हॉट आंटी का कामवासना

इप्शिता बोली- स्वर्णिम, तुम्हारा लंड इतना बड़ा है और मेरी बूर इतनी छोटी है ! कैसे जायेगा ?

मैंने कहा- इप्शिता, पहले-पहले दुखेगा ! फिर मज़ा आएगा !

वो बोली- ठीक है स्वर्णिम ! प्लीज़, धीरे-धीरे चोदना !

मैंने अभी दो इन्च ही अन्दर डाला होगा, वो चिल्लाने लगी- नहीं नहीं स्वर्णिम ! बाहर निकालो लंड ! और नहीं सहा जाता !

मैंने कहा- ठीक है इप्शिता !

मैंने लंड बाहर नहीं निकाला और बोला- मैं थोड़ी देर रुकता हूँ !

उसकी आँख से आँसू निकल रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद धीरे धीरे इप्शिता के बूर में लंड डालने लगा। मैंने जब ध्यान से देखा तो खून आ रहा था। मैं समझ गया कि इप्शिता की सील मैंने ही तोड़ी है और वो जो कुछ भी बोल रही थी, सच बोल रही थी।

फिर मैंने चोदना जारी रखा। अब इप्शिता को भी मज़ा आने लगा। धीरे-धीरे मैंने स्पीड बढ़ा दी। इप्शिता के मुँह से जोर-जोर से आवाज़ आने लगी- आह ऊई ऊउम्ह औच आही अहह और जोर जोर से डाल लंड स्वर्णिम ! बहुत अच्छा लग रहा है !

मैंने और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। फिर हम लोग करीब बीस मिनट के बाद झड़ गए। मैंने अपना वीर्य उसके अन्दर उसकी बूर में ही डाल दिया और इस तरह मैंने इप्शिता की रात भर छः बार चुदाई की।

और जब मैं सुबह को जगा तो आठ बज चुके थे।

इप्शिता नहा-धोकर तैयार होकर चाय लेकर मेरे पास आई और बोली- स्वर्णिम स्वीट हार्ट ! गुड मोर्निंग !

मैंने कहा- आंटी कहाँ हैं?

इप्शिता बोली- मंदिर गई हैं !

मैंने कहा- इप्शिता जानू आओ न ! मेरा लंड चूसो !

वो बोली- स्वर्णिम, मम्मी आ जाएंगी ! बाहर का गेट तो बंद है न ? जब आएंगी तो पता चल जायेगा !

वो बोली- ठीक है !

फिर मैंने अपना लंड उसको पकड़ा दिया और वो लंड चूसने लगी। बीस मिनट तक चूसने के बाद फिर वीर्य मैंने उसके मुँह में ही गिरा दिया।

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फिर नहा धोकर वापस चला गया।

दोस्तो, यह कोई कहानी नहीं ! यह मेरे साथ हुआ सच्चा वाकया है। इसके बाद अब हम लोग अक्सर मिलते हैं और जब कभी भी मिलते हैं तो चुदाई जरुर करते हैं।

मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी, जरुर बताइएगा।

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