मेरे घर में मै माँ और पिताजी ही थे..मेरी उमर उस समय २५ साल की थी मेरा लंड ७.५ लंबा और २.५ इंच मोटा है..लेकिन मुझे सेक्स का कोई अनुभव नही था..हाँ मूठ मार लेता था..
मै इंजीनियरिंग कर चुका था और अभी नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहा था. एक दिन , सुबह ७:०० ऍम पर मै जब उठा और बाथरूम जा रहा था की घर की दरवाजे की घंटी बजी..खोल के देखा तो मेरी मौसी का लड़का रमेश और उसकी बीवी रचना आए है.
माँ ने तुरंत देखा और कहा आओ आओ दोनों ने अपना समान अन्दर रखा और माँ को प्रणाम किया थोड़ी देर कुछ बात करने के बाद भाभी तुरंत किचेन में माँ के साथ काम करने लगी पिताजी बाथरूम से निकले और कपड़े पहन कर काम पर जाने के लिए तैयार हो गए..
तब रमेश और भाभी ने पिताजी को भी प्रणाम किया सबने मिल कर नाश्ता किया.फ़िर रमेश ने कहा की गाव में उसका कोई काम नही चल रहा है और घर की हालत ख़राब होती जा रही है इसलिए मौसी ने कहा है की शहर में जाकर कोई काम ढून्ढो…जब तक रहने का इंतज़ाम नही होता तब तक यहाँ रुकेंगे..
अगर माँ पिताजी चाहे तो..माँ पिताजी दोनों ने कहा कोई बात नही..हमारा घर बड़ा है..एक कमरा उन्हें दे दिया मेरे बाजू वाला…और कहा पहले नौकरी देखो बाद में घर दूंढ लेना..नाश्ता करने के बा???
रमेश भी फ्रेश होकर नौकरी की तलाश में निकल गया. . रमेश के जाने के बाद भाभी माँ के साथ घर के काम में लग गई मै स्नान करने बाथरूम में गया और तैयार होकर बाहर आया.
भाभी मेरे साथ थोड़ी देर बैठ कर बाते करने लगी..थोड़ी देर में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई..भाभी का रंग गोरा था.और चुन्चिया एकदम कसी हुयी..पतली कमर…गोल उभरी हुई गांड….कुल मिलाकर भाभी एक चोदने की चीज़ थी..लेकिन अभी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही आया . मुझसे बात करते हुए वो काम भी कर रही थी.
शाम को रमेश वापस आया..उसे एक नौकरी मिल गई थी किसी लेथ मशीन पर.वो लेथ मशीन का ओपेरटर था..और उसकी तनख्वाह थी २०० रुपये रोज की. . दो दिन ऐसे ही बीत गए..मै उनके कमरे के बाजु वाले कमरे में ही सोता हु..दोनों कमरों के बीच की दीवार ऊपर से खुली है..
रात को दोनों के बीच झगड़ा होता था…भाभी की आवाज़ मैंने सुनी…तुम फ़िर से झड़ गए..मेरा तो कुछ हुआ ही नही…फ़िर से करो ना..लेकिन रमेश कहता था.तेरी चूत कोई घोडा भी चोदेगा तो ठंडी नही होगी..मुझे स???ने दे..ऐसा दो रात हुआ..भाभी उठ कर बाथरूम जाती थी फ़िर बड़बढ़ाते हुए वापस आ कर सो जाती थी.. भैय्या कहते थे..तू बहुत चुदासी है..तुझे संतुष्ट करना मुश्किल है..ख़ुद ही अपने हाथ से आग बुझा ले..
तीसरे दिन , पापा और रमेश नाश्ता करके अपने काम पर चले गए मै लेता था..भाभी मेरे कमरे में आई और कहा की नाश्ता करने चलो..माँ शायद बाथरूम में थी..मैंने किचेन में जा कर नाश्ता करना शुरू किया.भाभी मेरे एकदम से क़रीब आई और बड़े प्यार से बोली संजय..एक बात पूंछू ? मैंने कहा पूंछो ..भाभी बोली “किसी से बताओगे तो नही?” मैंने पूंछा ऐसी कौनसी बात है?और आप तो जानती हो मै चुगली नही करता. . भाभी फिर से बोली मै जानती हु लेकिन आप प्रोमिस दो आप किसी को नही बताएँगे मैंने कहा हाँ मै प्रोमिस देता हु..
