गांड में लुंड का आनंद 2

वो भी आकर्षक लड़का था. वो वीनय से तो खुलकर बात करने लगा मगर मुझसे बात करने मैं झीझक रहा था. अन्दर जाने के बाद मैंने कहा की मैं अपने घर फ़ोन करना चाहती हूँ. उसने सहमति जताई तो मैंने मम्मी को फ़ोन करके कह दीया की मैं आज रात नीमा के घर मैं हूँ और कल सुबह ही आऊंगी. मम्मी कुछ खास विरोध नहीं कर पाई. नीमा का नाम मैंने इसलिए लीया था की उसके घर का फ़ोन नुम्बेर मम्मी के पास नहीं था. वो उससे फ़ोन करके पूछ नहीं सकती थी की मैं उसके पास हूँ या नहीं. फीर एक एक विचार आया की अगर मेरी मम्मी को मील गयी तो उसमें फ़ोन नुम्बेर है. इसलिए मैंने नीमा को भी इस बारे मैं बता देना ठीक समझा. नीमा को फ़ोन कीया तो वो पहले तो हंसने लगी फीर बोली, लगता है वीनय के साथ मौज मस्ती करने मैं लगी हुई है. अकेले अकेले मज़े लेगी अपनी सहेली का कुछ ख़्याल नहीं है तुझे. वो बड़ी Sexy लडकी थी. मैंने भी हंस कर कहा, अगर तेरा मन इतना बेताब हो रह है चुदवाने का तो फीर तू भी आजा, वैसे भी यहाँ दो लड़के हैं. एक तो विनय है और दूसरा उसका दोस्त. आजा तो तेरा भी काम बन जाएगा. मैं उसे तेरे लिए मना कर रखती हूँ. वो मान जाएगा? क्यों नहीं मानेगा यार. तेरी जैसे लडकी की चूत को देखकर कोई भी लड़का चोदने के लिए मन नहीं करेगा. तू है ही ऐसी की, कोई मन करे ये नामुमकिन है. ठीक है तो फिर मैं भी घर में कोई ना कोई बहन बाना कर आ रही हूँ. उसने फ़ोन काट दीया. मैंने उसके बारे मैं वीनय को बताया, तो वो अपने दोस्त को बोला ले यार अजय तेरा भी इंतज़ाम हो गया है. इसकी एक सहेली है नीमा, वो आ रही है. अजय के चहरे पर निखार आ गया. बेड रुम मैं आ कर हम तीनो बातें करने लगे. कुछ देर मैं ही अजय से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. उसने बताया की वो भी पहले एक लडकी से प्यार कर्ता था मगर बाद मैं उसने धोखा दे दीया तो उसने कीसी और को प्रेमीका बनने के बारे मैं सोंचा ही नहीं.

थोड़ी देर तक बैठे बैठे मुझे बोरियत महसूस होने लगी. वीनय ने मेरी मानो स्तीथी भांप ली. वो अपने दोस्त से बोला, यार अजय ! ज़रा उस तरफ देखना. अजय दूसरी ओर देखने लगा तो वीनय ने मुझे बाहो मैं ले लीया और मेरी चूचियों को दबन लगा. होंठो को भी हौले हौले कीस करने लगा. तभी वहाँ नीमा आ गयी. वीनय मुझसे लिप्त हुआ था, उसे देखकर हम दोनो अलग हो गई. मैंने कहा, हम तेरी ही राह देख रहे थे, वह भे बेचैनी से. उसके बाद मैंने उसका परिचय वीनय और अजय से करवाया. मैं देख रही थी की अजय गहरी निगाहों से नीमा की ओर देखे जा रहा था. साफ ज़ाहिर हो रहा था की नीमा उसे बहुत पसंद आ रही है. एक एक मैं बोली, यार, तुम दोनो ने एक दुसरे को पसंद कर लीया है तो ओहीर तुम दोनो दूर दूर क्यों खडे हो. ऎन्जॉय करो यार. यह कहते हुए मैं नीमा को अजय की ओर धकेल दीया. अजय ने जल्दी ही उसे बाहों मैं ले लीया. वी दोनो झिझ्कें नहीं यह सोच कर मैं भी वीनय से लिपट गयी और उसके होंठो को चूमने लगी. वीनय मेरी चूची दबाने लगा तो अजय ने भी नीमा के मम्मो पर हाथ रख दीया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. मैं नीमा की ओर देखकर मुस्कुराई. नीम भी मुस्कुरा दी फीर अजय के बदन से लिपट कर उसे चूमने लगी. Un दोनो की शर्म खोलने और दोनो को ज्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं वीनय के कपडे उतारने लगी. कुछ देर मैं मैंने उसके कपडे उतार दीये और लंड को पकड़ कर सहलाने लगी तो वो भी मेरी चूचियों को बेपर्दा करने लगा।उधर नीमा मेरी देखा देखी, अजय के कपडे उतारने लगी. कुछ ही देर मैं उसने अजय के सारे कपडे उतार दीये. वो तो मुझसे भी एक कदम आगे नीक्ली और उसने झुक कर अजय का लंड दोनो हाथो मैं पकडा और सुपादे को चाटने लगी. मैंने भी उसकी देखा देखी, वीनय के लंड को मुँह मैं ले लीया और उसे सुपादे को चूसने लगी. एक समय तो हम दोनो सहेलियां मस्ती से लंड मुँह मैं लीये हुए चूस रही थी.

