फूफी फरहीन के साथ कमुक्त भाग 5

फूफी फ़रहीन और मेरे दरमियाँ जिस्मानी ता’अलुक़ात क़ायम होने से मेरे लिये इन्सेस्ट के मवाक़े और ज़ियादा बढ़ गए थे. उनके रवये से भी लगता था के वो अब मुझ से चूत मरवाती रहें गी. लेकिन जैसा के मैंने पहले बताया अब उनकी गांड़ मारने का मरहला दरपाश था और मुझे फॉरी तौर पर इस सिलसिले में कोई क़दम उठाना था.

फूफी फ़रहीन जैसी औरतों की गांड़ मारना इतना आसान नही होता. ख़ास तौर पे जब उन से खूनी रिश्ता भी हो. उन्हे चूत देने पर तो निसबतन आसानी से रज़ामंद किया जा सकता है मगर गांड़ मरवाने पर वो बहुत ज़ोर-ओ-शोर से कई क़िसम के ऐतराज़ात करती हैं. एक तो उनका ख़याल है के गांड़ देने से उन्हे बहुत तक़लीफ़ होगी क्योंके गांड़ के छोटे और तंग सुराख में लंड लेना और फिर उस मैं मुसलसल घस्से बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल काम है. दूसरा ये के वो समझती हैं के गांड़ मरवाने से उन्हे कोई मज़ा नही मिले गा क्योंके ये औरत को चोदने का एक गैर-फिट्री तरीक़ा है जिस में सिर्फ़ मर्द ही खलास हो कर मज़ा ले सकता है. चूँके औरत को गांड़ मरवा कर कुछ हासिल नही होता इस लिये उससे ऐसा करना ही नही चाहिये.

फिर ऊए भी है हमारे मा’आश्रय में औरतें गांड़ देने को कोई अच्छा अमल नही ख़याल करतीं क्योंके उनके मुताबिक़ ये बड़ा बुरा काम है. इसी लिये हमारी औरतों की एक बहुत बड़ी तद्दाड़ अपनी गांड़ में लंड लेने से कतराती है. इस के अलावा यहाँ की औरतों को गांड़ देने का सालीक़ा और तरीक़ा भी बिल्कुल नही आता और उनकी गांड़ मारना एक बहुत बड़े मसले से कम नही होता. लेकिन इन मुश्किलाट के बावजूद मैंने बहरहाल फूफी फ़रहीन को गांड़ देने की तरफ राघिब तो करना ही था.

इस मक़सद के लिये में रात को डैड के सो जाने के एक घंटे बाद फूफी फ़रहीन के कमरे में जा पुहँचा. वो बेड पर लेतीं सो रही थीं . मैंने कमरे का दरवाज़ा लॉक किया और उनके साथ बेड पे लेट गया. फूफी फ़रहीन अपनी आदत के मुताबिक़ ब्रा पहन कर ही लेतीं हुई थीं . वो अपने बेड पर मेरे जिसम की जुम्बिश से जाग गईं. मैंने कुछ कहे बगैर उनके मम्मों को दोनो मुठियों में भर लिया और उनके होंठ चूमने लगा. उनके सेहतमंद जिसम के लांस और खुश्बू से मेरा लंड फॉरन खड़ा हो गया और मैंने आनन फानन अपना पाजामा उतार दिया.
“इस वक़्त में कुछ नही कर सकती क्योंके में काफ़ी तक गई हूँ.” फूफी फ़रहीन ने मेरे अकड़े हुए लंड की तरफ देख कर आहिस्ता से कहा.
में उनके होठों और गालों को चूमता रहा और मम्मों को हाथों से दबाता रहा. मुझे उनका गोरा गोरा नरम पेट कुछ ज़ियादा ही पसंद था लिहाज़ा मैंने उनकी क़मीज़ पेट पर से उठा दी और उनके ब्रा में गिरिफ्टार मम्मों के नीचे पेट को चूमने लगा. मैंने उनके पेट के गुन्दाज़ गोश्त को चाटा और मुँह में ले ले कर चूसा तो उन्होने मेरे सर पे हाथ रख के मुझे ऐसा करने से रोक दिया.
“अमजद मत करो में अभी दोबारा तुम्हे चूत नही दे सकती.” उन्होने मेरे कान के पास मुँह ला कर कहा.
“फूफी फ़रहीन देखने तो दें में सिरफ़ आप की मोटी ताज़ी फुद्दी देखना चाहता हूँ. और कुछ नही करूँ गा.” मैंने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया और उनकी शलवार का नाड़ा खोल दिया ताके लेते लेते ही उनकी शलवार टाँगों पर से उतार सकूँ.
“नही अमजद मत करो तुम से सबर नही होगा और में नही चुदवा सकती. सुबह कर लाना. इस वक़्त तो मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नही है और जिसम में भी दर्द है.” उन्होने अपनी टांगें जल्दी से मोड़ कर बेंड कर लीं और उठ कर मेरा हाथ पाकाररते हुए अपनी शलवार मुझ से ले लानी की कोशिश की.
उनकी नींद अब पूरी तरह अर चुकी थी.

