कमीनी कामिनी की गाता भाग 1

“आह आह, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है, ओह्ह्ह्ह्ह्ह, रज्जा, अब चोद डाल मुझे।” वह अपने कपड़े उतारने लगी। मैं हतप्रभ देखता रह गया। देखते ही देखते वह नंगी हो गयी। मेरी आंखें फटी की फटी रह गयीं। बड़ी खूबसूरत लग रही थी। पहली बार किसी लड़की का नंगा बदन इस तरह मेरे सामने था। मेरे तन बदन में मानो आग लग गयी थी। मैं बेध्यानी में, अनजाने में ही, खुद को रोक पाने में असमर्थ, उत्तेजना के आवेश में उसे दबोच लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं करूं तो क्या करूं। मैं उसके नंगे जिस्म को अपनी बांहों में दबोच कर चूमने लगा। यहां तक तो अपने आप हुआ, लेकिन इसके आगे क्या? मैं उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को सहला रहा था, दबा रहा था। उसकी चूत के ऊपर हल्के रोयें उगे हुए थे। मेरा हाथ खुद ब खुद उसकी चूत पर पहुंच गया। मैं उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा था। उसकी चूत से लसलसा द्रव्य निकल रहा था।

“आह ओह्ह्ह्ह्ह्ह इस्स आह, चोद, आह अब चोद डाल मुझे आह।” वह तड़प उठी।

“कैसे? कैसे चोदूं?” मैं अनजान खिलाड़ी था। मुझे भी अपने शरीर के तनाव से मुक्त होना था लेकिन कैसे? यह मुझे पता नहीं था।

“अरे मूर्ख, उतार अपने कपड़े और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर चोद गधे।” वह जल बिन मछली की तरह तड़पती हुई मेरे कपड़ों को उतारने में मदद करने लगी। मैं भी अपने कपड़ों से जल्द से जल्द मुक्त होना चाह रहा था। मेरे दिमाग में यह समझ नहीं आ रहा था कि उसकी चूत में अपना लंड कैसे डाल पाऊंगा। मुझे पता था कि मेरा लंड कितना बड़ा है लेकिन नैना को पता नहीं था। इतना तो निश्चित था कि नैना इस खेल की अभ्यस्त थी। मुझे लगता था कि मेरे लंड का आकार सामान्य लड़कों की भांति है और जब नैना खुद आमंत्रण दे रही थी तो मुझे लगा कि उसके लिए यह सामान्य बात है। उस वक्त माहौल बेहद गरम हो चुका था। मैं अब अपने नियंत्रण में नहीं रह गया था। आननफानन मैं भी अपने कपड़ों से मुक्त हो गया। एक पल तो वह मेरे गठे हुए शरीर की छटा देख कर नि:शब्द रह गयी। जैसे ही उसकी नजर मेरे फनफनाते लंड पर पड़ी तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं।

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