दोस्तो, मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ और मेरा कॉलेज हमारे घर से बहुत दूर शहर के बाहर है, वो इलाका थोड़ा जंगल जैसा है। मैं कॉलेज हमेशा बस से ही जाती हूँ।
एक दिन मैं कॉलेज जाने के लिए जब घर से निकली और बस स्टॉप पर पहुंची.. तो बस जा चुकी थी और मुझे कॉलेज पहुँचने में बहुत देर हो रही थी। तब मैंने सोची कि क्यों न किसी से लिफ्ट मांग कर कॉलेज चली जाऊँ।
मैं सड़क के किनारे खड़ी होकर लिफ्ट मांगने लगी। काफी देर बाद एक बाइक वाला मेरे पास आकर रुक गया।
उसने अपना हेलमेट उतार कर मुझसे पूछा- आपको कहाँ जाना है?
जब उसने अपना हेलमेट उतारा.. तो मैं उसे देखती ही रह गई, वो दिखने में बहुत आकर्षक था, कुछ देर तो मैं उसे यूं ही देखती रही।
उसने मुझसे फिर पूछा- आपको कहाँ जाना है?
तब मैंने उसे बताया- मुझे कॉलेज जाना है और मैं बहुत लेट हो गई हूँ.. और बस भी छूट गई है।
तब उसने पूछा- कौन से कॉलेज जाना है?
मैंने उसे कॉलेज का नाम बताया तो उसने कहा- मैं भी उसी तरफ जा रहा हूँ, चलो में तुम्हें छोड़ देता हूँ।
मैं बाइक पर बैठ गई।
रास्ते में हमारी काफी बात हुई और उसने मुझे कॉलेज छोड़ दिया।
जाते-जाते मैंने उससे कहा- आपसे इतनी बात हुई पर मैंने आपका नाम नहीं पूछा?
तब उसने अपना नाम मुझे विवेक बताया।
उस दिन के बाद वो रोज मुझे बस स्टॉप पर मिलने लगा, वो मुझे देख कर मुस्कुराता और कहता- चलो मैं तुम्हें कॉलेज छोड़ देता हूँ।
मुझे भी उसके साथ बाइक पर जाना अच्छा लगने लगा था, कुछ ही दिनों में हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे।
एक दिन उसने मुझसे कहा- चलो कंचन आज मूवी देखने चलते हैं।
मैंने कहा- नहीं यार, आज कॉलेज जाना जरूरी है।
उसने कहा- तो कॉलेज के बाद मूवी देखने चलते हैं।इस बार मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
कॉलेज के बाद वो मुझे लेने आया और हम दोनों मूवी देखने के लिए गए। वो एक हॉलीवुड मूवी थी। उस मूवी में काफी सेक्सी सीन थे।
हॉल में ज्यादा लोग भी नहीं थे और हम एक कोने वाली सीट पर बैठे थे।
जब काफी अँधेरा हो गया.. तो मुझे विवेक का हाथ मुझे मेरे मम्मों पर महसूस हुआ। तब मैंने उसका हाथ हटा दिया और बोली- ये क्या कर रहे हो?
वो बोला- यार कंचन मूवी बहुत सेक्सी है.. मैं अपने आपको कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ।
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया। उसका लंड जैसे ही मेरे हाथ में आया.. मेरे अन्दर एक सुरसुराहट सी हुई।
उसका लंड बहुत गर्म था।
अब मेरा भी मन करने लगा था तो मैं उसके लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी, वो मुझे किस करने लगा।
उतने में ही इंटरवल हो गया.. तो हम बाहर आ गए।
मैंने विवेक से कहा- चलो अब घर चलते हैं।
उसने बोला- क्यों क्या हो गया.. मजा नहीं आ रहा क्या?
मैंने कहा- नहीं यार बहुत देर हो रही है अब मुझे घर जाना है.. ये मजा फिर कभी करेंगे।
उसने भी कहा- चलो ठीक है.. पर वादा करो कि मैं जब बोलूंगा, करोगी।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
फिर उसने मुझे बस स्टॉप पर ही छोड़ दिया और मैं घर आ गई।
फिर कुछ दिन बाद एक दिन जब वो मुझे बस स्टॉप पर मिला तो वो बोला- चलो कॉलेज छोड़ देता हूँ।
मैं भी बैठ गई.. अचानक ही हम कॉलेज जाने वाले मोड़ से कॉलेज की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए।
शुरू में तो मुझे मजे मजे में पता ही नहीं चला.. पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा, तो बोला- कॉलेज में तो रोज ही जाते हैं.. चलो आज एक नया नजारा दिखाता हूँ।
मैं कुछ नहीं बोली और वो भी बाइक आगे ले गया, आगे एक जगह बिल्कुल सुनसान थी, दूर-दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नजर आया, वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा।इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गई।
इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे जन्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियां और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को मस्ती से दबाए जा रहा था।
अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके।
उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पेंटी में रह गई थी।
मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेजना शर्म पर हावी हो गई थी तो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही।
उसने पहले तो मेरे सीने को.. फिर नाभि को चूसना शुरू कर दिया। मैं अभी बुरी तरह उत्तेज़ित हो ही रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उंगली मेरी चुत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ.. पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं भी बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।
उसने धीरे धीरे मेरी पेंटी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे पूरी नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मजा आ रहा था।
वो अभी तक पूरे कपड़ों में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली देकर कहना शुरू कर दिया- तू अपने कपड़े भी तो उतार बे!
वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिए। उसका लंड बहुत बड़ा था, उसके लंड की लम्बाई एक बड़ी और मोटी गाजर जितनी थी।
उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगी.. तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लंड मेरे मुँह में देने लगा, मैंने उसका मोटा लंड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।