मैं जब २४ साल की थी उस समय मेरी नौकरी भोपाल में लग गयी थी. टेम्परेरी थी. जीजू ने कोशिश करके लगवा दी थी. मैं अपनी बड़ी बहन के यहाँ रहने लगी थी. उन्होंने मुझे घर के पीछे वाला रूम खाली करके दे दिया था. वो कमरा बड़ा और हवादार था. जीजू और दीदी दोनों ही नौकरी करते थे. जीजू इंजिनियर है और दीदी हॉस्पिटल मैं नर्स हैं.
कुछ ही दिनों में समीर भी मेरे से घुल मिल गया था. वो मुझसे छेड़ छाड़ भी करता था. मुझे उसे देख कर तरह तरह के विचार भी आने लगते थे. समीर एक सजीला जवान था. मुझे तो वह पहले से ही खूबसूरत लगता था. दीदी को नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती है. जब हम घूमने जाते थे तो समीर दीदी का हाथ पकड़ कर चलता है. दीदी भी चलते समय कभी कभी समीर के चूतड़ों को सहला देती थी. उसे देख कर मुझे भी झुरझुरी होने लगती थी. मेरे मन में भी हलचल होने लगती थी कि कोई मेरे भी गांड की गोलाईयों को भी सहलाये. वो कभी कभी मेरा हाथ भी पकड़ लेता था , मैं भी उसका हाथ नही छुडाती थी. मेरे हाथ काँप जाते थे, जिसे वो महसूस कर लेता था. कितने ही मौकों पर उसका हाथ मेरे बूब्स या चूतड से भी टकरा जाता था. शायद जीजू जान करके ऐसा करता था. मैं जान कर के भी अनजान बनी रहती थी.
घर पर रात को मैं उनके रूम के पास छुप कर आती, और कुछ सुनने की कोशिश करती थी. उस समय वो लोग चुदाई में लगे रहते थे….. मुझे बाहर उनकी आवाजे आती थी….. मुझे भी चुदवाने की फीलिंग होने लगती थी.
मैं किसी तरह अपने मन को काबू में रख रही थी. मेरी उत्तेजना जब अधिक बढ़ जाती तो मैं उंगली को चूत में डाल कर अन्दर बाहर करके अपना पानी निकल देती थी. हाथ से करते समय भी समीर को ही सोच कर अपना पानी निकाल देती थी. अब समीर ने मुझे कैसे चोदा…. इसके बारे में बताती हूँ…….
दीदी की नाईट ड्यूटी थी. घर के पास सर्कल पर बी एच इ ऐल की बस पर हम तीनों मोटरसाईकल पर दीदी को पहुँचाने गए. दीदी की बस आने पर वो उसमे चली गयी. उसी समय बरसात शुरू हो गयी. हम दोनों भीगने लगे थे.
वहां से भीगते हुए हम दोनों सीधे घर आ गए. भीगने से मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे. घर आ कर वो मेरे शरीर के उभारों को आनंद ले कर देखने लगा. मैं शरमा गयी. मेरे मुंह से निकल गया..” जीजू , मत देखो न ऐसे …मुझे शर्म आती है ….” समीर ने शरारत से आँख मार दी ….. और मैं शरमा कर मेरे रूम में अन्दर भाग गयी.
हम दोनों नहा कर फ्रेश हो कर जीजू के कमरे में बैठ गए. समीर अलमारी से व्हिस्की की बोतल निकाल लाया.
“यार ठण्ड लग रही है…एक पैग पी लेता हूँ…..तुम भी थोडी सी ले लो..”
“नही..नही…” मैं उसकी हरकते नोट कर रही थी. मुझे लग रहा था आज जीजू मूड में हैं. मैंने सोचा आज अच्छा मौका है , पटाने का….
उसने धीरे धीरे पीना चालू कर दिया. कह रहा था – “नेहा तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या…..”
“हाँ…था..अब नही है..”
“अच्छा, वो तुम्हारे साथ कुछ करता था..”
