जीजू की कंजूसी और दीदी की चुत जुवैसी

दी: सपने मे. उसके पीछे काई लड़को की लाइन हैं पहले से, वो इतनी आसानी से किसी को नही देती.(ये बोलने के बाद दी को अपनी लास्ट लाइन पे गौर हुआ)

मे: (मैं हासणे लगा)

दी: क्यू हास रहे हो?

मे: आपने कहा, की सीमा दी इतनी आसानी से किसिको नही देती, इसका मतलब की क्या आप आसानी से दे देती हो किसिको?

दी: नालयक..हरामी. (और हेस्ट हुए वो मुझे मरने के लिए भागी, हम पूरे घर्मे दौड़ रहे थे, फिर तक कर वापस दी के बेड पे आ गये)

मे: सच हैं क्या, आप देती हो?

दी: देख तू मार खाएगा.

मे: ओक. सॉरी दी. सछमे कोई चान्स नही सीमा से सेक्स का?

दी: डाइरेक्ट सेक्स ही करेगा? पहले लड़की को घूमाओ,शॉपिंग काराव, उससे प्यार करो, बाद मे सेक्स होता हैं.

मे: इतना टाइम क्यू वेस्ट करना, जो मैं चीज़ दोनो को चाहिए, उसपे ही तो फोकस करना चाहिए ना.

दी: ह्म. वैसे भी तेरा पास कुछ हैं जिससे तेरे चान्सस बढ़ जाएँगे.

मे: वो क्या..?

दी: (दीदी ने मेरे लंड की और इशारा करते हुए): तेरा साइज़. सच काहु तो इस साइज़ का लेने का तो लड़कियों का ड्रीम होता हैं.

मे:ओह रियली.

दी:एस, और टुजे बताडू की सीमा ऐसे बहुत ले चुकी हैं.

मे:और आप?

दी: क्या मतलब?

मे: मेरा मतलब, की क्या तुम्हारे ब्फ का साइज़ मेरे जितना ही हैं क्या?

दी: तू सच मे आज मार खाएगा.

मे: बताड़ो ना प्ल्ज़, अपने बीच मे तो कोई सीक्रेट नही होता ना. प्ल्ज़ दीदी.

दी:ओक. उसका साइज़ तेरे जितना तो नही हैं, पर तुझसे कम भी नही हैं.

मे: शीत यार.

दी: क्या हुआ.

मे: अगर आपके ब्फ का साइज़ कम होता तो आज मैं आपका भी ड्रीम पूरा करने मे हेल्प करता.

दी: (तोड़ा गुस्सा होकर) अब ये कुछ ज़्यादा हो रहा हैं.

मे: (दी को हग करते हुए) मे तो मज़ाक कर रहा था, बस आपका रिक्षन देखना चाहता था.

दी: ह्म. वैसे एक बात तो हैं, इस मामले मे तेरी गफ़ या बीवी बहुत लकी होंगी.

मे: ठीक आपकी जैसे.

दी: बिल्कुल. (और हम दोनो हासणे लगे)

मे: तो फिर, शादी भी अपने ब्फ से ही कार्लो.

दी: प्लान तो यही हैं, पर देखते हैं की मों दाद लोग मानते हैं की नही.

मे: ई विश के मान जाए. क्यूंकी मे चाहता हूँ की आप भी मेरी गफ़/बीवी की जैसे लकी रहो हमेशा इस मामले मैं.

दी: एस भाई. (और हम दोनो हासणे लगे)

मे: एक आखरी सवाल…?

दी:अब क्या बाकी हैं?

मे: सपोज़, की बातरूम मे सीमा दी की जगह तुम्हारी फोटो होती, तो तुम कैसे रिक्ट करती?

दी: (तोड़ा सोचने के बाद) मे तुम्हारे पैरो मे घिरके रिक्वेस्ट करती की, प्लीज़ भैया फक मे. फक युवर सिस्टर. जिस साइज़ का हथियार मुझे चाहिए था, आज वो मिला हैं मुझे. सो फक मे ब्रदर.(और वो ज़ोर ज़ोर्से हासणे लगी) फिर बोली: एक जोरदार थप्पड़ पड़ता तुझे.

मे: और पता हैं, मुझे थप्पड़ मरने के बाद आपको क्या मिलता?

दी: क्या?

