गांड में लुंड का आनंद 2

“मेरी जान इतनी जल्दी नही झरता. आज तुम्हारी चूत को चार बार झारकर की लंड का पानी पिलौंगा तुमको.”

मैं अभी छोटी बहु को चोद ही रहा था की बड़ी बहु एकदम नंगी हो कमरे मैं आई. वह मेरे पीछे आ अपनी कम उमर की देवरानी को चुदते देखकर मेरे कान मैं बोली, “हाय जल्दी करो न.”

मैं बड़ी को मस्त देख छोटी को तेज़ी से चोदने लगा. तभी तीसरी बार झरते ही छोटी बहु सिसक कर हाय हाय करती बोली, “हाय रजा तीसरा पानी भी निकला. हाय दीदी यह बहुत दमदार हैं. मेरी Teen बार झर चुकी है. दीदी अपने पती तऊ २०-२५ सेकंड मैं दम तोड़ देते हैं. हाय रजा पहाड़ दो आज. दीदी अब तऊ मैं इनसे रोज़ चुद्वौंगी. हाय रोज़ दीन मैं हमारे घर आना.”

“मज़ा लो देवरानी जी. खूब मज़ा लो.” और दमदार चुदाई को देखती अपनी चूत मैं ऊँगली पलती बड़ी बहु.

मैं झड़ने के करीब पहुंच गयी तो मैंने वीनय को और तेज़ गति से ढके मरने को कह दीया,अब लंड मेरी छुट को पार कर मेरी बच्चेदानी से टकराने लगा था, तभी चूत मैं ऐसा संकुचन हुआ की मैंने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच मैं कास लीया. पूरी चूत मैं ऐसी गुद्गुदाहत होने लगी की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मुँह से ज़ोरदार सिस्कारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधीक खराब होने लगी तो मेरी रुलायी चुत नीक्ली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लीया और मुझे मानाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रूक जाने पर खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छोड़ने लगी. कुछ देर तक वो मेरी चूत मैं ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुछ देर तक सांस लेटी रही. फीर जब मैंने उसकी ओर ध्यान दीया तो पाय की उसका मोटा लंड चूत की गहराई मैं वैसे का वैसा ही खड़ा और अकादा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, कहो तो अब मैं फीर से धक्के मारने शुरू करूं. मारो, मैं देखती हूँ की मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.
उसने दुबारा जब धक्के मारने स्टार्ट कीए तो मुझे अग जैसे मेरी चूत मैं कांटे उग आये हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दीया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बहार निकलना स्वीकार कर लीया. जब उसने बहार निकाला तो मैंने रहत की सांस ली. उसने मेरी टांगो को अपने कंधे से उतार दीया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लीये मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी. मैंने खुद ही अपनी गांड को ऊपर कर लीया और कोशिश करी की गांड का छेद खुल जाये. उसने लंड को मेरी गांड के छेद पर रख्खा और अंदर करने के लीये हल्का सा दबाव ही दीया था की मैं सिसकी लेकर बोली, थूक लगा कर घुसाओ.
उसने मेरी गांड पर थूक चुपड़ दीया और लंड को गांड पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्कील से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुछ देर मैं ही उसने थोडा सा लंड अंदर करने मैं सफलता प्राप्त कर ली थी. फीर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांड के अंदर रगड़ खाने लगा तभी उसने अपेख्शाकरत तेज़ गाती से लंड को अंदर कर दीया, मैं इस हमले के लीये तैयार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सात की पुष्ट को सख्ती से पकड़ लीया था मैंने. अगर नहीं पकद्ती तो जरूर ही गिर जाती. मगर इस झटके का एक फायदा यह हुआ की लंड आधा के करीब मेरी गांड मैं धंस गया था. मेरे मुँह से दर्द भरी सिस्कारियां निकलने लगी … फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्न्द्द्द्द्द्.. हाआआऐईईईईईइ ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. उसने अपना लंड जहाँ का तहां रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कीए. मुझे अभी अनंद ही आना शुरू हुआ था की तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपादा मेरी गांड मैं फूल पिचक रहा था, आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेर्र्र्र्रीईईईईई जाआअन्न्न्न्न्न्न्न्न् म्म्म्म्म्म्म्म्म आआआआआअ कहता हुआ वो मेरी गांड मैं ही झाड़ गया. मैंने महसूस कीया की मेरी गांड मैं उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांड मरवाने का अनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे अनंद आना शुरू ही हुआ था. उसने लंड नीकाल लीया. मैं कपडे पहनते हुए बोली, तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.
वो मुस्कुराने लगा. बोला, क्या कर्ता, तुम्हारी कम्सिन जवानी को देख कर दील पर काबू रखना मुश्कील हो रहा था. कयी दीनो से चोदने का मन था, आज अच्च्चा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम इमानदारी से बताओ की तुम्हे मज़ा आया या नहीं?

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उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपडे पहनती रही. मैं मुस्करा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, बोलो ना ! मज़ा आया?हाँ मैंने हौले से कह दीया. तो फीर एक काम करो, मेरा मन नहीं भरा है. तुम कार अपने ड्राइवर को दे दो और उसे कह दो की तुम अपनी एक सहेली के घर जा रही हो. रात भर उसके घर मैं ही रहोगी. फीर हम दोनो रात भर मौज मस्ती करेंगे. मैं उसकी बात सुनकर मुस्करा कर रह गयी. बोली, दोनो तरफ का बाजा बजाचुके हो फीर भी मन नहीं भरा तुम्हारा?
नहीं ! बल्की अब तो और ज्यादा मन बेचैन हो गया है. पहले तो मैंने इसका स्वाद नहीं लीया था, इसीलिये मालूम नहीं था की चूत और गांड चोदने मैं कैसा मज़ा आता है. एक बार चोदने के बाद और चोदने का मन कर रहा है. और मुझे यकीन है की तुम्हारा भी मन कर रहा होगा.
नहीं मेरा मन नहीं कर रहा है
तुम झूठ बोल रही हो. दील पर हाथ रख कर कहो
मैंने दील की झूठी क़सम नहीं खाई. सच कह दीया की वाकई मेरा मन नहीं भरा है. मेरी बात सुना-ने के बाद वो और भी जिद्द करने लगा. कहने लगा की Please मान जाओ ना ! बड़ा मज़ा आएगा. सारी रात रंगीन हो जायेगी.

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