जवानी में चुत की आग बहुजन बहुत मुश्किल है

तुमने मेरे चूतड़ पर जोर से क्यों मारा?”
“मुझे तो मजा आया … कितने गोल गोल और कड़े से हैं…”
“अभी बताता हूँ …!” विशाल को गुस्सा आ गया।
उसने मेरी बांह पकड़ी और खड़ी कर दिया। फिर जल्दी जल्दी से दो तीन बार मेरी चूतड़ को सहला सहला कर दबा कर चट चट से मार दिया। उसके ऐसा करने से मेरे तन में एक मीठी सी तरंग दौड़ गई। मैं तो लाज़ से गड़ सी गई।
“विशाल, और मार ना … मैंने मारा था ना …” मेरे शरीर में एक उत्तेजना की मीठी सी लहर दौड़ गई थी।
वो इस बार मेरे चूतड़ों को दबा दबा कर धीरे धीरे मारने लगा। मेरे शरीर में एक आग सी भरने लगी। मुझे लगा कि मैं विशाल से लिपट जाऊँ।
“विशाल, ये सब बन्द करो … क्यूँ करते हो ऐसा … दिव्या लगी तो नहीं…?”
पर मेरे चेहरे को देख कर समझ गई कि मुझे ये सब अच्छा लग रहा था। मिस भी ये सब देख कर कुछ कुछ रंगत में आने लगी थी।
“विशाल, तुमने बेबी को कहाँ-कहाँ मारा था, अब हमें भी मारो … चलो … और दिव्या तुम भी मारो …!”
पहले तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई। फिर मैंने ज्यों ही मिस के चूतड़ को हाथ लगाया तो मिस का शरीर कांप सा गया। उसके चूतड़ हाय राम कितने सधे हुये … और कड़े से थे … चिकने इतने कि … बस। मैंने दो तीन बार मिस के चिकने चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा … और मारने के स्थान पर थपथपा दिया। विशाल ने भी ऐसा ही किया … सेण्डी मिस तो जैसे मस्त हो गई।
“मिस कॉफ़ी…”
“अरे हां …”
कॉफ़ी पीने के बाद मिस ने सवाल हल करने का तरीका बताया, फिर विशाल से कहा- तुम जाओ अब… कल समय से आ जाना।

