फिर मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और उसको यह झूठ बोला है कि माँ ने जब मुझसे पूछा कि में तुम्हारे साथ यह सब क्या कर रहा था। तब मैंने उनसे कहा कि रेशमा की गर्दन पर एक कीड़ा बैठा हुआ था और वो चिल्ला रही थी तो मैंने उस कीड़े को उससे दूर करने में उसकी मदद की थी और बस माँ मेरे मुहं से यह बात सुनकर मुझसे कुछ नहीं बोली और वो बोली कि अच्छा ठीक है। अब तुम बिल्कुल भी मत डरो। फिर मैंने उसे बेड पर बैठा दिया,
मुझे अब गांजे का थोड़ा थोड़ा नशा चड़ गया था और मेरा लंड एकदम टाईट हो गया था, उसने मुझे किस किया और में अब उसकी गांड को दबाने लगा। फिर उसकी चोली का हुक खोल दिया और अब में उसके बूब्स के निप्पल को चूसने लगा, रेशमा के मुहं से अह्हह माँ स्स्स्साईईईई निकल गया, में उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और वो मेरी पेंट का बेल्ट खोल रही थी, उसने फिर मेरी शर्ट को उतार दिया और पेंट को निकाल दिया और मैंने उसे फिर से हग किया।
फिर उसने मुझसे कहा कि मेरी गांड पर अपना लंड लगाओ, उसकी चोली नहीं थी, लेकिन उसके नीचे साड़ी थी और में उसकी साड़ी नीचे लेने लगा तो उसने कहा कि मुझे साड़ी में ही चोदो। वो अब डॉगी स्टाईल में बैठ गई थी और अपनी गांड को आगे पीछे आगे पीछे कुत्तो की तरह हरकत करने लगी, उसके मुहं से नशीली आवाज़ निकल रही थी, आकाश आह्ह्हह्ह सस्साआहा उफ्फ्फ्फ़ चोदो ना।
अब मैंने उसके पीछे जाकर अपना लंड हाथ में पकड़कर उसकी साड़ी में घुसा दिया। मेरा लंड साड़ी के साथ ही उसके दोनों गुब्बारों के अंदर चला गया। फिर मैंने उससे कहा कि ओह वाह रेशमा तुम्हें कितना कुछ पता है? तब उसने मुझसे कहा कि पगले में भी कुछ सालों पहले एक कॉलेज स्टूडेंट थी और मेरी शादी मेरी मर्जी से हुई थी। मेरा पति मुझे हर रोज नये नये तरीकों से चोदता था और मैंने उसके साथ सेक्स के बहुत मज़े किए, लेकिन अब पूरे 9 साल हो गये है मुझे किसी ने नहीं चोदा, अब तुम्ही मेरे पति की तरह मुझे हर बार चोदना और मेरी प्यासी चूत को अपने लंड से हर बार शांत करना।
फिर मैंने उससे कहा कि रेशमा मुझे माफ़ करना, लेकिन मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी महसूस हो रही है और में तुम्हारा पति हूँ, लेकिन सिर्फ़ तुम्हें ऐसे कैसे छोड़ सकता हूँ? अब मैंने उसकी साड़ी को नीचे खींचकर देखा तो उसकी चूत पर एक भी छोटा सा बाल नहीं था। उसकी चूत दिखने में एकदम 13 साल की बच्ची की तरह थी। फिर वो बोली कि हाँ देखो आकाश पिछले 9 साल हो गये है, अभी तक मेरी चूत में किसी का भी लंड अंदर नहीं गया, मुझे किसी ने नहीं चोदा।
मैंने अपनी चूत के आज तक कभी ऊँगली भी नहीं की, लेकिन तुम मुझे बहुत पसंद आए हो, इसलिए मैंने अपनी चूत को तुम्हारे हवाले कर दिया है, तू जैसे चाहो जब चाहो मुझे चोद सकते हो, में तुम्हें कभी भी मना नहीं करूंगी। दोस्तों में उसकी चूत को देखकर एकदम पागल हुआ जा रहा था और अब में उसकी चूत को ऊपर से चाटने लगा, तभी उसने कहा कि हाँ चाट मेरे राजा उफफ्फ्फ्फ़ हाँ आईईईइ आज तुम मुझे पूरा खा जाओ आह्ह्ह्ह पूरा अंदर तक अपनी जीभ को डालकर चाटो स्सीईईईई। दोस्तों उसका इतना जोश देखकर में और भी जोश में आ गया, वो अब अपनी चूत को उठा उठाकर मुझसे चटवा रही थी।