” धत्त…जीजू… मुझे शर्म आती है ….”
” मत बताओ…लो थोड़ा सा पी लो…अच्छा लगेगा….”
मैंने सोचा अच्छा मौका है……. जीजू समझेगा मैं नशे में हूँ …. और नशे में ऐसा कर रही हूँ …
“अच्छा जीजू…थोड़ा ही देना..”
“वाह ये हुई न बात…ये लो ” उसने एक पैग बना कर दिया.
मैंने पीने का नाटक किया. थोडी सी ड्रिंक पास में गिरा दी..और गिलास मुंह से लगा लिया.. कुछ ही देर में समीर को व्हिस्की चढने लगी. बोला – “यार तेरी दीदी तो एक दम मस्त है….”
वो कुछ आगे बोलता उसके पहले ही मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी…… मैंने भी नशे में होने का नाटक किया.. “मस्त आप है..जीजू…”
“नही…मस्त तो तू है… जरा देख अपने को..”
“क्या देखूं……मुझे तो तुम ही दिखाई दे रहे हो…”
अब समीर मस्ती में आ गया था…… उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया…… मैं जान करके उसकी गोदी में गिर गयी. उसने मुझे बाँहों में कस लिया…
मैंने कहा – “जीजू…..ये नीचे क्या लग रहा है…”.
मैं थोड़ा कसमसाई … पर उसका लंड था की घुसता ही जा रहा था. मैं थोड़ा उठ गयी…. मैंने जान कर के ऐसे उठी की अपनी चूतड की गोल गोल फ़ांकें उसके सामने हो गयी…..
उसने मेरे दोनों चूतडों को दबा दिया….
मैं जैसे नशे में बोली – “हाय रे..जीजू मर गयी…..क्या कर रहे हो….”
समीर ने कहा – “ नेहा … मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ …….”
“नही..नही …तुम कुछ गड़बड़ करोगे …..”
ज्यादा नही …..बस थोड़ा सा ….”
“अच्छा.. ठीक है..”
मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था ….मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गयी.
जीजू ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो ….”.
“हटो जीजू ….जरूर तुम ….. देखो छेड़ना मत …”मैंने आँखें बंद कर ली …. जीजू पलंग पर पास आकर बैठ गए …और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा. वो मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे ….और ऊपर की तरफ़ आने लगे. मेरे नितम्बों पर उनका हाथ घूमने लगा … मुझे सनसनी सी होने लगी …. वो जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देता था …. तब जोर का करंट जैसा लग जाता था ….
फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया …… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था ….. एक हाथ चूत पर …और एक हाथ बूब्स पर … “नेहा ….कैसा लग रहा है ……”
मेरे मुंह से अचानक निकल गया – “ जीजू …तुम्हारे हाथो में तो कमाल है ….. अब कुछ कर दो न …… कुछ भी करो..” जीजू ने मेरे बूब्स भींचने चालू कर दिए …..दूसरा हाथ मेरी चूत की गहराई नापने लगा …..उसकी बेताबी बढाने के लिए मैंने कहा – “जीजू …. बस अब नही … दूर हटो ….”
मैं बिस्तर से नीचे उतर गयी. समीर भी मेरे पीछे आ गया था …..उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरे बूब्स पकड़ लिए….. “नेहा….. प्लीज़ करने दो…… तुम्हे देख कर मेरा मन कब से कर रहा था की बस एक बार तुम्हे दबा दूँ. तुम्हारे ये उभार …गोलाईयां देख कर मुझसे रहा नही जाता है अब ……”
समीर का लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा था. मुझे उसके लंड का साइज़ तक चूतड़ों में महसूस हो रहा था.
मैंने मुस्करा कर जीजू की तरफ़ देखा …… और कहा “ पहले अपना ये मेरे हाथ में दो..”
“क्या …..हाथ में क्या दूँ ?”
“वो ……. अपना मोटा सारा लंड …”