मेरी उम्र १८ साल है, मैं कुंवारी युवती हूँ. मैंने 12th का exam दीया है. मैं अपने बारे में यह बताना जरूरी समझती हूँ की मेरी फमिल्य काफी advance है, और मुझे कीसी प्रकार की बंदीश नहीं लगायी जाती. मैं अपनी मरजी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से fashionable कपडे पहन-ना मेरा शौक़ है. और क्योंकी मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए कीसी ने भी मुझे इस तरह के कपडे पहन-ने से नहीं रोका. School आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मीली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मन करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी. School में पढने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी bike थी. मगर वो कभी कभी ही bike लेकर आता था, जब भी वो bike लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास bike नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का अनद उठाती. ड्राइवर को मैंने पैसे देकर मना कर रख्खा था की घर पर मम्मी या पापा को ना बताये की मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फायदा होता था, कै ओर तो उसे पैसे भी मील जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मील जाया कर्ता था. दो बजे School से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब ६-७ बजते बजते घर पहुंच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था. मेरे दोस्त का नाम तो मैं बातन ही भूल गयी. उसका नाम वीनय है. वीनय को मैं मन ही मन प्यार करती थी और वीनय भी मुझसे प्यार कर्ता था, मगर ना तो मैंने कभी उससे प्यार का इजहार कीया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोई झीझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है की प्यार की शुरुआत भी मैंने ही की थी जब हम दोनो bike में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैंने रोमांटिक बात करते हुए उसके गाल पर कीस कर लीया. ऐसा मैंने भावुक हो कर नहीं बल्की उसकी झीझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झीझाकता था. एक बार उसकी झीझक दूर होने के बाद मुझे लगा की उसकी झिजहक दूर करके मैंने ठीक नहीं कीया. क्योंकी उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी की कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर ग़ुस्सा. मगर कुल मीलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैंने अपना तन मन उसके नाम कर दीया था.
एक दीन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रह था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अँधेरा और पड पौधे हैं. मेरे ख़्याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती. यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कास लीया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दीया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ्त से आज़ाद हो कर बोली, छोडो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उसने मुझे छोड़ तो दीया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दीया. मैं समझ रही थी की आज इसका मन पूरी तरह रोमांटिक हो चुक्का है. मैंने कहा, मैं तो उस दीन को रो रही हूँ जब मैंने तुम्हारे गाल पर कीस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे कीस करती और ना तुम इतना खुलते. तुमसे प्यार तो मैं काफी समय से कर्ता था. मगर उस दीन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया की तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहों, तुम हो ही इतनी हसीं की तुम्हे प्यार किय बीना मेरा मन नहीं मान-ता है.
वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, उम्म्म्म्म क्यों दबा रहे हो इसे? छोडो ना, मुझे कुछ कुछ होता है. क्या होता है? वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलींग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्कील था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसलते दबाते हुए बोला, बोलो ना क्या होता है?उम्म्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रह है की मैं इस फीलींग को कैसे व्यक्त करूं. बस समझ लो की कुछ हो रह है. वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फीर मेरे होंठो को कीस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुम्बन से कीच कुछ गरमा होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मीला था उसका फायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपडो को उतारने का उपक्रम कीया. होंठ को मुकत कर दीया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैंने उसका हौंसला बढाने के लिए कीया था. ताकी उसे एहसास हो जाये की उसे मेरा support मील रहा है. मेरी मुस्कराहट को देखकर उसके चहरे पर भी मुस्कराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपडे उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं हौले से बोली, मेरा विचार है की तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिऐ. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.
उसने मेरे कुछ कपडे उतार दीये. फीर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूं तो मेरे लीये ये एक अजूबे के समन होगा.