तब भाभी ने धीरे से कहा मेरे और तुम्हारे भैय्या के लिए कोक शास्त्र ला दो., मैंने पूंछा ..क्यो? भाभी ने कहा तुम्हारे भाई को औरत की कैसे चुदाई की जाती है वो सीखना पड़ेगा वो मुझे संतुष्ट नही कर पता. मै ने कहा ठीक है मै ला दूंगा मै सुबह मार्केट में गया और एक बुक स्टोर से अच्छा कोक शास्त्र और दो चुदाई की कहानी की पुस्तक ले आया.
घर आकर मैं ने चुदाई की पुस्तके पढी..मेरा लंड खड़ा हो गया..मैंने मूठ मारी..और पहली बार मुझे भाभी को चोदने का ख़्याल आया. कोक शास्त्र में चुदाई की कई तस्वीरे थी..फ़िर मैंने भाभी को तीनो पुस्तके दे दोपहर का खाना खाने के बाद भाभी वो पुस्त ले कर अपने कमरे में चली गई..
पुस्तक पढते हुये वो गरम हो गई..मैंने दरवाजे से देखा वो अपने चूत में हाथ दल के मसल रही थी.. रात को डिनर के बाद १० :३० बजे सब अपने बेडरूम में सोने गए मै ड्राइंग रूम में बैठ कर भाभी और रमेश भाई जो बात कर रहे थे वो सुन रहा था , रमेश ने भाभी की चुदाई की लेकिन उसे संतुष्ट नही कर सका और रोज की तरह जल्दी ही झड़ गया….
भाभी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो सुनता ही नही था उसने कहा मुझसे फालतू बात मत कर तू कभी भी संतुष्ट नही होगी , अखिर में भाभी रूम से बाहर निकली और बाथरूम में गयी ,
बाथरूम से जब वापस आयी तब मैंने भाभी को रोका और भाभी का एक हाथ पकड़ के मेरे गरम लंडपर रख दिया , भाभी में मेरे लंड पर प्यार से हाथ फेरा और बोली ये तो बहुत बड़ा लंड है ..मैंने कहा जब लंड बड़ा और मज़बूत होगा तभी ज्यादा मजा भी आयेगा..
भाभी बोली लगता है एही सच है..लेकिन ये तो मेरी चूत फाड़ देगा भाभी ने कहा आप मूठ मत मरना संजू भाई मै रमेश के सोने के बाद तुमसे चुदाने आऊंगी , ये कह कर मेरे लंड को दबा के वो अपने रूम में चली गई.., जाते ही रमेश बोला यह दूध में शक्कर डाला ही नही है जाके शक्कर मिला के लाओ. भाभी बिना कुछ कहे वो दूध लेके बाहर आयी, और मुझे इशारे से किचेन में बुलाया..मै उनके पीछे किचेन में गया, भाभी धीरे से बोली कोई नींद की गोली है?मैंने कहा बहोत सी है , ममी पहेले लेती थी , मैंने दो गोली निकल के दी भाभी ने दोनों गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाली फिर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया ,
फिर वो बोली मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ मैंने पाजामे से लंड बाहर निकला और भाभी के हाथ में दिया…भाभी उसे देख कर हैरान हो गई और बोली..बाप रे इतना लंबा और इतना मोटा..कितना सलोना और तगडा है आज मुझे इस लंड से चुदाना ही है..तुम आज मेरी चूत फाड़ दोगे…मेरा ७.५ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा लंड उन्होंने हाथ में ले करा सहलायऍ ? , फ़िर कहा..आज मुझे पूरी औरत बना देना वैसा बोलके दूध अपने साथ लेके वो बेडरूम में चली गयी .
मै अपने बिस्तर पर आ कर लेट गया और भाभी का इंतज़ार करने लगा..मेरा लंड भी बेताब हो गया था..मैंने पुस्तक में जैसा पढ़ा था और जो चुदाई की स्टाइल के तस्वीर देखी थी उन्हें याद करने लगा रात को डिनर के बाद १०:३० बजे सब अपने बेडरूम में सोने गए मै ड्राइंग रूम मेंबैठ कर भइया भाभी की चुदाई के मजे ले रहा था..आज भी रमेश जल्दी ही झड़ गया.