मैं उनके द्वारा हुवे लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाँथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी,
मेरे पति ने लिंग का योनी में घर्षण करते हुए कहा….स्टोरी का क्या बना….आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी…ओह…कितना मजा आ रहा है शावर के निचे मैथुन करने में….उफ….वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले, उनके हांथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी,
हाँ…उफ….ओह…….ऊई मां….तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को…इससे आज ज्यादा ही आनंद मिल रहा है…., मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई….बड़ा मजा आया था….शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था…खूब जोर जोर के धक्के मारे थे…मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी,
थोडी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई ऑर मैनें जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ ली, वह मेरी योनी से लिंग निकाल चुके थे ऑर अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे, गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे ऑर गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी, फिर हम दोनों एक दुसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे,
मेरे पति को अब तीस पैंतीस दिन तक किसी टूर पर नहीं जाना था, उन्होंने शिल्पा वाली स्टोरी कई दिनों तक मुझसे बड़ी बारीकी से सुनी थी ऑर फिर हसरत जाहिर की थी की काश इस बार शिल्पा जब घर आये तो वो भी मौजूद हों, इस बात पर अफ़सोस भी जताया था की जब शिल्पा वाली घटना घटी तब वह वहाँ क्यों नहीं थे,
वे इस बार टूर से सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधन नहीं लाये थे बल्कि कई इंग्लिश मैगजीन भी लाये थे जिनका विषय एक ही था सेक्स, उन मैगजीनों में अनेक भरी सेक्स अपील वाली मोडल्स के उत्तेजक नग्न व अर्धनग्न चित्र थे , कुछ कामोत्तेजक कहानियां व उदाहरण आदि थे तथा दुनिया के सेक्स से संबंधित कुछ मुख्य समाचार थे,
मै कई दिनों तक खाली समय में उन मैगजींस को देखती व पढ़ती रही थी,
दरअसल मेरी ससुराल इस शहर से चालीस किलोमीटर दूर एक कस्बे में है, जहां से कभी किसी काम से मेरी ससुराल के अन्य लोग आते रहते हैं, कभी मेरे ब्रिद्ध ससुर तो कभी ननद शिल्पा कभी मेरा एक मात्र देवर जो शिल्पा से चार वर्ष बड़ा है, अगर शहर में उनमे से किसी को शाम हो जाती है तो वे हमारे घर में ही ठहरते हैं,
एक दिन फिर मेरी ससुराल से एक शक्श आया, वह मेरा देवर था, शाम के पांच बजे वह हमारे घर आया था, मेरे पति घर पर नहीं थे, ऑफिस से साढे पांच या छः बजे तक ही आते थे,
मैं सोफे पर बैठी इंग्लिश मैगजीन पढ़ रही थी, तभी कॉल-बेल बजी, मैनें मैगजीन को सेंटर टेबल पर डाला ऑर यह सोचते हुवे दरवाजा खोला की शायद मेरे पति आज ऑफिस से जल्दी आ गए हैं, लेकिन दरवाजा खोला तो पाया की मेरा देवर जतिन सामने खडा है, उसने कुर्ता पायजामा पहन रखा था, वह कुर्ता पायजामा में काफी जाँच रहा था,
भाभी जी नमस्ते….उसने कहा ऑर अन्दर आ गया,
कहो जतिन आज कैसे रास्ता भूल गये, यम तो अपनी भाभी को पसंद ही नहीं करते
शायद…..मैनें दरवाजे को लोक्ड करके उसकी ओर मुड़ कर कहा,
ऐसा किसने कहा आपसे…वह सोफे पर बैठ कर बोला,
वह टेबल से उस मैगजीन को उठा चूका था जिसे मैं देख रही थी,
मेरे दिल में धड़का हुआ, मैगजीन तो कामोत्तेजक सामग्री से भरी पड़ी थी, कहीं जतिन उसे पढ़ न ले, मैनें सोचा लेकिन फिर इस विचार ने मेरे मन को ठंडक पहुंचा दी की अगर यह मैगजीन पढ़ ले तब हो सकता है उसकी मर्दानगी का आज टेस्ट मिल जाए, इसमें भी तो जोश एकदम फ्रेश होगा, मैं निश्चिंत हो गई,
कौन कहेगा…मैं जानती हूँ….अगर मैं तुम्हे पसंद होती……तो क्या तुम यहाँ छः छः महीने में आते….आज कितने दिनों बाद शक्ल दिखा रहे हो….पुरे साढे पांच महीने बाद आये हो , तब भी सिर्फ एक घंटे के लिए आये थे, मैं उसके सामने सोफे पर बैठ कर बोली,
मैनें ब्रेजियर्स और पेंटी पहन कर सिर्फ एक सूती मैक्सी पहन राखी थी, जिसके गहरे गले के दो बटन खुले हुए भी थे, वहां से मेरे गोरे गोरे सिने का रंग प्रकट हो रहा था,
मैनें देखा की जतिन ने चोर नजरों से उस स्थान को देखा था फिर नजर झुका कर कहा – ये तो बेकार की बात है….आओ जानती ही हैं की मैं कितना बीजी रहता हूँ, कंप्यूटर कोर्स, पढ़ाई और फिर घर का काम…..चक्की सी बनी रहती है, आज थोडा टाइम मिला तो इधर चला आया, वो भी शिल्पा ने भेज दिया…क्योंकि भाई साहब ने फोन किया था, उन्होंने शिल्पा को बुलाया था कहा था की उसे कुछ कपडे दिलवाने हैं, शिल्पा को तो आज अपनी एक सहेली की शादी में जाना था सो उसने मुझे भेज दिया…जतिन बोला,
मैं समझ गई की मेरे पति ने शिल्पा को किसलिए फोन किया होगा, कपडे दिलवाने का तो एक बहाना है, असल बात तो वही है जिसकी उन्होंने तमन्ना जाहिर की थी,
हाँ…कहा था की आज या कल सुबह आ जाना…जतिन बोला,
अच्छा तुम बैठो मैं पानी वानी लाती हूँ…..मैनें ये कहा और सोफे से उठ कर रसोई की ओर चली गई, फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर एक ग्लास में पानी डाला और ग्लास अपने देवर जतिन के सम्मुख जरा झुक कर ग्लास उसकी और बाधा कर बोली–लो पानी पीयो…मैं चाय बनाती हूँ.