भींचते हुए उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया. वो अपने हाथ से मेरे लंड को जांघिया के ऊपर से ही मसलने लगी.

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