खेत मे देवर के साथ कबड्डी

दोस्तो मेरा नाम पूजा है.. मई एक हाउसवाइफ हू. मेरी उमर 27 साल है. मेरा फिगर 34 26 32 है. मेरे पति रवि ने कहा की चलो कुछ दिन के लिए गाओं चलते है. और हम गाओं चले गये. अब मेरे मे काफ़ी चेंज आ चक्का था. मे अब काफ़ी सेक्सी बन चुकी थी. गाओं मे मेरे सास-ससुर और मेरे देवर रहते हे. मेरे देवर का नाम जीवन है. उसकी उमर लघ्हभाग 22 सल्की होंगी. कलर तो कला ही था मगर खेत मे कम करने की बाजेसे शरीर अछा तगड़ा बना हुवा था. हम जब गाओं पहुचे तो घर पर सिर्फ़ मेरी सास थी. ससुर और देवर खेत मे गये हुवे थे. वैसे तो मेरे शादी को कुछ ही महीने हुवे थे सो मे किसीसे ज़्यादा परिचित नही थी. मे नयी धुलन होने के कारण सांस भी मेरा अछा क्याल कर रही थी. उसने घर पर मूज़े कुछ भी कम नही करने दिया. सो मेने उस्दीन आराम ही किया.
शाम मे ससुर और देवर भी आ गये. सब साथ मे खाना खाने बैठ गये. मेने उस दिन काले कलर की ट्रांस्फ़ेरेंट सिल्की सारी पहनी हुवी थी. हू भी नवल के काफ़ी नीचे. और मेरा ब्लाउस भी लो कट था. जिसमे से मेरे स्तानो का उपर वाला हिस्सा साफ धिकाई देता था. मे जब जीवन को परोसने गयी तो ग़लती से मेरा सारी का पल्लू नीचे गिर गया. और मेरे स्तन उसके सामने खुले हो गये. मेने अपना पल्लू तो सावरा लेकिन धेका की जीवन मेरे स्तानो की ही घूर रहा है. मूज़े बहोट अछा लगा. मे पास मे ही बैठ हुवी थी. हमारी इधर उधर की बाते चल रही थी.मेने धेखा की जीवन मूज़े ही घूर रहा है. मेने सोचा चलो इसके लॅंड के भी मज़े लेकर धेखते है. वैसे भी घर जाने के बाद क्या पता कब एकड़ा अचसा लॅंड चखने को मिले. यह अछा मौका है. मेने भी अपना सारी का पल्लू तोड़ा सा नीचे सरका दिया और इसतरह बैठ गयी की मेरे स्तानो के दर्शन जीवन को हो सके. हू भी बड़े प्यासी नज़रोसे मेरे स्तानो को घूर रहा था. मूज़े उसके नज़र बड़ी प्यारी लग रही थी.

