कैसे दोस्त ने मेरी बेहेन की सील थोड़ी भाग 1

हाई! आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी बता रहा हूँ. यह उस वक़्त की बात है जब मैं 20 साल का था. मेरे कॉलेज मैं छुट्टिया थी जिनकी वजह से पूरा दिन घर पर होता था. घर पर सिर्फ़ मैं मुझसे छ्होटी बहन कंचन और मोम-डॅड थे. मेरा एक ख़ास दोस्त था रमेश. मैं उसके साथ फिल्म देखता और गेम खेलता. बस इसी तरह टाइम पास हो रहा था. एक बार जब हम दोनो एक पार्क मैं अकेले बैठे थे तो मैने उससे कहा, “यार आजकल बहुत बोरियत होती है. टाइम नही पास होता.” वह मेरी बात सुन बोला, “तू दिन भर क्या करता रहता है?” “करना क्या यार टीवी देखना, मॅगज़ीन और तेरे साथ घूमना बस.” वह बोला, “यही सब मैं भी करता हूँ पर बोरियत दूर करने का एक बहुत ही अच्छा रास्ता है मेरे पास जिससे मैं अपनी बोरियत दूर करता हूँ. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है इन छुट्टियो मैं.” “यार तू क्या करता है?” “अरे कुच्छ नही बस मज़ा लेता हूँ.” “किस का मज़ा?” “यार तू गधा है. मैं एक खूबसूरत लड़की का मज़ा लेता हूँ, उसकी चुचियों का, उसकी चूत का मज़ा.” मैं उसकी बात सुन हैरान होता बोला, “यार तू तू सचमुच मज़े ले रहा है. कौन है वह? मेरा भी काम बनवा दे यार.” वह बोला, “यार मैं उसके साथ तेरा काम नही बनवा सकता तू खुद कोई लड़की फसा ले. या पैसे खर्च कर.” “पर यार मैं कैसे फसाउ कोई लड़की और तू तू जानता है हमलोगों के पास इतने पैसे कहाँ? यार तू अपनी वाली के साथ ही मेरा भी काम बना दे ना.” “नही यार ये नही हो सकता.” “अरे कौन है वह कि तू मेरा काम नही बनवा सकता?” “अगर तू वादा कर कि तू किसी को नही बताएगा तू मैं तुझे बता सकता हूँ.” “मैं वादा करता हूँ.” “देख यार किसी को बताना नही. जैसे तुम और तुम्हारी बहन ही हो अकेले वैसे ही मेरी भी सिर्फ़ एक छ्होटी बहन है, सपना. बस यार हम दोनो भाई बहन एक दूसरे की बोरियत मिटाते हैं.” मैं हैरान होता बोला, “कैसे?” “अरे कैसे क्या? हम दोनो रात भर खूब मज़ा लेते हैं. तू चाहे तू तू भी अपनी बोरियत मिटा सकता है.” “कैसे?” “तेरी भी छ्होटी बहन है. तू उसके साथ मज़ा लेकर अपनी बोरियत दूर कर.” मुझे उसकी बात सुन बुरा नही लगा. मैं कुच्छ सोचने लगा तो वह बोला, “क्या सोच रहा है यार” “यही की तू अपनी बहन के साथ….” “तू क्या हुवा इसमे कोई नुकसान नही है. सोच अगर मेरी बहन घर से बाहर किसी से चुदवा लेती तो मेरी कितनी बदनामी होती. घर पर मुझसे चुदवाने मैं उसकी बदनामी भी नही होती और जब चाहे मज़ा लेती है. तू भी अपनी बहन को मज़ा दे दे वरना वह बाहर किसी से चुद गयी तू तू किसी को मुँह दिखाने वाला नही रहेगा.” मैं चुप रहा तू वह बोला, “तुझे एक राज़ की बात बताउ. “क्या?” “यही की तू अगर अपनी बहन को नही चोदेगा तू कोई और चोदेगा. अगर बुरा ना मानो तू एक बात बताउ?” “नही मानूँगा बताओ.” “जब मैं तुझको बुलाने तेरे घर जाता हूँ तू कभी-कभी तेरी बहन कंचन दरवाज़ा खोलती है. तो मैने एक दो बार तेरी बहन की चुचियों को टच किया था पर उसने ज़रा भी बुरा नही माना. यार तू बुरा ना मान पर आज तुझे जब बुलाने तेरे घर गया था तू भी तेरी बहन ने ही दरवाज़ा खोला था. आज तू मैने उसकी पूरी चूची को पाकर कर दबाया था. तेरी बहन की चुचियाँ तो मेरी बहन सपना की चुचियों से भी ज़्यादा टाइट हैं. तुझे अपनी बहन के साथ बहुत मज़ा मिलेगा.” उसके मुँह से अपनी बहन के बारे मैं ऐसा सुन बुरा नही लगा. मुझे चुप देख वह बोला, “यार तू बुरा ना मान पर सभी लरकियाँ चुदवाना चाहती है और तेरी बहन भी खूबसूरत और जवान है. उसका मंन भी करता होगा वरना वा मुझसे अपनी कभी नही दब्वाती. तू अपनी बहन को चोद.” मैं उससे बोला, “पर यार ये कैसे होगा?” “तूने कभी किसी को चोदा है या नही” “नही यार कभी नही.” “तब तू कुच्छ नही कर पाएगा और उसे डरा भी देगा.” “यार तू ही कुच्छ कर ना.” “अच्छा एक काम करते हैं. मैं एक बार तेरी बहन को चोद्कर उसे चुदवाना सिखा दूँ. और तू मेरी बहन को चोद कर चोदना सीख ले.” “हां यार यह ठीक रहेगा.” “तू ठीक है ऐसा करते हैं पहले तू मेरे घर आजा और मेरी बहन को चोद्कर सीख ले फिर मैं तेरी बहन को चोद कर उसे चोदना सिखा दूँगा.” फिर हमलोगो का अगले दिन शाम के 4 बजे का प्रोग्राम बना. घर आया तो मुझे आज अपनी बहन कंचन बहुत प्यारी लगी मैं उसे कनखियों से देख रहा था. मैं रात भर अपनी बहन की चुदाई की कल्पना करता रहा. अगले दिन सोकर उठा और कल की बात सोचता रहा. किसी तरह शाम के 4 बजे और मैं रमेश के घर पहुँचा. बेल बजाई तो रमेश ने दरवाज़ा खोला और मुझे देख खुश होता बोला, “अरे आओ यार मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था.” मैं उसके साथ घर के अंदर गया और उसके रूम मैं सोफा पर बैठ गया. वह थोड़ी देर मेरे साथ बैठा बाते करता रहा. मैं उसकी खूबसूरत बहन सपना के बारे मैं सोच रहा था. उसने वही से अपनी बहन सपना को आवाज़ देकर चाइ लाने को कहा. 10 मिनिट बाद उसकी खूबसूरत बहन एक ट्रे मैं चाइ और बिस्किट्स लेकर आई.

