अन्तर्वासना का सच्चे दिल से आभार व्यक्त करता हूं जिनकी वजह से हमें लंड हिलाने और चूत में अंगुली करने को मिलता और ऐसी रोचक कहानियां एक दूसरे के सामने पेश कर पाते हैं.
तो चलिए गौर फरमाते हैं एक और हसीना की चीखों पर!
बात कुछ दिनों पहले की है जब मेरी मुलाकात एक और हसीना. जिसका नाम अनिता है, से हुई।
वाकया कुछ इस तरह हुआ कि मैं जब काल सेन्टर के दूसरे कम्पनी में ट्रेनिंग में था।
मुझे एक डायरी दिखी. तो मैंने जब उसे खोल कर देखा. उसमें एक लड़की का नाम लिखा था अनिता राय और उसके नीचे उसका मोबाइल नंबर भी दिया था.
तो मैंने झटपट पहले उसका मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में सेव करके उसे मेसेज किया- हाय!
उसने रिप्लाई किया- कौन है?
तो मैंने थोड़ा चांस मारते हुए कहा- तुम्हारा दोस्त!
फिर उसने सवाल किया- ये कौन सा दोस्त है जिसे मैं जानती नहीं और पहचानती नहीं हूं।
मैंने झट से रिप्लाई किया- पहचान बना लेते हैं, इसमें हर्ज ही क्या है.
उसका कुछ जवाब नहीं आया तो मैंने झट से पूछा- तुम कहां हो?
तो उसने कहा- बस घर के लिए निकल रही हूँ।
मैंने झट से रिप्लाई किया- गेट पर रूक जाओ, अभी आता हूं.
तो उसका रिप्लाई आया- ओके, वेटिंग कम फास्ट!
मैं झटपट उसके पास गया।
मैंने सोचा तो था कि कोई जबरदस्त पटाखा होगी. लेकिन वो दिखने में कुछ खास सुन्दर नहीं थी और उसका बदन भी दुबला पतला था।
सच कहूं तो मैंने उसे देखते ही सोच लिया कि इसकी तो मैं चूत सुजा दूँगा. ऐसे चोदूँगा कि मेरे नाम की दीवानी हो जायेगी।
फिर हमारी थोड़ी सी बातचीत हुई जैसे कि ‘मुझे मैसेज क्यों भेजा था?’ और ‘मिलना क्यों चाहते थे?’
तो मैंने कहा- तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं.
वो यह बोल कर चली गई- सोच कर बताऊंगी.
और उसके बाद मैं भी जल्दी से ट्रेनिंग रूम में पहुंच गया.
और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मैंने अपने दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताया.
उसके बाद जब मैं घर जाने के लिए बस में बैठा तो हेडफोन लगाया और मैंने अनिता को मैसेज किया- हाय!
जैसा कि हमारी जान-पहचान हो चुकी थी तो उसका भी रिप्लाई आया- हाय!
फिर मैंने उससे पूछा- डीसाईड कर लिया?
तो उसका रिप्लाई आया- बहुत जल्दी में हो?
मैंने कहा- कहीं मौका हाथ से ना निकल जाए!
तो उसने कहा- कल मिल कर बताऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है।
अगले दिन मैं ब्लैक पैंट और नेवी ब्लू कलर की शर्ट पहन कर गया.
उसने मुझे देखा और कहा- जवाब सुनने के लिए इतना सज धज कर आये हो?
मैंने उसे कहा- नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है.
तो वो हंस कर बोली- ठीक है, मंजूर है तुम्हारी दोस्ती।
फिर मैं ये बोल कर चला गया कि कहीं चलते हैं घूमने के लिए!
तो वह झट से मान गई.
फिर मैंने घूमने का या फिर यूं कहिए कि अनिता को भोग करने का प्लान बनाया।
उसके बाद आया वो दिन जिसका मैं कितने दिन से इन्तजार कर रहा था. हम दोनों निकल पड़े.
रास्ते में मैंने उससे पूछा- कहां जाना है?
तो वह बोली कि तुम जहां ले चलो.
