जी…..मेरी ननद सकपकाई,
मैनें स्थिति संभाली….डोंट वरी शिल्पा….मेरी ननद का नाम शिल्पा था, ….आज तुम्हारी हसरत पूरी हो जायेगी…मेरे भाई से मैं ही कोई पर्दा नहीं करती….तुम्हारे भईया भी पर्दा नहीं करवाते हैं….बल्कि उन्होंने हम दोनों के साथ मिल कर काम सुख प्राप्त किया है….ना मैं इस चीज को बुरा मानती हूँ और ना तुम्हारे भईया क्योंकि हैं तो हम स्त्री-पुरुष ही बाही रिश्ते विश्ते तो लोगों नें अपने फायदे के लिए बनाये हुवे हैं….मुझे तो इतना आनंद आया है अपने भाई के साथ कि मत पूछो, जब तुम आई थी हम दोनों साथ ही तो नहा रहे थे,
शिल्पा धीरे धीरे सामान्य होने लगी, मैनें एक चाय का कप उसकी ओर बढा दिया, दूसरा कप अपने भाई कि ओर बढा दिया, उसने अपना कप ले लिया, मैनें अपना कप लिया फिर हम तीनों रसोई से बैडरूम में आ गये. मेरे भाई ने मात्र अंडरवीयर पहन रखा था, जिसमें से उसके सख्त होते लिंग का आभास सहज ही हो रहा था,
हम तीनों बेड पर बैठ गये, शिल्पा बार बार मेरे भाई के शरीर के आकर्षण में बांध रही थी, उसकी नजर बार बार मेरे भाई कि पुष्ट जाँघों के जोड़ पर जाकर ठहरती थी,
मैं उसकी स्कर्ट को उसकी फैली टांगों से जरा ऊपर सरका कर उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर बोली…तुम्हारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है…..अगर यहाँ तुन्हारे भईया होते तब तो और भी ज्यादा मजा रहता, फिर भी मेरा भाई तुम्हे संतुष्ट करने में सक्षम है….हमने इसे पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है….
मैनें अपने भाई के अंडरवीयर कि झिरी में से उसके लिंग को बाहर निकाल कर शिल्पा के हाँथ में थमा कर कहा…
इसे धीरे धीरे सहलाओ तब देखना यह कैसा कठोर और लंबा हो जाता है….भभकने लगेगा ये,
मैनें चाय का खाली कप बेड कि पुस्त पर रखा और अपने हांथों से शिल्पा के टॉप कि जिप खोलने लगी,
मेरे भाई ने भी चाय का खाली कप तिपाई पर रख कर मेरे ब्लाउज को मेरी बाजुओं से निकाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल कर उसके जालीदार कप को स्तनों से निचे सरका कर मेरे स्तनों को सहलाना और चुसना सुरु कर दिया था, मैं उत्तेजित होने लगी थी, उत्तेजना में मेरा शरीर बेड पर फैलने लगा था,
भाभी पहले मैं आपके स्तन को चुसुंगी….शिल्पा ने मेरे भाई के लिंग को छोड़ कर मेरे स्तनों पर आते हुवे कहा,
ठीक है…. मैनें उससे कहा और फिर अपने भाई से कहा, तुम शिल्पा के स्तनों को चुसो….मगर आहिस्ता आहिस्ता…. और इसकी स्कर्ट भी बाहर निकालो…इतना कह कर मैं उसके लिंग को सहलाने लगी,
शिल्पा नें मेरे स्तनों को चुसना शुरू कर दिया, मेरे भाई ने शिल्पा के टॉप के निचे की शमीज उसके गोरे गुदाज स्तनों से ऊपर कर उसके निप्पल चूसने शुरू कर दिये,हम तीनों ही की साँसें तीब्र हो उठी थी, बैडरूम का दृश्य उन्मुक्त यौवन के रस में डूबता जा रहा था,
