हॉट आंटी का कामवासना

नमस्कार, मैं अन्तर्वासना को साल भर से पढ़ रहा हूँ। सभी को प्रोत्साहन देने वाली यह साईट सही मायने में अपने आप में एक उदाहरण है जोकि हरेक इंसान को अपने दिल की बात बताने का मौका देती है उन सभी पाठको में से मैं भी एक हूँ।

मेरा नाम स्वर्णिम है, मैं टाटा स्टील (जमशेदपुर) का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र २३ साल है, देखने या मिलने के बाद आप सभी लड़कियों को पता चल ही जायेगा कि मेरा शरीर और लंड कितना सख्त है।

यह बात है अगस्त, 2009 की ! मुझे एक कॉल आई मेरे मोबाइल पे करीबन 11 बजे दिन में ! उस तरफ से एक बड़ी ही प्यारी आवाज़ आई- हेलो ! मिस्टर स्वर्णिम?

मैंने भी कहा- यस, स्वर्णिम स्पीकिंग !

उसने कहा- मैं इप्शिता बोल रही हूँ ! एक निजी बैंक से !

(माफ़ कीजियेगा मैं बैंक का नाम नहीं बताना चाहूँगा)

उसने कहा- सर, मुझे आपसे एक बिज़नस प्लान के सिलसिले में आपसे अप्पॉंयंट्मेंट चाहिए !

मैंने पता नहीं कैसे उसे कह दिया- ओ के ! शनिवार को एक बजे आ जाना !

जब शनिवार का दिन आया करीब डेढ़ बजे एक बड़ी खूबसूरत क्यूट सी लड़की मेरे केबिन में एक लड़के से साथ आई और बोली- हेलो सर ! मैं इप्शिता फरोम ….. बैंक !

असल में मैं भूल गया था कि आज वो आने वाली है। मैंने भी हेलो किया और और बैठने को कहा। मैं तो उसके चहरे से नज़र हटा ही नहीं पा रहा था, गजब की खूबसूरत थी वो !

करीब एक घंटे तक वो और उसका साथी मुझे कुछ बिज़नस प्लान के बारे में बताते रहे पर मेरे ध्यान तो कहीं और ही था। मैं सोच रहा था कि पता नहीं कौन इसका बॉयफ्रेंड होगा जो भी होगा, इसके बाद ओ कभी भी दूसरी लड़की के बारे में कभी भी नहीं सोचेगा !

मैं खोया हुआ था, तभी इप्शिता ने कहा- सर, कहिये अगली बार कब मिलूं?

मैंने कहा- आप सोमवार को आ जाओ ! मैं सासे पेपर तैयार रखूँगा !

इप्शिता ने कहा- ओ के सर ! मैं सोमवार आ जाऊँगी करीब चार बजे !

मैंने कहा- ओके !

सोमवार को करीब सवा चार बजे इप्शिता अकेले आई। मैंने कहा- आज आप अकेले ?

तो इप्शिता ने कहा- मेरे कलीग को कहीं और जरुरी काम से जाना था तो वो वहाँ चले गए !

पेपर वर्क करते करते तकरीबन दो घंटे लग गए। शाम के सात बज रहे होंगे, वो जाने को हुई, मैंने कहा- इतनी देर हो गई है, मैं छोड़ देता हूँ !

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तो उसने मना कर दिया। मैंने भी ज्यादा कोशिश नहीं की। दस मिनट के बाद जब मैं भी निकला तो देखा बाहर काफी बारिश हो रही थी और इप्शिता अपनी स्कूटी स्टार्ट करने में लगी हुई थी।

मैं इप्शिता के पास गया और पूछा- कोई प्रॉब्लम?

तो इप्शिता ने कहा- सर यह स्टार्ट नहीं हो रही है !

मैंने कहा- इतनी बारिश में कैसे जाओगी ?

तो इप्शिता ने कहा- पता नहीं बारिश कब रुकेगी और मैं कब घर जाउंगी ! वैसे मैंने तो कह रखा है घर पर कि देर हो जायेगी लेकिन बारिश रुक ही नहीं रही है तो सोचा भीग कर ही चली जाऊं !

मैंने कहा- अगर आप को कोई प्रॉब्लम न हो तो आप गाड़ी यहीं छोड़ दो, मैं अपनी कार में आपको छोड़ दूंगा !

वो बोली- नहीं सर ! मैं मैनेज कर लूँगी !

मैंने कहा- मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी अगर आपको कोई प्रॉब्लम है तो कोई बात नहीं !

तो इप्शिता बोली- नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं है, ठीक है चलती हूँ।

मैंने चौकीदार से कहा- स्कूटी को पार्क कर दो !

और इप्शिता को अपनी कार में बैठने को कहा, वो बैठ गई।

मैंने पूछा- कहाँ रहती हो?