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“फूफी फ़रहीन में कुछ नही कर रहा सिर्फ़ आप की फुद्दी के दर्शन करना चाहता हूँ. इस से तो आप को कुछ नही होगा.” मैंने ज़बरदस्ती शलवार नीचे करते हुए उनकी रानों के बीच में उनकी चूत का ऊपरी हिस्सा नंगा करते हुए कहा. शलवार उनके गोरे घुटनों तक नीचे आ गई और उनकी चूत के काले घने बाल नज़र आने लगे. मैंने उनकी चूत के बालों पर आहिस्ता से हाथ फेरा तो उन्होने मुँह से हल्की सी आवाज़ निकाली.
“तुम अपने आप को रोक नही सको गे और फिर मुझे चोदने लागो गे. ज़रा अपना हाल तो देखो.” वो मेरे फर्राकते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए बोलीं.
“ओहो फूफी फ़रहीन आप चौड़ान तो सही.” मैंने उनकी शलवार उनके तख़नों तक नीचे कर के उन्हे नंगा कर दिया. उन्होने फॉरन अपनी टांगें बंद कर लीं मगर मैंने उनकी टांगें घुटनों से पकड़ कर खोलीं और उनकी मोटी ताज़ी बुलावा देती चूत पर नर्मी से हाथ फेरा.

“उूुुउऊफ़…उूुुउउफफफ्फ़ मत करो में कह रही हूँ.” मेरा हाथ उनकी चूत से लगते ही बे-इकतियार उनके मुँह से निकला. मैंने फूफी फ़रहीन के मम्मों पर हाथ रख कर उन्हे वापस बेड पे गिरा दिया और खुद उनके उपर 69 की पोज़िशन में आ गया. मैंने अपना लंड उनके मुँह के सामने कर दिया और उनकी रानों के अंदर उनकी चूत में मुँह घुसा कर उससे चाटने लगा.
“ऊऊओ उफफफफफफफफफ्फ़ अमजद बाज़ आओ में इस वक्त नही चुदवा सकती. मुझे तक़लीफ़ हो रही है. मैंने बहुत अरसे बाद लंड लिया था अब दोबारा चोदने से पहले थोड़ा वक़्त तो गुज़रने दो.” उन्होने झुंझला कर ज़रा तेज़ आवाज़ में कहा. मैंने उनकी चूत के बीच में अपनी ज़बान ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा. उनका पेट मेरे सीने के नीचे हरकत करता महसूस हो रहा था.

मैंने उनकी चूत के बीच में अपनी ज़बान ज़ोर ज़ोर से फेरता रहा. उनका पेट मेरे सीने के नीचे हरकत करता महसूस हो रहा था.

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“फूफी फ़रहीन में आप की फुद्दी चाट रहा हूँ आप बस थोड़ी देर मेरा लंड चूस लें तो मेरे लिये काफ़ी है. मै आप के मम्मों पर खलास हो जा’आऊँ गा.” में उसी तरह लेते लेते अंदाज़े से अपना लंड उनके होठों के बिल्कुल क़रीब करते हुए बोला. चार-ओ-नचार उन्होने मेरा लंड हाथ में पकड़ के अपने मुँह में डाला और उससे बे-दिली से चूसने लगीं.
“तुम मेरी चूत ना छातो में तुम्हारा लौड़ा चूस कर तुम्हे डिसचार्ज कर देती हूँ लेकिन मुझे उठने दो में ऐसे लूआर्रा मुँह में नही ले सकती.” उन्होने कहा.

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