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वह गुलाबी रंग का शलवार कुर्ता पहने थी जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसने ट्रे टेबल पर रखी और चाइ कप मैं निकाली फिर चली गयी. मैं उसे ही देख रहा था. वह एकदम नॉर्मल थी. हम दोनो ने चाइ पी. अब तक 4:30 बज गया था. चाइ पीने के बाद रमेश ट्रे लेकर बाहर चला गया. मैं वही बैठ रहा. 3-4 मिनिट बाद कमरे के बाहर से दोनो के हस्ने की आवाज़ आई तो मैं दरवाज़े को देखने लगा. तभी वह दोनो अंदर आए. अब मेरा दिल एकदम से धरकने लगा. रमेश सिर्फ़ लूँगी मे था और उसकी बहन सपना ब्लाक टाइट शर्ट और ब्लच मिनी स्कर्ट पहने थी. शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी दोनो बरी- बरी चुचियाँ से शर्ट फटी जा रही थी. रमेश अपनी बहन के बगल से हाथ डाले उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथ से पकरे उसे धक्का देता अंदर ला रहा था और वह खिल-खिलाकर हंस रही थी. तभी उसने मुझे देखा तो चुप हो गयी और मुझे देखती मुस्कराने लगी. वह मुझे जानती थी. मैं भी दोनो को देख रहा था. वह दोनो पास आए और मेरे वाले सोफा पर ही बैठ गये. सपना बीच मैं बैठी थी. उसने एक पल मुझे देखा फिर अपनी भाई की तरफ मूड गयी और फिर खिल- खिलाने लगी. रमेश भी हंसते उसकी चुचियों को टच कर रहा था.

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