घरवाली और बाहरवाली भाग 2

“आज की चुदाई बड़ी ही मजेदार है मेरी जान.”

विवेक थोडा ऊपर खिसका और कविता की चून्चियों से खेलते हुए बोला,
“मुझे लगता है की तुमने आज गौरव के साथ थोड़ी तो मौज की है पर जब तुम लौटे तो तुम्हारे चेहरे पर एक अजीब सा लुक था. हैं ना?”

कविता थोड़ी हिचकिचाई उसने अपने हाथों से विवेक का मुलायम पद गया लौंडा पकड़ लिया और उससे तब तक खेला जब तक की वो फिर से खड़ा बहिन हो गया. वो बोली,
“गौरव मुझे लाइन मार रहा था जोरों से. जब मैं उसे अपना स्टोव दिखा रही थी, वो पीछे खड़ा था. वो अपने हाथ मेरे हाथों के नीचे से ला कर मेरे मम्मे सहलाने लगा. और उसने मेरी गर्दन के पीछे किस भी किया.”

“और तुमने क्या किया बेबी डॉल?”

“पहले तो मैं वह चुपचाप खडी रही. मुझे विशवास नहीं हो रहा था की ये सब वास्तव में हो रहा है….. फिर मैं वापस उसकी तरफ घूमी….तुम्हें तो पता ही है की मैं ऐसे समय ब्रा नहीं पहनती ताकि मेरे तगड़े मम्मों की जम के नुमाइश कर सकूं…उसने मेरे मम्मों को देखा..और बोला – कविता तुम्हारे मम्मे तो लाजवाब हैं.”

“इसके पहले की मैं कुछ कहती वो मेरे दोनों मम्मे मसलने लगा …मैं कुछ बुद्बुदाई..मुझे बड़ा आनंद आ रहा था….उसने मेरा ब्लाउज खोल दिया और मेरे मम्मों को एकदम नंगा कर के मसलने लगा …थोड़ी देर में मैने उसका हाथ हटा दिया और ब्लाउज के बटन लगा दिए.”

“तुम्हारा मन नहीं हुआ की गौरव को वहीं के वहीं चोद डालो कविता मेरी जान!”

कविता विवेक का लौंड़े को जोर से हिला रही थी. उसने विवेक की आँखों में ऑंखें डाल के बोला,

“विवेक, प्लीज बुरा मत मानना पर सच्चाई ये है की मेरा बस चलता तो उसे वहीँ पटक कर चोद देती उसे. अगर तुम दोनों दुसरे कमरे में नहीं होते तो भगवान् न जाने आज मैं क्या कर बैठती”

“ओह, मुझे मालूम है बेबीडॉल की तू क्या करती. तू अपनी टाँगे फैला कर गौरव का बड़ा और मोटा लौंडा अपनी प्यासी चूत में गपाक से डाल लेती ना? वैसे लगता है अब समय आ गया की हम अपना इतना पुराना सपना पूरा करें… गौरव और रीता स्वैप करने में पूरी तरह से इंटरेस्टेड हैं..तू क्या बोलती है मेरी जान? ”

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कविता पूरे उन्स्माद में भर चुकी थी. वो विवेक के ऊपर चढ़ गयी और उसका लौंडा अपनी खुली चूत में भर कर उसे जम के छोड़ने लगी. जैसे वो ऊपर ने नीचे आती उसकी आज़ाद चुन्चिया हवा में उछल जाती थीं. उन दोनों की ये चुदाई बड़ी की स्पेशल थी क्योंकि पहली बार वो अपनी चुदाई में औरों को सामिल करने के काफी करीब थे.

कविता ने अपनी हस्की आवाज में पूछा,
“क्या तुम पड़ोसियों के साथ ये सब करना चाहोगे? ओह..मुझे तो पहले से पता है की तुम रेनू को चोदना चाहते हो. मुझे पता है की तुम मेरे अलावा और औरतों को चोदते हो और मुझे इससे कोई समस्या नहीं रहे है. तुमने मुझे हमेशा खुश रखा है…पर पड़ोसियों के साथ का ये सब तुम्हें ठीक रहेगा विवेक? गौरव ने मुझे बोल ही रखा है की वो कहीं और मिल कर मेरी लेना चाहता है”

