दोस्तों मेरा नाम राज है।तब मेरी उम्र १९ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीडा
भडक रहा था। मेरी छुटि्टयॉ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर मे एक लड़की
रहती है।उसका नाम पूजा है। हम दोनो बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार
मैं द्यर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनो पूरे दो सालों के बाद मिले
थे। और अब वह पहले वाली पूजा नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गयी थी।
उसका भरपूर १७ वर्ष के जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भडका दिया था। उसके
बूब्स काफी बडे थे वो उसकी टाईट टीशर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हे
देखकर उन्हे हाथ में पकडने को जी चाहता था। वह अकसर शार्ट डे्रस पहना करती
थी।बचपन में मैने बहुत बार खेलते हुए पूजा के बूब्स को देखा था जो कि शुरू से
ही आम लड़कियों के बूब्स से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन
हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं
वो अपने द्यर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिलकुल भी
नहीं बनती थी। वो पूजा को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन
पूजा हमेशा मेरी तरफ ही होती थी। लकिन अब पूजा बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके
शरीर से भरपूर दिखने लगी थी।मैं उस को चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था।
लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी।एसा मुझे इस लिये लगा
क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी।दूर से ही मुस्करा देती थी।
लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैने पहली बार एसा द्रिष देखा
था।उस दिन मैं तकरिबन ११ बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया
क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी। मैं अपनी सब से ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर
बैठ गया।वहां से सामने पूजा के द्यर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी।मैं सोच रहा
था कि पूजा तो स्कूल गयी होगी लेकिन तभी मैने नीचे पूजा की आवाज सुनी मैने
नीचे देखा पूजा के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे। थोड़ देर बाद पूजा अन्दर
चली गयी।मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर पूजा को फोन
करने के बारे मे सोच ही रहा था कि मैने देखा पूजा अपनी छत पर आ गयी थी।मैं उस
को छुप कर देखने लगा क्योंकि मै पूजा को नही दिख रहा था।उस दिन पूजा ने शर्ट
और प्जामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी।वह अभी नहाई नही थी।तभी उस
ने धूप तेज होने के बजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गयी। उस ने अपनी
टांगे सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गयी जिस की बजह
से उस के बड़े बड़े बूब्स बाहर को आ गये थे।
मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उस के शरीर को देख रहा
था।तभी अचानक पूजा अपने बूब्स की तरफ देखने लगी और उसने अपने हाथ से ठीक करने
लगी।उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नही होगा कि उस को कोई
देख रहा है।उसी व्कत उस ने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये।मेरे को
अपनी आंखो पर विशवास नहीं हो रहा था कि मै यह सब देख रहा हूं। मैने अपने आप
को थोड़ा संभाला। लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नही रोक पाया जब
मैने देखा कि उस ने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट
के बाहर थे।मैने अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
जब मैने फिर देखा तो पूजा का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को
दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मझे ले रही थी ।तभी उस ने एक मुम्मे को बिलकुल
शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग का था।उसका
निप्पल बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय इरैकट था और हलके भूरे रंग का था। मैं
यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था। तभी उसने
अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनो बूब्स बाहर निकाल लिए। फिर
उसने अपने दोनो हाथों की उगलिुयों से निप्पलस को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने
लगी। काफी देर तक वो अपने बूब्स को अच्छी तरह दबाती रही। थोड़ी देर बाद वह
कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गयी। एक हाथ से उसने अपने बूब्स दबाने शुरू कर
दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे मे डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
अब उस को और भी मस्ती चड़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी उपर नीचे करने लगी
थी।मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उस को दिखा दूं कि मैं उस को देख रहा
हूं तभी मेरा हाथ मे ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा।
जब मैने फिर देखा तब तक पूजा खड़ी हो गयी थी लेकिन उसके बूब्स अभी भी बाहर ही
थे और वो वैसे ही नीचे चली गयी। लेकिन फिर भी मै बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे
को लगा कि मैने पूजा को चोदने का मौका गवा दिया। मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था।
एसा करना था वैसा करना था। तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया। और मैं जलदी से
नीचे गया और पूजा के द्यर फोन कर दिया। पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी
हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नही हुई थी लकिन वह बहुत खुश थी।
लेकिन मैं उस से सेक्स के बारे में कोई भी बात नही कर सका। इधर उधर की बातें
करता रहे। उस दिन हम ने २ द्यटें बातें की और फिर उसका भाई विशाल आ गया था।
शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने १ द्यटां बति की और फिर रोजाना हमारी
फोन पर बातें होने लगी और द्यर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती
थी। छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे। लेकिन मेरे को
उसके भाई से बहुत डर लगता था इस लिए जब वह द्यर पर होता था मै पूजा से दूर ही
रहता था।