घर की बहु बाबूजी क लोडा मालिश की

रात के १२ बाज़ चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहूत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हसन का घर है। हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठारी में रोज़ की तरह अपनी बीबी की चुदाई में मशगुल था। हसन की उमर ४५ साल की है। और उसकी बीबी की उमर ४० साल की है। हरिया एक गरीब किसान है। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर तक उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी बिना किसी उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे की उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई ताकिल्फ़ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर आह आह की आवाज निकल रही थी। मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुका था। थोडी ही देर में हरिया का लंड से माल निकलने लगा तो वो भी आह आह कर के मुन्नी के चूची पे अपना मुह रख दिया। मुन्नी की बेजान चूची को उसने मुह में ले कर चूसने लगा। उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला । और मुन्नी के बगल में लेट गया। उसने अपनी बीडी जलाई और पीने लगा। मुन्नी उसके लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उस को खींच- तान करने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लत की तरह मुन्नी के हाथो का खिलौना बना हुआ था। मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ? हरिया ने कहा- क्या? मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज में और मालती ( मुन्नी की बहु) सुबह शौच करने खेत गए । वहां हम दोनों एक दुसरे के सामने बैठ कर पैखाना कर थे…. तभी मैंने देखा की मालती अपने बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी। मैंने पूछा ये क्या कर रही है तू? तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा जरा उधर तो देखो अम्मा। मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया पे चढा हुआ है। मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है। मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नही हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ। मैंने कहा – जल्दी कर, घर भी चलना है। मालती ने कहा- हाँ अम्मा , बस अब निकलने ही वाला है। और एक मिनट हुए भी ना होंगे की उसके बुर से इतना माल निकलने लगा की एक मिनट तक निकलता ही रहा। मैंने पूछा- क्यों री , कितने दिन का माल जमा कर रखा था? उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था। मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है। हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नही है ना। कमाने के लिए परदेश चला गया। अरे में तो मना कर रहा था। ३ महीने भी नही हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नही है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के?
थोडी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी। हरिया ने मुन्नी से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पैखाना करती हो? मुन्नी ने कहा- हाँ। हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे का बुर रोज़ देखती होगी। मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखा है हम दोनों ने एक दूसरे का। बिलकूल ही पास बैठ कर पैखाना करते हैं। हरिया- अच्छा , एक बात तो बता। उसका बुर तेरी तरह काला है या गोरा? मुन्नी- पूरा गोरा तो नही है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसके बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। एक बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं। हरिया- बुर कैसा है उसका? मुन्नी- बुर क्या है लगता है मनो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले फुले लाल लाल। अचानक मुन्नी ने महसूस किया की हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई की हरिया को मज़ा आ रहा है। वो बोली- अच्छा ,एक बात तो बताओ। हरिया बोला- क्या? मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे? हरिया- ये कैसे हो सकता है। मुन्नी- क्यों नही हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुह दिखायेंगे हमलोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नही है न। हरिया- क्या मालती मान जायेगी। मुन्नी ने कहा- कल रात को में उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना। हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया। उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तुने तो मुझे गरम कर दिया रे। मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और आह आह की आवाज़ निकने लगी। इस बार वो जोर जोर से आवाज निकाल रही थी। हालंकि उसे कोई ख़ास दर्द नही हो रहा था लेकिन वो जोर जोर से बोलने लगी- आह आह, धीरे धीरे करो ना। दर्द हो रहा है। ये आवाज़ बगल के कमरे में सो रही उसकी बहु मालती को जगाने के लिए काफ़ी थी। चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती का बुर चिपचिपा हो गया। वो अपने पिया मोहन के लंड को याद कर के अपने बुर में ऊँगली डाली और दस मिनट तक ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली।सुबह हुई । दोनों सास बहु खेत गई । दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पैखाना कर रही थी। मालती ने अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सुजा हुआ लग रहा है। मुन्नी ने हस्ते हुए कहा- ये जो तेरे ससुर जी हैं न बुढापे में भी नही मानते। देख न कल रात को इतना चोदा की अभी तक दुःख रहा है। मालती ने कहा- एक बात पूछूं अम्मा? मुन्नी- हाँ, पूछ न। मालती- बाबूजी का लंड खड़ा होता है अभी भी? मुन्नी- हाँ री। खड़ा क्या? लगता है बांस का कहता है। जब वो मुझे छोड़ते हैं तो लगता है की अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी। एक हाथ बराबर हो जाता है उनका लंड खड़ा हो के। मुन्नी ने देखा की मालती अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है। मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ? मालती बोली- नही अम्मा, मुझे तुम्हारी बातें सुन के गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है। मुन्नी बोली- सुन, तू एक काम क्यों नही करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नही निकल देती? मालती चौंक कर बोली- ये कैसे हो सकता है?

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