घर में बहु नहीं रंडी आयी है भाग 2

इस घटना नें शिल्पा को भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था,
शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टुर से लौटे, इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े थे, उन्हनें कपडे भी नहीं चेंज किये और मुझसे लिपट गये थे, मैनें दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे थे,

ओफ्फो…तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो, घर में आकर पानी वानी पिने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो, मैनें उनके सीर पर हाँथ फिर कर कहा,

वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले – क्या मतलब है तुम्हारे कहने का, तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जीकर क्यों किया..?

इअलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी, मैनें हंसते हुवे कहा,

व्हाट…..क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है….? उन्हें आशचर्य हुवा, फिर क्या हुवा….उन्होंने मुझे अपनी बाजुओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुवे कहा,

मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली…जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे,

साथ साथ नहा रहे थे… तब तो बड़ा मज़ा आ रहा होगा, चलो अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा, उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की ऑर मोड़ कर कहा,

मजा तो आना ही था…मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चूका था,वह मेरी योनी को चाट ही रहा था की तुम्हारी बहाब कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मुड ऑफ़ हो गया, मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साडी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची, दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक कि चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा कड़ी थी,

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मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खडा कर दिया, फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले….

फिर…फिर क्या हुआ…..कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो, इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया, मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी,

मेरे हांथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे, शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली. उफ….उफ…शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई की लड़की प्यासी है, मेरी बातों को….उफ…उफ…आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें…. आप तो पागल हुवे जा रहे हैं…उफ… मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियां फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है, मैनें उत्तेजना से उत्तपन होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया, शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने…..उफ…..ऑफ…ओफ्फो…
क्या कर रहे हैं आप….?क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की…….आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज….मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुंह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हे मजा नहीं आ रहा, अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ,

मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है की ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ…….ठीक है तुम ऐसे ही चुसो, मैनें उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा,
तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ…उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हांथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे,

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मैं उनके पेंट की बेल्ट खोलते हुवे बोली…फिर एक ओह्ह..उफ…ऊई…फिर हाँ मैं..उफ….मैं कह रही थी की शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहां पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाँथ डाल दिया था और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया की अपनी सहेली के साथ लेस्वियन लव का आनंद लेती है, मेरी….उफ……ओह…अपने पति के द्वारा अपनी योनी में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकाल दी, उफ…ये शावर तो खोल लो….नहाना भी साथ साथ हो जायेगा, मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई…मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था, उसे तबतक पता नहीं था…उफ…ओह…ओफ….मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर निचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनी पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे, मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े,

सुनाओ न आगे क्या हुआ…मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनी से पल भर के लिए हटा कर कहा,
तुम शावर खोलो मैं आगे बताती हूँ…मैं बोली और अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली

ओफ…फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था,वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका विस्तृत आकर में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था,शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई की उसने अभी तक लिंग का दर्शन नहीं किया है, ओह…उफ आउच…ओह…इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनी में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे,

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