“दिव्या तुम रुको …”
विशाल आज बहुत खुश खुश सा नजर आया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
“बाय मिस … बाय दिव्या …”
“बैठो दिव्या … कैस लगता है तुम्हें ये विशाल?”
मेरी नजर जमीन पर गड़ गई।
“बोलो, शर्माओ मत …”
“अच्छा है मिस … शायद मुझे प्यार करता है?”
“सच … तो कल तुम भी उसे बता देना कि तुम भी उसे प्यार करती हो…”
“मिस शरम आती है ना…”
“जिसने की शरम, उसके फ़ूटे करम … चिन्ता मत करो मैं हूँ ना। उसे तुम्हारे चूतड़ बहुत पसन्द हैं, कैसे हाथ से सहला रहा था !!!”
“मिस… आप तो…”
मिस ने मुझे अपने से लिपटा लिया। और फिर मेरे गोल गोल चूतड़ों को दबाने लगी। मैंने अपनी आंखे ऊपर करके मिस को देखा …
उसने कहा- मजा आ रहा है ना …?
मैंने अपना सर हां में हिला दिया और फिर मैं मिस से लिपट सी गई। मिस वहीं कुर्सी पर बैठ गई और मुझे गोदी में बैठा लिया। मैं बड़ी सी और भारी सी उनकी जांघों पर बैठ गई। मिस ने प्यार से मेरे बालों में अपनी अंगुलियाँ फ़ेरी और मेरे चेहरे को चूम लिया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे मम्मों को मिस ने दबा दिया। एक तेज सी गुदगुदी हुई और मैं सिमट सी गई।
“बहुत सधे हुये हैं !!!”
“मिस आपके तो अधिक सुन्दर हैं…”
“तो देख ले ना … हाथ लगा कर … उफ़्फ़ … दबा कर भी देख ले ना।”
मिस वासना की गिरफ़्त में थी। मैंने भी देखा कि मिस अभी मूड में है तो उनके कठोर उरोज सहला कर देखा। बहुत गोल गोल … बड़े बड़े … कठोर … निपल तो सख्त किसी शूल की तरह …
“दिव्या प्लीज … मेरे बेड रूम में चलो …” मिस के चेहरे से वासना का भरपूर अहसास होने लगा था।
मुझे भी उत्तेजना सी होने लगी थी। मैंने कुछ नहीं कहा … बस उनके साथ उनके बिस्तर पर चली आई। मिस ने अपना टॉप उतार दिया … किसी ब्रा की आवश्यकता नहीं थी मिस को। सीधे किसी पहाड़ की भांति खड़े हुये, तने हुये… उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे खिंचे हुये थे। वो बिस्तर पर चित लेट गई। फिर वो मेरी तरफ़ बड़ी आसक्ति से देखने लगी। मुझे सब समझ में आ रहा था। मेरा जवान जिस्म भी मिस को देख कर डोलने लगा था।
मिस ने अपने हाथ खोल कर मुझे अपनी ओर बुलाया। मैं भी अपने आप को ना रोक सकी। मैं उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को देखने लगी। मेरे हाथ अपने आप चूचियों की ओर बढ़ चले। मेरे हाथ रखते ही उसके मुख से एक सुख भरी सिसकी निकल पड़ी। उफ़्फ़ कितने बड़े और सॉलिड थे वे। चिकने सांवले से … निपल सीधे तने हुये, निकले हुये।
मैंने अपने हाथ के अंगूठे और अंगुलियों से उसके कड़क चूचे दबा दिये।
“इस्स्स्स … दिव्या … निपल को और जोर से दबा डालो …”
मैंने अपने निपल्स की ओर देखा … मुझे तो शरम सी आने लगी। उसके सामने छोटे छोटे, मुरझाये हुये से … और मेरे मम्मे उसके सामने छोटी गेन्द जैसे … छीः …
तभी मिस ने मेरा टॉप भी ऊपर कर दिया और मेरे गेन्दों को दबा कर मसल दिया। उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और फिर हम दोनों चुम्मा-चाटी में लिप्त हो गये। हमारे कपड़े एक एक करके उतरते चले गये। जाने कब जोश ही जोश में नंगे हो गये।

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“दिव्या … प्लीज मेरी चूत को चूस लो … प्लीज …”
मैंने उसकी चूत देखी तो सन्न सी रह गई। काली चूत और बड़ी बड़ी झांटे … बीच में खूनी लाल सी झांकती हुई लाल सुर्ख चूत … जाने किसके नसीब में थी उसकी बला की सेक्सी चूत।
“उईईई मिस … इतनी बड़ी बड़ी झांटें … ये तो रस से भीग गई हैं …”
“उफ़्फ़ … दिव्या … जल्दी से चूसो ना …”
उसकी गीली झांटों से मेरे होंठ गीले हो गये थे। फिर मैंने अपना मुख उसकी चूत में झांटों के साथ छुपा लिया। जीभ निकाल कर लप लप करके चाटने लगी। वो मारे उत्तेजना के बिस्तर पर लोट लगाने लगी। तभी उसने मुझे पलट कर दबा लिया और अपने नीचे मुझे दबा कर असहाय सा कर दिया। उसकी बड़ी सी चूत मेरी छोटी सी मुनिया को अब जोर से रगड़ रही थी। मेरा भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो गया था। मारे आनन्द के मैं भी बेहाल हुई जा रही थी। उसका बड़ा सा शरीर मुझे मसले जा रहा था। मुझे तो अपनी ट्यूशन की फ़ीस वसूल हो गई थी। उसने मेरी छोटी छोटी चूचियाँ दबा दबा कर मुझे बेहाल कर दिया था। मैं तड़प उठी थी और फिर मेरी छोटी सी चूत ने जोर से अपना पानी छोड़ दिया। उसी समय सेण्डी मिस का भी सारा जोश तड़प कर बाहर निकल पड़ा और जोर से झड़ गई।
अभी भी वो मेरी टांगों पर घुटने के बल बैठी हुई थी। उसने मेरी गेन्दों को छोड़ दिया, उसके चेहरे पर पसीने की बून्दें उभर आई थी। उसके नाक के नथुने जोर जोर से फ़ूल और पिचक रहे थे।
“मिस … अब उतरो तो …”
मिस मेरे ऊपर से उतरते हुये बोली- दिव्या बेबी … विशाल होता तो साले का लण्ड चूत में घुसा लेती।

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