शिल्पा द्बारा निरंतर होते स्तन पान ने मुझे उत्तेजित कर डाला था, अब मैं चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ चली थी,मुझे मालुम था की मेरा भाई लगातार दो बार स्खलित हो सकता है इसलिए मैनें पहले शिल्पा को उसके द्बारा आनंद दिलवाना ठीक समझा और यही सोच कर अपने भाई से कहा…
तुम शिल्पा की योनी में लिंग प्रवेश करो….लेकिन पहले कुछ थूक या क्रीम लगा लेना…लो तेल ही लगा लो…मैनें बेड की पुश्त पर राखी तेल की कटोरी उसकी ओर बढ़ाई,
वह शिल्पा की स्कर्ट को खोल चूका था और उसके नितंबों को व चिकनी जाँघों को सहला रहा था, उसने अपने तपते लिंग के मोटे से मुंड पर तेल चुपड़ा फिर जरा सा तेल शिल्पा की अनछुई नर्म रोवों से सज्जित योनी पर लगाया और अपने लिंग को उसके टाइट मुख में फंसा कर उसकी जांघ को हाँथ से ऊपर उठा कर जोर का धक्का मारा, लिंग मुंड शिल्पा की योनी में उतर गया,
शिल्पा जोरों से चीखी, उसका ये पहला अनुभव था, मैनें उसकी पीठ को सहलाया और उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर देये, उसकी गर्म साँसे मेर गर्म साँसों से उलझने लगी थी, उसके हांथों को मैनें अपनी साडी के निचे प्रवेश दे दिया था, वह उत्तेजना और दर्द के चक्रवात में फंसती जा रही थी, उसके हाँथ मेरी चिकनी जाँघों को सहलाने मसलने लगे थे, मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी, मेरे भाई ने शिल्पा की जाँघों को पकड़ कर एक और धक्का मारा तो शिल्पा तड़पते हुवे कह उठी…
…..तुम्हारे भाई तो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं…..उफ…आह…कितना दर्द हो रहा है उफ….इनसे कहो जो करे आराम से करें उफ….वह और कुछ कहती उससे पहले ही मैनें उसके मुह में अपने एक स्तन का निप्पल दे दिया, वह उसे चूसने लगी, मेरे भाई ने थोडा पीछे होकर और जोर का धक्का मारा, इस बार उसका सात आठ इंच का लिंग जड़ तक शिल्पा की योनी में समां गया, शिल्पा की बड़ी तीब्र चीख निकली, मेरे भाई ने लिंफ फ़ौरन बाहर खिंचा तो शिल्पा ने ठंडी सांस ली और तड़पती हुई बोली
…..उफ…भाभी तुमने तो कुछ ज्यादा ही ट्रेंड कर दिया है इन्हें….उफ कैसे स्पेशल सॉट खेल्तेव हैं उफ…आप रुक क्यों गए महाशय…इसे आगे पीछे करते रहो….अभी तो मजा आना शुरू हुवा है उफ….शिल्पा नें मेरे भाई से इतना कहा और मेरे स्तन का निप्पल मुंह में ले लिया, वह निप्पल को किसी भूखे की भांति चूसने लगी,
मेरा भाई उसकी योनी में अपने लिंग से घर्षण करने लगा था और मैं अपने हांथों से शिल्पा के हांथों को पकड़ कर उनसे अपनी पेंटी का वह हिस्सा रगड़ने लगी थी जिसके निचे मेरी योनी थी, मेरा भाई मुद्रा बदल बदल कर शिल्पा को आनंद दे रहा था, शिल्पा का शरीर उत्तेजना से काँपने लगा था, वह कराह भी रही थी और मेरे भाई का सहयोग भी कर रही थी,
अंततः थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गये, फिर मेरे भाई नें मेरी भी प्यास बुझाई,
शिल्पा ने मेरे स्तनों को जिस तरह चूस चूस कर मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल कर दिया था वैसे ही मैनें भी उसके स्तनों को चूस चूस कर उसे कंपकंपा डाला था,
हम तीनों की काम यह क्रीड़ा तब तक चलती रही जब तक हम थक न गये,