कच्ची चुत को गीला करके खोला

कभी कभी दिल की तमन्ना दिल में ही दफ़न हो जाती है, और कभी कभी लक साथ देता है और आपको मिल जाता है, आपने कभी सोचा होगा की शादी के पहले आपको बीवी के अलावा कोई और भी कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जाता तो बहुत अच्छा होता, और आपमें से कितने ऐसे भी होंगे जिन्होंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया होगा वो आज भी अपने आप को लकी समझ रहे होंगे, तो मैं अब कहानी पे आता हु की मुझे ये मौक़ा कैसे मिला |

मैं २४ साल का लड़का हु, एक दिन मेरे फेसबुक पे एक रिक्वेस्ट आया एक लड़की का जिसका नाम था सोनाली, वो उत्तर प्रदेश इलाहबाद की रहने बाली थी, धीरे धीरे हम दोनों में चेटिंग शुरू हो गया हम दोनों घंटो रात में फेसबुक पे चाट करते थे, एक दिन सोनाली ने मुझे प्रपोज़ कर दी, राज मैं तुमसे प्यार करने लगी हु, मैंने भी उसको चेट मैसेज पे एक दिल का फोटो भेजा, और उसने फिर एक गुलाब का फोटो भेजा मैंने भी उसको आई लव यू टू बोला, हम दोनों का प्यार परवान चढ़ा और दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे थे, सिर्फ फोटो ही भेज पा रहे थे तो कभी कभी वीडियो कालिंग (स्काइप) से कर लेते थे, वो बी.ए. में पढ़ रही थी वो 19 साल की लड़की थी, वो थोड़ी हेल्थी थी वजन उसका 70 किलो के करीब था, मुझे मोटी लडकिया काफी सेक्सी लगती है.

मैंने उसे एक दिन मिलने का परपोसल भेजा तो वो स्वीकार कर ली और मैं कानपूर से इलाहबाद पहुंच गया, और सिनेमा देखने गए मैंने बालकनी का कोने का सबसे पीछे का टिकट लिया, और दोनों पहली बार सिनेमा हाल के बाहर मिले, बाहर करीब 1 घंटे तक घूमे दोनों साथ साथ, फिर हम दोनों हॉल के अंदर गए, फिल्म स्टार्ट हुआ मैंने उसका हाथ अपने हाथ में रख के फिल्म देखना शुरू किया और धीरे धीरे मैंने उसके जांघ पे हाथ रखा वो कुछ भी नहीं बोली और वो भी अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दी, मैंने उसके जांघ को सहलाना शुरू किया, वो अपना सर मेरे कंधे पे रख दी, अंधरे का फायदा उठा कर मैंने उसे एक किश किया, ओह्ह्ह्ह माय गॉड ज़िंदगी का पहला किश किसी लड़की को मेरा तो लंड फनफना गया था, मेरी साँसे तेज हो गयी थी, सोनाली की साँसे भी तेज तेज चलने लगी, मैंने उसके बड़े बड़े 36 के साइज बूब पे हाथ रखा, वो चुप रही, मैंने मौके का फायदा उठाया और थोड़ा दबाया हरेक दबाब पे वो सिहर रही थी, और उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ छोड़ो ना उफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ छोड़ो ना प्लीज, कर रही थी| मैंने फिर सोनाली के टी शर्ट के ऊपर से हाथ डाला और बूब तक पहुंच गया पर बूब अंदर ब्रा में टाइट था फिर भी मैंने किसी तरह से अंदर घुसा के दबाना सुरु कर दिया|

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वो अपने आप को संभल नहीं पा रही थी और वो मुझे पकड़ के किश करने लगी अपने होठो से मेरे होठ को दबा रही थी, मेरी साँसे काफी गरम हो चुकी थी और मेरे शरीर में विजली दौड़ रही थी, वो निढाल हो गयी तभी मूवी खत्म हो गया, जब लाइट जली तो देखा उसकी आँखे नशीली हो गयी थी, मुझे उस नशीली आँखों से देखि और बोली राज आई लव यू, तुम मेरे हो, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हु, मुझे तुम मत छोड़ना, फिर हम दोनों हाल से बाहर हुए रेस्टुरेंट में खाना खाया और उसके लिए गिफ्ट ख़रीदा और फिर मैं कानपूर के लिए निकल पड़ा.

