जीजू की कंजूसी और दीदी की चुत जुसी

मे: लुकिंग ब्यूटिफुल.

दी: तांकष. सीट्ग बेअटीफुल…?

मे: बहुत हॉट आंड सेक्सी.

दी: ह्म

मे: आज तो ऐसा लग रहा हैं की स्वर्ग से कामदेवी, धरती पे आ गई हैं.

दी: इतनी तारीफे. आख़िर इरादा क्या हैं?

मे: अकेले मे मिलो, फिर बताता हूँ.

दी: भाई अभी पासिबल नही हैं, रूम मे बहुत सारे लोग हैं.

मे: कुछ तो झुगाड़ लगा यार. फिर पता नही तू शादी के बाद कब ऐसे मिल पाएगी? प्लीज़, यार…प्लीज़…

दी: ओक. धीरे से रूम मे आकर पर्दे के पिक्ड चुप जाओ.

(मैने वैसे ही किया, फिर दीदी ने अपने फ्रेंड्स और मेरी छोटी सिस्टर सभी को कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया, और रूम लॉक किया)

मे: थॅंक योउ सिस्टर. बारात बाहर खड़ी हैं, कुछ ही देर मे तुम मुझे छोड़कर डोर बंगलोरे चली जाओगी.

दी: वो तो हैं.

मे: मुझे पता हैं, तुम्हे इस शादी से इतनी खुशी नही. पर ई विश की तुम आज की नाइट मेरी गफ़/बीवी जितनी लकी हो, तुम्हे जीजू उस तरहा प्यार करे.

दी: (रोते रोते हासणे लगी). तुम भी ना, वैसे के वैसे बदमाश हो.

मे: वो तो मैं हमेशा रहूँगा, तुम्हारे लिए. काश ये शादी कुछ महीनो बाद होती.

दी: तो क्या होता.

मे: तो मैं मेरी अनु दी को और करीब से, और आचे से जान पता. (और मैने अनु दी के कंधो को पकड़ कर उन्हे दीवार से सता दिया)

दी: अमित ये क्या कर रहे हो..?

मे: वही जो मुझे पहले कर लेना चाहिए था. मैं अपनी दीदी को आचे से फील कर रहा हूँ.(और अपने दोनो हाथ उसकी कमर पे डालके अपनी और खिछा)

दी: (अपनी आँखें जुका दी) ये ग़लत हैं, मैं अब किसी और की अमानत हू.

मे: उसमे अभी टाइम हैं, तबतक तो तुम पर मेरा हक़ हैं.(मैने अपने हाथ को उसकी गांद पे रखके सहलाने लगा.)

दी: ये सब ठीक नही हैं.(दीदी मच से बोल रही थी, पर कोई विरोध नही कर रही थी)

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मे: आज तुम इस जोड़े में, एकद्ूम हॉट और सेक्सी लग रही हो.(ये सुनकर उसने स्माइल दी.) एक चान्स तो दो आज मुझे, क्या इतना भी हक़ नही मेरा?

ये सुनकर उसने अपनी आँखें मेरी आँखों मे डाली. मई उसकी एस को समाज गया और अपने होंठ उसके होंठ पे लगा दिए. एक हाथ उसकी चेस्ट पे था और दूसरा उसकी गांद पे.

हम दोनो अपना रिश्ता भूलकर एक दूसरे को स्मूच कर रहे थे और उसके बुक्स को उपर से दबा रहा था. कुछ 2 मिनिट्स के स्मूछिंग और प्रेस्सिंग के बाद मुझे लगा के मुझे दी को झट से घोड़ी बना कर छोड़ देना चाहिए. मैने उसके नीचे हाथ डालना चाहा पर वो माना कर रही थी.

दी: नही भाई, कोई आ जाएगा.

मे: कोई नही आएगा दी, तुम्हे जल्दी से डॉगी बनाकर छोड़ देता हूँ. आज तुम्हे पूरी तरहा से अपना बनाना हैं. (इतने मे दीदी के गाते पे ज़ोर ज़ोर से नॉक हुआ).

मों: दरवाजा खोलो अनु, पंडितजी बुला रहे हैं.

दी: मुझे जाना होगा, तुम अंदर बातरूम मे चुप जाओ.

और दीदी ने अपने आप को सही किया और मों के साथ नीचे चली गई. मैं अपने खड़े लंड को देखता रह गया और अपने आप से वादा किया था की एक ना एक दिन अनु दी की छूट मे इसे ज़रूर डालूँगा.

फिर दीदी की बिदाई हुई और बंगलोरे चली गई. वाहा जाकर वो मुझसे व्हातसपप पे बात नही करती थी, वीडियो कॉल पे भी तभी बात करती जब घरवाले सब साथ मे हो. वो मुझे पूरी तरहा अवाय्ड कर रही थी.

एक बार वो और जीजू घर आए थे पर उस टाइम मैं कॉलेज तौर पे था. उसके बाद मे अब जाकर दी से मिलूँगा. मैं बहुत ही एग्ज़ाइटेड था और बंगलोरे अभी आने ही वाला था.

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