वो बोली- टेल्को में !

मेरे ऑफिस से टेल्को काफी दूर था, करीब 35-40 मिनट का रास्ता था, इप्शिता थोड़ी भीग चुकी थी और मेरे कार का ए सी चालू था, उसको ठण्ड लग रही थी लेकिन कह नहीं रही थी कि उसे ठण्ड लग रही है। मैंने देखा इप्शिता के होंठ कांप रहे थे ठण्ड के चलते !

मैंने कहा- इप्शिता ठण्ड लग रही है क्या ?

वो बोली- नहीं !

मैंने कहा- आप कांप क्यों रही हो ? अगर ठण्ड लग रही है तो एसी बंद कर देते हैं !

हम लोग बात करते करते घर पहुँच गए। वो बोली- सर कॉफी पी कर चले जाइयेगा !

मैंने कहा- नहीं देर हो गई है, किसी और दिन कॉफी पीने आ जाऊंगा !

मैंने बाय किया और कार स्टार्ट करने लगा तभी कार की बैटरी लो गई, कार स्टार्ट नहीं हो रही थी। काफी कोशिश के बाद भी स्टार्ट नहीं हो रही थी। इप्शिता वापस आई, बोली- सर, क्या हुआ?

मैंने कहा- शायद जो प्रॉब्लम आपकी गाड़ी में हुई वही मेरे भी गाड़ी में हो गई है !

सर, आप वापस कैसे जाओगे?

अब देखता हूँ, अगर कोई ऑटो मिल जायेगा तो उसी से चला जाऊंगा।

बारिश के कारण ऑटो भी नहीं मिल रही थी तो इप्शिता ने कहा- आप मेरे घर आ जाइए !

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मैंने भी कहा- ठीक है शायद तब तक कुछ मैनेज हो जाए !

मैं इप्शिता के साथ उसके घर चला गया। घर पर उसकी मम्मी थी, इप्शिता ने अपने मम्मी को सारी बात बता दी। तब आंटी ने कहा- बेटा, तुम्हारे घर वाले परेशान हो जाएँगे, तुम उनको फ़ोन कर के बता दो !

तब मैंने कहा- आंटी, मैं यहाँ अकेले ही रहता हूँ !

आंटी ने कहा- ठीक है बेटा ! तुम फ्रेश हो जाओ ! मैं खाना लगा देती हूँ !

इप्शिता मुझे अपने कमरे में ले गई और अपने पापा की नाईट-ड्रेस और तौलिया दिया। मैं फ्रेश हो कर आ गया। हम तीनों ने खाना खाते-खाते काफी बातें की। तब मुझे यह भी पता चला कि इप्शिता के पापा ऑफिस के काम से कोलकाता गए हुए हैं और वो अगले दिन वापस आयेंगे। हम लोग खाना खाने के बाद टीवी देखने लगे। थोड़ी देर में आंटी बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूँ, तुम लोग भी आराम कर लो !

मैंने कहा- ठीक है आंटी !

आंटी के जाने के बाद करीब तीस मिनट बाद हम लोग भी सोने की तैयारी करने लगे। मैंने पूछा- इप्शिता, यह कमरा आपका है क्या ?

वो बोली- हाँ सर ! यह कमरा मेरा है !

मैंने कहा- मैं यहाँ सो जाऊंगा तो आप कहाँ सोओगी?

वो बोली- मैं हाल में सो जाउंगी !

मैंने कहा- आप यहीं सो जाओ ! हाल में मैं सो जाऊंगा !

वो बोली- नहीं सर ! कोई प्रॉब्लम नहीं है ! आप यहीं सो जाओ !

ठीक है इप्शिता, जब तक नींद नहीं आती, हम लोग बात करें?

वो बोली- हाँ सर, ठीक है !

हम लोगों ने काफी बातें की। रात का करीब एक बज चुका था, मुझे लगा कि इप्शिता को नींद आ रही है, मैंने पूछा- इप्शिता, आपको तो नींद आ रही है !

वो बोली- हाँ सर ! नींद आने लगी है !

मैंने कहा- इप्शिता, आप मुझे सर-सर मत बोलो ! ऐसा लगता है कि मैं अभी भी ऑफिस में ही हूँ। मेरा नाम है स्वर्णिम ! आप मुझे मेरे नाम से बुला सकती हो !

ठीक है कोशिश करूँगी !

मैंने कहा- कोशिश नहीं ! बोलो !

यस ! ठीक ! स्वर्णिम अब मैं जा रही हूँ !

और वो चली गई। करीब 15 मिनट के बाद जब ओ वापस आई तो अपनी नाईट-ड्रेस में थी, वापस आकर बोली- स्वर्णिम ! मैंने तो गुड नाईट कहा ही नहीं था !

मैंने कहा- ओ हाँ ! मैंने भी तो नहीं कहा था !

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