नरेंद्र और आशा फिरसे नहा लिए और नहाने के बाद आशा नरेंद्र से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. ये सुन कर आनद अपनी जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे मे चला गया. वो आशा का इन्तिजार करने लगा. उसको आशा से बात करनी थी, क्योंकी आशा से बात करने का ये सही समय था. थोड़ी देर के बाद आशा उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. आनंद आम के पेड़ के पीछे से निकल कर आशा के सामने आकर खड़ा हो गया. “आनंद भाई शहाब, आप यहाँ क्या कर रहे है?” आशा ने रुक रुक कर आनद से पूछा. आशा को डर था की कहीं आनंद ने सब कुछ देख तो नही लिया. आनद बोला, “मैं तो नरेंद्र के पास जा रहा था लेकिन मैने तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया.” “आपने सब कुछ देखा?” आशा ने आनंद से पूछा और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. आशा ने अपना सिर झुका लिया. आनंद तब आशा से बोला, “तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुछ अजीत से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?” “भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुछ मत कहिए, मैं अब फिर से ये सब काम नही करूँगी” “प्लीज़ किसी से भी कुछ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी” आशा आनंद केसामने गिड-गिडाने लगी. “तुम मुझे क्या दे सकती हो?” आनंद ने मौका देख कर आशा से पूछा. “कुछ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तयार हूँ,” आशा बिना कुछ सोचे समझे आनंद से बोली “ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैने तुमको नरेंद्र के साथ कल दोपहर और आज सुबह देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ,” आनंद ने आशा से कहा. “ये कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ” आशा ने विरोध किया. “तुम मेरे लिए एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ ये सब गंदे काम कैसे कर सकते हो” आशा ने आनंद से कहा. “तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं ये सब बात अजीत को बता दूँगा” आनंद ने आशा को य्र कहा कर धमकाया. आशा चुप चाप आनंद की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली, “ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी,” वो जानती थी कि आनँदके साथ चुदाई की बात अजीत को नही मालूम चलेगी, लेकिन अगर उसको नरेंद्र के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा. “ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो,” आशा ने आनंद से कहा. आनंद ये सुन कर मुस्कुरा दिया और आशा को एक सुन सान जगह पर ले गया. ये जगह आम की बगीचे से दूर थी और रास्ते से भी बहुत दूर, यहाँ पर किसी के भी आने की गुंजाइश नही थी. आनंद सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी धोती उतार कर ज़मीन पर बिछा दिया. उसका लंड इस्सामय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने आशा से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और आशा को चूमने लगा. आशा ने भी मन मार कर अपना मुँह आनंद के लिए खोल दिया जिससे कि आनंद अपनी जीव उसके मुह के अंदर डाल सके. जैसे आनंद, आशा को चूमने और चाटने लगा, आशा भी धीरे धीरे गरमा कर आनंद को चूमने लगी. आशा को अपनी जाँघो के उप्पेर आनंद का खड़ा लंड महसूस होने लगा. आनंद ने आशा की साड़ी खोल दी और अब आशा अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. आनंद ने अपना मुँह आशा की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. फिर आशा को आनंद ने नीचे अपनी धोती पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक आनंद का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. ये देख कर आशा की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही आनंद का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लुम्बाइ और मोटाई नापने ल्गी. “अरे वह, तुम्हारा लंड बहुत तगड़ा है, है ना?” आशा खुशी से बोल पड़ी और आनंद का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. आशा ने जब आनंद का 10″ लंबा लंड देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी. आनंद अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर आशा के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. आशा ने आनंद के लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. आशा अपना चहेरा आनंद के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. आशा को आनंद के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा बड़ा प्यारा लग रहा था और बहुत असचर्या हो रहा था. वो बोली, “मैने अब तक इतना लंबा लंड और इतना बड़ा सुपरा नही देखा है.” आशा आनंद के लंड के उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. आनंद को अपने लंड पर आशा की जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब आनंद उठ कर बैठ गया और आशा के ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय आनंद आशा को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. आशा के ब्लाउस खुलते ही उसकी बड़ी बड़ी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही आनंद उन पर टूट पड़ा. आनंद को आशा की चूंची बहुत सुंदर दिख रही थी. “तुम्हे ये पसंद है? ये अच्छे है ना? पास आओ और इनको पकडो, शरमाओ मत.” आशा ने अपने चूंची को एक हाथ से पकड़ कर आनंद को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. आनंद पहले तो थोड़ा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूचियों पर अपना हाथ रखे. उसे उनको छूने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. आनंद उन चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुथता है. वो जितना उनको मसल्ता था आशा उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. आशा की निपल उत्तेजना से खड़ी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खड़ी हो गयी. आनंद अपने आप को रोक नही पाया. उसने निपल को अपने होठों के बिच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा.