शादीशुदा समीना का अनोखा रिश्ता Part 2

अगली सुबह जमाल नाश्ता कर के अपने दफ़्तर जाने के लिये तैयार हुआ और साढ़े नौ बजे के करीब अपनी कार में बैठ कर निकल गया। समीना को भी एक किट्टी-पार्टी में जाना था तो वो भी तैयार होने लगी। टॉमी उसके पीछे-पीछे अपनी दुम्म हिलाता हुआ फिर रहा था और समीना जानती थी कि वो उसे खुश करने की कोशिश कर रहा है। समीना ने बड़े प्यार से उसके सिर सहलाते हुए कहा कि उसके पार्टी से वापस लौटने तक सब्र करे। फिर समीना हमेशा की तरह नये फ़ैशन का डिज़ाऑयनर सलवार-कमीज़ पहन कर अच्छे से तैयार हुई और साथ में पाँच इंच ऊँची पेन्सिल हील के बेहद सैक्सी सैंडल पहने। फिर वो ग्यारह बजे के करीब ड्राइवर के साथ मर्सिडीज़ कार में पार्टी में जाने के लिये निकल गयी। ये अमीर घरों की औरतों की किट्टी-पार्टी थी जिसमें हर दो हफ़्ते में एक बार बीस-पच्चीस औरतें सज-धज कर शरीक़ होती थीं और पैसे लगा कर ताश खेलती… इधर-उधर की बातें और गॉसिप करतीं थीं। इसके अलावा शराब पीना इन किट्टी-पार्टियों में मामुल था। उस दिन समीना ने पार्टी में काफी इंजॉय किया। जब वो चार घंटे बाद वहाँ से निकली तो काफी शराब पी हुई थी और काफ़ी नशे मे थी लेकिन नशा इतना भी नहीं था कि वो खुद को संभाल ना सके।

घर पहुँच कर ड्राइवर ने कार गेट के अंदर ला कर जैसे ही खड़ी की तो टॉमी भागता हुआ कार तक आया। समीना कार से उतरी तो टॉमी हमेशा की तरह प्यार से उसके सैंडल और पैर चाटने लगा। फिर चौंकीदार ने गेट बंद किया और समीना घर के अंदर की तरफ़ चल दी। चलते हुए उसके कदम ज़ाहिर तौर पे नशे में थोड़े लड़खड़ा से रहे थे। चौंकीदार और ड्राइवर के लिये नयी बात नहीं थी इससे पहले भी बहोत बार उनकी मालकिन कभी अपने शौहर के साथ और कभी अकेली इससे भी ज्यादा नशे की हालत में घर वापस आयी थी। समीना थोड़ा लड़खड़ाती हुई अंदर जा रही थी और टॉमी भी समीना के पीछे-पीछे था अठखेलियाँ करता हुआ… कभी उससे आगे निकलता तो कभी पीछे चलने लगता और कभी उसकी टाँगों से अपना जिस्म सहलाता। समीना उसकी हरकतों को देख-देख कर मुस्कुरा रही थी कि कैसे वो अपनी मालकिन को खुश करने की कोशिश कर रहा है ताकि आज फ़िर वो कल वाला खेल खेल सके। समीना की मुस्कुराहट टॉमी को बता रही थी के उसकी मालकिन को भी कोई एतराज़ नहीं है।