फिर कुछ देर चूत को चाटने के बाद मैंने उसको अपना लंड उसके मुहं में लेने के लिए कहा, उसने मुझे धक्का देकर बेड पर नीचे गिरा दिया और वो अब मेरे ऊपर लेटते हुए मुझे किस करके मेरी गर्दन को चाटने, पेट को चूमते हुए नीचे आती हुई फिर लंड के ऊपर उसने हल्का सा चुम्मा लेते हुए जीभ लगाई और फिर मेरी तरफ आखों में आखें डालकर ऐसे हंसने लगी जैसे उसे आज अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ मिल गई हो, उसने लंड पर फिर से अपनी जीभ को लगाकर गोल गोल घुमाकर मुहं में ले लिया और बहुत मज़े से मेरे लंड को चूसने लगी।
फिर उसके कुछ देर चूसने के बाद में उसके मुहं में झड़ गया और उसने मेरा पूरा वीर्य पी लिया और में उसके बूब्स को सहला रहा था, धीरे धीरे निप्पल को निचोड़ रहा था और हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे। दोस्तों उसके कुछ देर बाद वो उठकर खड़ी हुई और अपने कपड़े ठीक करने लगी, तब तक मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और कुछ देर बाद वो मुझे एक लंबा सा किस देकर चली और में उसके बारे में सोचता रहा और ना जाने कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला।
दोस्तों अब रेशमा के साथ सेक्स की शुरुआत करके मुझे दो दिन हो गये थे और अब रेशमा हमारे परिवार का हिस्सा बन गयी थी और वो मेरे साथ बहुत खुश थी। में हर कभी मौका देखकर उसके बूब्स को दबाने और चूत को मसलने लगा था, लेकिन वो मुझसे कुछ भी नहीं कहती। दोस्तों तीसरे दिन की शाम को करीब 7 बजे में फुटबॉल खेलकर अपने घर पर आ गया, मेरी टी-शर्ट, शॉर्ट्स, जूते, मोजे सब कुछ गंदे हो गये थे, क्योंकि हम लोग बाहर बारिश में खेल रहे थे और उस समय बाहर बहुत ज़ोर से बारिश हो रही थी, जिसकी वजह से में पूरा भीग गया था, मेरे पूरे शरीर पर कीचड़ लगा हुआ था।
खेल खत्म होने के बाद हम सब दोस्त सिगरेट और चाय पीने पास में लगी एक चाय की टपरी में चले गये। हम लोग बारिश में भीगकर ही चाय और सिगरेट पी रहे थे और तभी अचानक से मुझे मेरी माँ का फ़ोन आ गया। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम जल्दी से घर आ जाओ और फिर मैंने अपनी माँ को ठीक है में अभी आता हूँ बोल दिया। मेरे दोस्तों को मुझ पर शक हुआ और मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा कि क्या यार आकाश आज कल घर जाने के लिए तू बड़ा बैचेन रहता है, क्यों कुछ तो बात है? क्योंकि घर का नाम सुनते ही आज कल तू बड़ा खुश हो जाता है? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो और अब सब दोस्त बार बार मुझसे पूछने लगे और मेरी शर्म देखकर वो सब मेरे ऊपर हंसने लगे और कहने लगे कि आज कुछ तो बात है। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं यार और में सब दोस्तों को बाय कहकर में अपनी साईकिल को लेकर उधर से चुपचाप निकल लिया और अपने घर पर पहुंचा। में आज बहुत भीगा हुआ था तो माँ ने मुझे बालकनी से देखा लिया था और मुझे उनके चेहरे पर गुस्सा साफ साफ दिखाई दे रहा था। फिर मैंने बंगले का गेट खोला और अपनी साईकिल को खड़ा कर दिया, बेल को बजाया और मुझे घर के अंदर से खाने की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। फिर दरवाजा खुल गया और अब मेरे सामने रेशमा खड़ी थी। दोस्तों रेशमा आज भी बहुत सेक्सी दिख रही थी। उसने नाक में नथ पहनी हुई थी और बालों में गजरा लगाया हुआ था, होंठो पर हल्की सी लिपस्टिक लगाई हुई थी और बालों को बहुत अच्छे से पीछे गोल गोल करके बाँध दिए थे।