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मुझे जितना मज़ा आ रहा था उससे कहीँ ज्यादा मज़ा नीम को अजय का लंड चूसने मैं आ रहा था, यह मैंने उसके चहरे को देखकर अंदाजा लगाया था. वो काफी खुश लग रही थी. बडे मज़े से लंड के ऊपर मुँह को आगे पीछे करते हुए वो चूस रही थी. थोड़ी देर बाद उसने लंड को मुँह से नीकला और जल्दी जल्दी अपने निचले कपडे उतारने लगी. मुझसे नज़र टकराते ही मुस्करा दी. मैं भी मुस्कुराई और मस्ती से वीनय के लंड को चूसने मैं लग गयी. कुछ देर बाद ही मैं भी नीम की तरह वीनय के बदन से अलग हो गयी और अपने कपडे उतारने लगी. कुछ देर बाद हम चारो के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था. अजय नीम की चूत को चूसने लगा तो मेरे मन मैं भी आया की वीनय भी मेरी चूत को उसी तरह चूसे. क्योंकी नीम बहुत मस्ती मैं लग रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो बीना लंड घुस्वाये ही चुदाई का मज़ा ले रही है. उसके मुँह से बहुत ही कामुक सिस्कारियां नीकल रही थी. वीनय भी मेरी टांगो के बीच मैं झुक कर मेरी चूत को चाटने चूसने लगा तो मेरे मुँह से भी कामुक सिस्कारियां निकलने लगी. कुछ देर तक चूसने के बाद ही मेरी चूत बुरी तरह गरम हो गयी. मेरी चूत मैं जैसे हजारो कीड़े रेंगने लगे. मैंने जब नीम की ओर देखा तो पाय उसका भी ऐसा ही हाल था. मेरे कहने पर वीनय ने मेरी चूत चाटना बंद कर दीया. एक एक मेरी निगाह अजय के लंड की ओर गयी, जीसे थोड़ी देर पहले नीमा चूस रही थी. लंड उसके मुँह के अंदर था इसलिए मैं उसे ठीक से देख नहीं पाई थी.
अब जब मैंने अच्छी तरह देखा तो मुझे अजय का लंड बहुत पसंद आया. मेरे मन मैं कोई बुरा ख़्याल नहीं था. ना मैं वीनय के साथ बेवफाई करना चाहती थी. बस मेरा मन कर रहा था का एक बार मैं अजय का लंड मुँह मैं लेकर चूसू. यह सोच कर मैंने कहा, यार ! क्यों ना हम चारो एक साथ मज़ा ले. जैसे ब्लू फिल्म मैं दिखाया जाता है. अब अजय और नीम भी मेरी ओर देखने लगे. मैं बोली, हम चारो दोस्त हैं. इसलिए आज अगर कोई और कीसी और के साथ भी मज़ा लेता है तो बुरा नहीं होगा. क्यों वीनय, मैं गलत कह रही हूँ? नहीं ! वो बोला, मगर मुझे लगा की वो मेरी बात समः ही नहीं पाय है. नीमा ने पूछ लीया. मैंने कहा, मान ले वीनय अगर तेरी चूत चाटे तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिऐ. उसी प्रकार अगर मैं अजय का लंड मुँह मैं ले लूं तो बाक़ी तुम तीनो को फर्क नहीं पड़ेगा. मैं ठीक कह रही हूँ ना? मेरी बात का तीनो ने समर्थन कीया. मैं जानती थी की कीसी को मेरी बात का कोई ऐतराज़ नहीं होगा.

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