मैंने डरते-डरते पूछा- पार्क में चलते हैं. थोड़ी देर बैठ कर फिर कहीं और चलेंगे.
तो वह राजी हो गई।
फिर वहां से मैं उसे पास ही के नलबन पार्क में ले गया. जो लोग कोलकाता में रहते हैं या जानते हैं वो यह बात भी अच्छे से जानते हैं कि नलबन पार्क कितना खुश मिजाज पार्क है.
तो आते हैं दर्द भरी चुदाई की कहानी पर!
थोड़ी देर पार्क में बैठने के बाद मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने हाथ के ऊपर रख दिया और उसे धीरे-धीरे रगड़ने लगा.
वो मुझे देखकर हंसने लगी.
मैं समझ गया कि रास्ता साफ है.
तो मैंने उसे गले लगा लिया और उसे चूमने लगा. कभी उसकी गर्दन पर तो कभी उसके गाल पर तो कभी उसके बूब्स दबाने लगा.
और उसके बाद मैं थोड़ा और आगे बढ़ा. उसके ऊपर से थोड़ा सा कपड़ा हटा कर उसके बूब्स बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगा और दबाने लगा.
फिर वो मेरा साथ देने लगी और मुझे कस कर पकड़ लिया. वो भी मुझे बेतहाशा चूमने और चाटने लगी.
फिर मेरे दिमाग में एक खुरापात सूझी.
मैंने उसे कहा- चलो कार्निवल चलते हैं.
जो वहां से कुछ दस मिनट की पैदल दूरी पर था।
वहां पहुंच कर मैंने देखा कि नवाजू दिन सिद्दीकी की मदारी फिल्म लगी थी. मैंने उसकी दो कार्नर सीट ले ली और फिर हम सिनेमा घर में पहुंच गए.
अब वहां जाकर मैंने देखा कि वहां ज्यादा लोग नहीं थे. टिकट चेकर ने हमें बता दिया कि हमारी सीट कहां है.
और हम बैठ गये.
मैं थोड़ा सा ए सी का मजा लेकर सुस्ताने लगा. या फिर यूं कहिए कि अनिता को थोड़ा और ललचाने लगा.
कुछ देर बाद वह बोल पड़ी- क्या हुआ? अब कुछ नहीं करना है क्या? वहां पर इतने सारे लोगों थे तो मुझे नंगी कर देना चाहते थे. और अब यहां कोई नहीं है तो चुपचाप आकर बैठ गए हो। जब चुप चाप बैठना ही हैं तो यहां लेकर क्यों आते हो?
मैं कुछ नहीं बोला और ना ही उसके तरफ देखा. मेरे इस रियक्शन से वह एकदम आग बबूला हो गई और मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे पागलों की तरह चूमने और चाटने लगी.
मैंने फिर भी कुछ नहीं किया.
इसके बाद उसने मेरी जिप खोली और मेरा लौड़ा अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी और फिर उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
वो मेरा लन्ड चूसने में बिजी थी और मैं देख रहा था कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है ना!
तकरीबन पांच मिनट तक लन्ड चूसने के बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ गया और उसके सर को कस कर पकड़ लिया. वो थोड़ा अकबका गई लेकिन उसी तरह रूकी रही और आखिरी बूंद तक मेरा लन्ड से निकलते हुए कामरस को अपने गले के अन्दर उतारती रही।
उसके बाद मैं उठ गया और अपने कपड़े ठीक कर के टायलेट गया. रास्ते में मुझे टिकट चेकर दिखाई दिया तो मैंने उससे पूछा- कोई है नहीं क्या सिनेमा हॉल में?
उसने कहा- दो-चार लड़कियों का झुंड था, वो भी अभी यह कहते हुए निकल गई कि बकवास फिल्म है.
उसके बाद मैंने झट से अपना बटुआ निकाला और उसे सौ का एक नोट दिया और कहा- बस कार्नर साइड मत आना.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है, नहीं आयेंगे.
और साथ ही ये भी कहा- लिमिट में रह कर कुछ करियेगा.
वह चला गया.