अब तो रोज हमलोग का सेक्सी चेट शुरू हो गया, अब रोज रात को हम लोग सेक्सी बात करते थे, मैं ही उसके मोबाइल में इंटरनेट का पैक डलबाता और रात के २ बजे तक चेटिंग होती वो अपने माँ बाप की अकेली संतान थी इस वजह से अकेले होती थी उसके माँ और पापा अलग कमरे में सोते थे, पर इत्तना से काम नहीं चल रहा था मैं सोनाली को चोदना चाहता था, मैंने उससे कहा भी पर वो चुदवाने के लिए तैयार नहीं थी, मैंने उससे कई बार कहा मैं इलाहबाद आ जाता हु, दोनों होटल में रुकेंगे ३ घंटे के लिए तुम्हारे घर बाले को भी पता नहीं चलेगा पर वो नहीं मानी इस तरह से 3 महीने निकल गए, मैं तो सिर्फ सिनेमा हाल की घटना के बारे में सोच के मूठ मार लिया करता था पर इससे काम नहीं चल रहा था, मुझे तो सोनाली का जिस्म चाहिए था,

हरेक कुछ की सीमा होती है, मैं चोदने के लिए तैयार था पर वो चुदवाने को तैयार नहीं थी, खास करके लड़कियों में सहनशक्ति काफी होती है और लड़के किसी भी चीज़ को पाने के लिए आतुर हो जाता है मेरी भी हालात वही थी, मैंने सोनाली से बातचित बंद कर दी, करीब सात दिन बाद उसका फ़ोन आया, राज क्या हाल है, मैंने कहा ठीक है, अभी डिस्टर्ब मत करो मैं पढाई कर रहा हु, और मैंने फ़ोन काट दिया मैंने सोचा जब चुदाई नहीं तो कुछ भी नहीं, तो उसका मैसेज आया काय तुम दस तारीख को इलाहबाद आ सकते हो, मेरे माँ और पापा हरिद्वार जा रहे है, दो दिन के लिए तो एक रात मैं अकेली घर पे रहूंगी, ओह ये सुन कर तो मैं ख़ुशी से पागल हो गया, और मैंने घर में बहाना बनाया की मेरा कम्पटीशन का एग्जाम है इलाहबाद में, तो मैं परसों जा रहा हु|

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मैं दस तारीख को इलाहबाद पहुंच गया पर सोनाली ने कहा की तुम अन्धेरा होने पे आना, तो मैंने दो तीन घंटे इधर उधर काटा और फिर मैं उसके घर शाम को करीब 7 बजे पहुंच गया, मैंने रास्ते में एक बोतल बोडका और रेस्टुरेंट से खाने का सामान और फ्राइड चिकन ले गया, घर पंहुचा तो वो मुझे वेलकम की गले लगा के मैंने में एक जेंटलमेन की तरह व्यवहार किया मैंने एक सॉफ्ट सा किश किया और सोफे पे बैठ गया, सोनाली ने मेरे लए हुए खाने को किचन में ले गयी फिर प्लेट में सजा के ले आये, मैंने उसे दो अलग से ग्लास भी लाने के लिए कहा, वो दो खली गिलास भी लाई, जैसे मैंने वोडका निकाला वो बोली नहीं नहीं मैं नहीं पीउंगी, आज तक मैंने नहीं पी है, तो मैंने कहा कोई बात नहीं कुछ भी नहीं होगा, क्या तुम मेरे लिए मेरा साथ नहीं दे सकती, तो वो चुप हो गयी, दोनों खाना खाना और पीना स्टार्ट कर दिए.

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