“ओह तो ये बात है बेबी डॉल! लगता है हमारे पडोसी समय बर्बाद करने में बिलकुल विश्वाश नहीं रखते हैं”

विवेक ने भी कविता को बताया कि इस दौरान रेनू और उसके बीच में क्या हुआ. विवेक कविता की चूत में अपना लंड उछल उछल कर डालने लगा. कविता को विवेक का लौंडा अपनी चूत के अन्दर फूलता हुआ सा लगा. विवेक धीमे धीमे से छोड़ने लगा और एक पल बाद ही जोर से चोदने लगता. पूरा कमरा चुदाई की मस्की गंध से भर सा गया. कविता ने झुक कर विवेक का लंड गपागप अपनी चूत में जाते देखा और विवेक से पूछा,
“तो तुम मानसिक रूप से उस बात के लिए बिलकुल तैयार हो की गौरव मुझे छोड़ दे? तुम्हारा रेनू को चोदना मुझे तो बड़ा अच्छा लगेगा….पर तुम गैर मर्द की मेरे साथ चुदाई देख सकोगे?”

“अगर तुम गौरव से चुदना चाह रही तो मुझे इससे कोई समस्या नहीं है बेबी डॉल. मेरी तो ये सब करने की वर्षों की तमन्ना थी.”

“ओह शिट विवेक… मैं तो उस समय के लिए तरस रही हूँ जब गौरव मेरी ले रहा होगे और तुम मुझे उससे चुदते हुए देख रहे होगे. गैर मर्द से चुदने के विचार से मुझे मजा आने लगता है”

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विवेक ने कविता को अपने रेनू के साथ के अनुभव को अब विस्तार में बता रहा था और उसे चोद रहा था. इस समय कविता को पता चला की उन्हें पड़ोसियों से मिलने अगली सुबह जाना है,

“ओह यस….तुम रेनू को जोर से चोद देना विवेक….ओह…आईईई…ई..ई…..मैं गयी रे… ” कहते हुए कविता झड गयी.

दोनो एक दुसरे की बाहों में लिपट कर नंगे ही सो गए. उन्हें अगले दिन की सुबह का इंतज़ार था. उन्हें पता था की वो सुबह उनके जीवन में कई नए आयाम ले कर आयेगी.

कविता और विवेक नंगे बदन एक दुसरे की बाँहों में समाये साड़ी रात सोते रहे. दोनों ने पिछली रात एक दुसरे को चोद चोद कर इतना थकाया था की जब वो एक बार सोये तो सुबह कब हुई ये पता नहीं चला. विवेक की आँख 9:30 पर खुली और वो तुरंत ब्रश करने चला गया. वापस आकर कविता के होठों पर होंठ रखे और धीरे से बोला, “बाय”. विवेक अपने सामने के घर में कल ही शिफ्ट हुए पड़ोसी की बीवी रेनू से मिलने जा रहा था.

कविता को विवेक के वापस आने के लिए लगभग दो घंटे इंतज़ार करना पड़ा. विवेक को देखते ही कविता समझ गयी को वो रेनू को जम कर छोड़ कर आया है. विवेक ने उसे साड़ी आपबीती सुनाई. उसने बताय की जब वो उसके घर पहुंचा रेनू बिस्तर पर नंगी लेट कर उसका इंतज़ार कर रही थी. दोनों ने एक दुसरे पहले तो चूस चूस कर पानी निकाला फिर चोद चोद कर.

“कविता उन्होंने हमें शाम को ड्रिंक्स के लिए बुलाया है. तुम अभी भी राजी हो ना?”

कविता हंसी और बोली,
“अरे ये भी कोई पूछने की बात है… ऐसा मौका छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता.”

“अच्छा एक बात – रेनू पूछ रही थी की क्या तुम्हें औरत के साथ सेक्स पसंद है”

कविता बोली … “मुझे लगता है की ये कला भी सीखने का वक़्त आ ही गया है….”

दोनों ने बाकी का दिन शाम का इंतज़ार करते हुए ही गुज़ारा. शाम को जब वो पड़ोसियों के लिए निकलने ही वाले थे, उसके घर की घंटी बजी, दरवाजा खोला तो देखा पड़ोसियों की बेटी सायरा खडी थी.

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