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घर के अंदर आकर समीना ने अंदर से दरवाज़ा लॉक कर लिया। अब वो घर के अंदर टॉमी के साथ बिल्कुल अकेली थी। उसे थोड़ी सी बेचैनी भी हो रही थी कि पता नहीं अब क्या होगा। समीना सोफ़े की कुर्सी पर बैठी थी और टॉमी भी उसके करीब ही नीचे ज़मीन पर इधर-उधर फ़िर रहा था… समीना के इर्द गिर्द… उसको लुभाने और अपनी तरफ़ मुत्वज्जाह करने के लिये। समीना ने टेबल पर प्लेट में रखी ब्रेड का एक टुकड़ा कुछ दूर नीचे क़लीन पर फेंका और टॉमी को उसे खाने का इशारा किया। टॉमी ने उस ब्रेड के टुकड़े की तरफ़ देखा और फ़िर से अपना सिर समीना के पैरों पर रगड़ते हुए समीना के गिर्द घूमने लगा। समीना ने दो चार टुकड़े ब्रेड के और भी नीचे फ़ेंके मगर टॉमी ने उनकी तरफ़ भी तवज्जो नहीं दी। समीना समझ गयी कि आज टॉमी की दिलचस्पी कुछ खाने पीने में नहीं बल्कि उसके साथ कल वाला खेल खेलने में है।

कुछ देर के बाद समीना अपनी जगह से उठी और अलमारी में रखे हुए कुत्तों के स्पेशल बिस्कुट निकाल कर एक प्लेट में रख कर नीचे कार्पेट पर टॉमी के आगे रखे। टॉमी उनको खाने लगा और समीना टॉमी को वहीं किचन में छोड़ कर अपने कमरे में आ गयी। समीना ने अपने कमरे में आते ही सैंडल छोड़ कर अपने बाकी सारे कपड़े उतार दिये और बाथरूम में चली गयी फ्रेश होने के लिये। समीना फ्रेश होकर फ़ारिग़ हुई तो कपड़े पहनने की बजाय एक बड़ा सा तौलिया अपने जिस्म पर लपेट कर बाहर निकल आयी। तौलिया उसके मम्मों के ऊपरी हिस्से से ले कर उसकी आधी रानों तक था और बाकी का पूरे का पूरा गोरा-गोरा जिस्म बिल्कुल नंगा था। समीना के लिये ये कोई नयी बात नहीं थी। वो अक्सर नहाने के बाद भी ऐसे ही बिना तौलिया लपेटे ही बाहर आकर सबसे पहले अपने सैंडल पहनती और फ़िर बाल ब्रश करने के बाद फ़िर कपड़े पहनती थी। आखिर घर के अंदर और कोई होता ही नहीं था तो वो किससे डरती या पर्दा करने की कोशिश करती। आज भी समीना नहा कर तौलिया लपेट कर बाहर आयी और बेडरूम में सोफ़े की कुर्सी पर बैठ गयी। सैंडल तो उसने पहले उतारे ही नहीं थे।

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समीना उसे कह तो रही थी मगर उसे अपने पास से हटाने के लिये कोई ज़ोर नहीं लगा रही थी। बल्कि उसके सिर पे हाथ फेरते हुए उसे पीछे हटाना चाह रही थी। मगर टॉमी कहाँ मानने वाला था। था तो कुत्ता ही ना… उसने भला किसी की क्या बात माननी है। वो अपनी मर्ज़ी की मुताबिक़ नीचे समीना के सैंडलों के तलवों से ले कर उसकी घुटनों तक उसकी टाँगों को चाटने लगा और अपनी लंबी सी गुलाबी गीली-गीली ज़ुबान से समीना की टाँगों को गीला करने लगा। बूरा तो समीना को भी नहीं लग रहा था। अभी जो काफ़ी देर तक यहाँ बैठी वो सोच रही थी वो सब कुछ एक बार फ़िर उसके साथ होने लगा था। एक बार फ़िर उसका जिस्म-ओ-दिल, दिमाग का साथ छोड़ कर लज़्ज़त का साथ देने लगे थे और बहकने लगे थे… इस अनोखे प्यार… अनोखी चाहत में खोने लगे थे। “आह… हे.. हे… हे… ऊँममम… सीईईई!” उसके मुँह से सिसकारियाँ सी निकलने लगी थीं। वो टॉमी को खुद से दूर करने की बजाय आहिस्ता-आहिस्ता उसका जिस्म और सिर सहला रही थी। टॉमी को और भी शह दे रही थी।

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