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खाना खाने के बाद मेरे ससुर पं खाने चले गये. और जीवन टीवी धेखते बैठ गया. हमारे गाओ मे घर कुछ बड़ा नही है. तीन रूम थे एक किचें उसके सामने हॉल था और हॉल से लगकर ही एक रूम था जिसे बेडरूम कहा सकते है. जिसमे रवि और मूज़े सोना था. हॉल मे टीवी था जहा जीवन टीवी धेख रहा था. मेरी सांस किचें मे बर्तन मजाने लगी और रवि रूम मे जाकर बेड पर लेट गये. मे रूम मे गयी मेने धेका की जीवन जहा बैठ हुवा था वहसे उसे हमारे रूम का सारा नज़ारा धीखता था बस बेड नही धीख पता था मतलब रवि उसे धेख नही सकता था. माने दरवाज़ा खुला ही रखा और कपड़े बदलने लगी. मे चाह रही थी की जीवन मूज़े कपड़े बदलते हुवे धखे. दीवार पे एक बदसा आईना था जिसमे जीवन मूज़े धीखा ही देता था. मेने सारी उतरी और अहीने मे धेखा तो जीवन मूज़े ही धेख रहा था. मेने फिर अपना ब्लाउस भी उतार दिया बाद मे पेटिकोट भी उतार दिया अब मे सिर्फ़ पनटी और ब्रा मे थी.
मे वैसी हालत मे अपने बाल सवारने लगी ताकि ज़्यादा देर तक जीवन ऐसी मूज़े धखे. जीवन की हालत बुरी थी उसके चेहरे पे सी समाज रहा था की हू पहलिबर किसी औरत को ऐसे हालत मे धेख रहा हॉंगा. उसका हाथ उसके लॅंड पर चला गया और लॅंड को सहलाने लगा. तबी मेने उसके तरफ धेखा तो तोडसा दर गया लेकिन मेने उसके तरफ़ धेख कर तोड़ा सा मुस्करा दिया तो हू भी हल्कसा मुस्कराया. अब हू समाज चक्का था की उसकी भाभी एक चालू औरत है. और मे भी वही चाहती थी की उसे लगे की मे चालू हू और वो मूज़े छोड़े. और मूज़े भी यकीन हो गया था की अगर इसको मौका मिले तो यह मूज़े छोड़े बगार नही छोड़ेंगा. उस रत हम सो गये.
दूसरे दिन सबेरे ही मेरी पति और ससुर कुछ काँसे तहसील के गाओं चले गये. मेरे सांस की तबीयत थोड़ी खराब थी इसलिए वो आराम कर रही थी. मे सबेरे जल्दी उठ गयी. मेने घर का सारा कम निपटा लिया. जीवन भी तोड़ा लाते उठा . सयद रत भर मेरे बारे मे सोच सो नही पाया हॉंगा. उसने भी नहा लिया और वो खेत पर जाने के लिए निकला तो मेने भी मेरे सांस से कहा की मे भी जीवन के साथ खेत पर जाती हू. और अपना खेत धेख लेती हू. मेरी सांस ने हा कर दी. मूज़े कहा खेत धेखना था मूज़े तो जीवन का लॅंड धेखना था.
मे जीवन के साथ मोटरसाइकल पर खेत के निकल गयी. मेने अज्ज फिरसे वही काले कलर की ट्रांस्फ़ेरेंट सारी और लो कट ब्लाउस पहना था. मे मोटरसाइकल पर जीवन से चिपक बैठ गयी. रास्ता खराब होने के कारण गाड़ी बार बार उछाल रही थी सो मेरे स्तन उसकी पीठ बार डब जाते थे. मेरा एक हाथ उसके जंग पर था. जब भी गाड़ी उछालती तो मे अटाकसे पाने हाथ से उसके लॅंड को स्पर्श करवा देती. उसका लॅंड खड़ा हो गया था. हमारा खेत गाओं से कुछ चार पाँच केयेम पेट हा. हम खेत मे पहुच गये. खेत मे डोर डोर तक कोई नज़र नही आ रहा था. मूज़े पता था यही सही मौका है जीवन के लिए. अब तो वो मूज़े छोड़े बागेर छोड़ेंगा नही और मे भी तो वही चाहती थी.

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खेत मे आते वक़्त हम इधर उदार की बाते कर रहे थे सो हमारा अचसा मेलजोल हो गया था. खेत मे जाने के बाद वो मूज़े खेत धिका रहा था और हम खेत मे घूम रहे थे. मे खेत धेख रही थी लेकिन मूज़े खेत मे इंटरेस्ट नही था मे तो कुछ और ही चाहती थी. मूज़े लगा वा कुध होकर कुछ करेंगा लेकिन वो सिर्फ़ मूज़े खेतो मे घुमा रहा था जो मे चाहती वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था. मेने मान ही मान सोचा पूजा तुहे ही कुछ करना पड़ेंगा. तबी मेरे दिमाग़ मे एक आइडा आया और ज़ोर्से छिलाई और सिडा जाकर उसके बदन से चिपक गये. हू बोला अरे भाभी क्या हुवा मेने कहा धको जीवन उदार चुवा है .

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