मे: आपको वही बातरूम मे पटक कर, उस थप्पड़ की आचे से वसूली करता. तो चलो, मरो एक थप्पड़.

दी: नही..नही.

आइसा बोलकर दीदी भागने लगी, इस बार वो आयेज थी और मे पीछे, मैने अचानक से लपक कर दी को पीछे से पकड़ लिया, दी मुझसे बिल्कुल चिपक चुकी थी. मेरा हाथ उनके पेट पे था, और मेरे थुंभस दी के बूवस को टच कर रहे थे. मेरा खड़ा लंड दी की गांद मे चुभ रहा था. महॉल एक दूं से गरम सा हो गया.

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दी मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी, पर मैं उनको और टाइट दबा रहा था. मैने अब हाथो को तोड़ा उपर लेकर उनके बूब्स पे रखा.

दी: भाई, ये तू क्या कर रहा हैं.

मे: तुमसे वसूली की प्रॅक्टीस (और मैने अपने लंड को दी की गंद मे और दबाया)

दी: छोड़ मुझे, ये सब ग़लत हैं.

और वो मुझसे अपने आप को चुड़के फिरसे भागने लगी. हम दोनो ऐसे दौड़ रहे थे की मों घर मे आई.

मों: क्या हुआ, क्यू भागडोड़ कर रहे हो?

मे: दीदी मुझे थप्पड़ मारना चाहती हैं.

मों: तू हैं ही इसी लायक, टुजे तो एक नही, दिन मे 5 से 6 थप्पड़ पड़ने चाहिए तेरी दीदी से.

मे: सुनो, दीदी. मों कहती हैं की दिन मे थप्पड़ 5 से 6 बार मुझे लगाना हैं. मैं रेडी हूँ, क्या तुम हो.

और ये सुनकर हम दोनो ज़ोर से हासणे लगे. और ये देखकर मों सर्प्राइज़्ड लग रही थी.

उस दिन के बाद जैसे मैं और दीदी का रिश्ता पूरी तरह से बदल चुका था, एक दूसरे को चुना, एक दूसरे की कंपनी एंजाय करना, व्हातसपप पे डबल मीनिंग वेल मेसेजस भेजना, एक दूसरे का ख़याल रखना. जैसे की हम भाई बेहन ना होकर सीक्रेट लवर्स हो.

मुझे लगा की अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम कुछ महीनो मे इतने इंटिमेट हो जाएँगे, के दीदी सामने से मुझसे सेक्स के लिए आएगी. पर किस्मत मैं कुछ और ही लिखा था.

मों-दाद को शायद शक हो गया दी के अफेर के बारे मे, तो उन्होने झट से हमारे समाज मे से लड़का ढूँढ के शादी फिक्स करदी.

जीजू की बंगलोरे मे एक इट कंपनी मे जॉब थी, लड़का दिखने मे ओक था, पर उसकी सॅलरी अची थी, और फॅमिली भी अछा था, तो पापा ने शादी फिक्स करदी, और दीदी ने भी उसे आक्सेप्ट कर लिया.

शादी वाली रात जब वो लाल जोड़े मे सजी थी, तब उसे मे देखता रह गया. एक दूं से स्वर्ग की अप्सरा जैसी लग रही थी. वो अपने रूम मे रेडी हो रही थी आईने के सामने. मैने उसे डोर से इशारे से मोबाइल दिखाया. तो उसने अपना मोबाइल निकाला. मैने उसे व्हातसपप किया.

मे: लुकिंग ब्यूटिफुल.

दी: तांकष. सीट्ग बेअटीफुल…?

मे: बहुत हॉट आंड सेक्सी.

दी: ह्म

मे: आज तो ऐसा लग रहा हैं की स्वर्ग से कामदेवी, धरती पे आ गई हैं.

दी: इतनी तारीफे. आख़िर इरादा क्या हैं?

मे: अकेले मे मिलो, फिर बताता हूँ.

दी: भाई अभी पासिबल नही हैं, रूम मे बहुत सारे लोग हैं.

मे: कुछ तो झुगाड़ लगा यार. फिर पता नही तू शादी के बाद कब ऐसे मिल पाएगी? प्लीज़, यार…प्लीज़…

दी: ओक. धीरे से रूम मे आकर पर्दे के पिक्ड चुप जाओ.

(मैने वैसे ही किया, फिर दीदी ने अपने फ्रेंड्स और मेरी छोटी सिस्टर सभी को कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया, और रूम लॉक किया)

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मे: थॅंक योउ सिस्टर. बारात बाहर खड़ी हैं, कुछ ही देर मे तुम मुझे छोड़कर डोर बंगलोरे चली जाओगी.

दी: वो तो हैं.

मे: मुझे पता हैं, तुम्हे इस शादी से इतनी खुशी नही. पर ई विश की तुम आज की नाइट मेरी गफ़/बीवी जितनी लकी हो, तुम्हे जीजू उस तरहा प्यार करे.

दी: (रोते रोते हासणे लगी). तुम भी ना, वैसे के वैसे बदमाश हो.

मे: वो तो मैं हमेशा रहूँगा, तुम्हारे लिए. काश ये शादी कुछ महीनो बाद होती.

दी: तो क्या होता.

मे: तो मैं मेरी अनु दी को और करीब से, और आचे से जान पता. (और मैने अनु दी के कंधो को पकड़ कर उन्हे दीवार से सता दिया)

दी: अमित ये क्या कर रहे हो..?

मे: वही जो मुझे पहले कर लेना चाहिए था. मैं अपनी दीदी को आचे से फील कर रहा हूँ.(और अपने दोनो हाथ उसकी कमर पे डालके अपनी और खिछा)

दी: (अपनी आँखें जुका दी) ये ग़लत हैं, मैं अब किसी और की अमानत हू.

मे: उसमे अभी टाइम हैं, तबतक तो तुम पर मेरा हक़ हैं.(मैने अपने हाथ को उसकी गांद पे रखके सहलाने लगा.)

दी: ये सब ठीक नही हैं.(दीदी मच से बोल रही थी, पर कोई विरोध नही कर रही थी)

मे: आज तुम इस जोड़े में, एकद्ूम हॉट और सेक्सी लग रही हो.(ये सुनकर उसने स्माइल दी.) एक चान्स तो दो आज मुझे, क्या इतना भी हक़ नही मेरा?

ये सुनकर उसने अपनी आँखें मेरी आँखों मे डाली. मई उसकी एस को समाज गया और अपने होंठ उसके होंठ पे लगा दिए. एक हाथ उसकी चेस्ट पे था और दूसरा उसकी गांद पे.

हम दोनो अपना रिश्ता भूलकर एक दूसरे को स्मूच कर रहे थे और उसके बुक्स को उपर से दबा रहा था. कुछ 2 मिनिट्स के स्मूछिंग और प्रेस्सिंग के बाद मुझे लगा के मुझे दी को झट से घोड़ी बना कर छोड़ देना चाहिए. मैने उसके नीचे हाथ डालना चाहा पर वो माना कर रही थी.

दी: नही भाई, कोई आ जाएगा.

मे: कोई नही आएगा दी, तुम्हे जल्दी से डॉगी बनाकर छोड़ देता हूँ. आज तुम्हे पूरी तरहा से अपना बनाना हैं. (इतने मे दीदी के गाते पे ज़ोर ज़ोर से नॉक हुआ).

मों: दरवाजा खोलो अनु, पंडितजी बुला रहे हैं.

दी: मुझे जाना होगा, तुम अंदर बातरूम मे चुप जाओ.

और दीदी ने अपने आप को सही किया और मों के साथ नीचे चली गई. मैं अपने खड़े लंड को देखता रह गया और अपने आप से वादा किया था की एक ना एक दिन अनु दी की छूट मे इसे ज़रूर डालूँगा.

फिर दीदी की बिदाई हुई और बंगलोरे चली गई. वाहा जाकर वो मुझसे व्हातसपप पे बात नही करती थी, वीडियो कॉल पे भी तभी बात करती जब घरवाले सब साथ मे हो. वो मुझे पूरी तरहा अवाय्ड कर रही थी.

एक बार वो और जीजू घर आए थे पर उस टाइम मैं कॉलेज तौर पे था. उसके बाद मे अब जाकर दी से मिलूँगा. मैं बहुत ही एग्ज़ाइटेड था और बंगलोरे अभी आने ही वाला था.

याटरिघन करीपया प्रतीक्षा करे, क्यूंकी ट्रेन की जर्नी अभी जारी हैं, मिलते हैं अगले पार्ट मे.

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