”कुत्ते के बच्चे, तुम्हारी माँ में लूआर्रा जाए क्यों मुझे पागल कर रहे हो मैंने तो कई सालों से चूत नही दी. उउउफफफफफ्फ़….तुम्हारी माँ पे कुत्ते छर्र्हैं, तुम्हारी माँ में खोते का लूँ डालूं.” उन्होने हमेशा मुझ से बड़े प्यार से बात की थी और कभी दांता तक नही था मगर इस वक़्त वो मुझे बड़ी गंदी गालियाँ दे रही थीं .
मुझे उसी लम्हे ये एहसास हुआ के गालियाँ उन्हे और भी गरम कर रही थीं और इसी लिये वो गालियाँ दे भी रही थीं . बाज़ औरतों को चूत मरवाते हुए गालियाँ दें तो उन्हे बहुत अच्छा लगता है और वो मज़ीद गरम होती हैं. फूफी फ़रहीन की तो वैसे भी गालियाँ देने की आदत थी. वो भी शायद ऐसी ही औरत थीं जिन्हे गालियाँ और गंदी बातें गरम करती हैं क्योंके उस वक़्त उनकी गालियों में मुझे नफ़रत और गुस्से का अंसार शामिल नही लग रहा था. मैंने सोचा के मुझे भी उन्हे गालियाँ देनी चाहिया’आन.
मैंने उनके मम्मे के निप्पल के इर्द गिर्द ब्राउन हिस्से को चाटा और फिर उनके होंठ चूम कर कहा:
”फूफी फ़रहीन आप का मोटा फुदा मारूं. आप का फुदा छोड़ों. आज मुझे अपनी फुदा दे कर आप खुश हो जांयें गी. आप की गांड़ में लंड दूँ. आप के मोटे और ताक़तवर फुद्दे को चोदना फ़ूपा सलीम के बस की बात नही है. आप जैसी मोटी ताज़ी गश्ती को जिस का इतना मोटा फुदा हो एक जवान लंड चाहिये.”
मुझे हैरत हुई के फूफी फ़रहीन को गालियाँ देने से मेरे जज़्बात भी बारँगाखहता हो रहे थे.
मैरा अंदाज़ा सही निकला. मेरे मुँह से ऐसी बातें सुन कर फूफी फ़रहीन बे-क़ाबू हो गईं. “तुम बहुत ही खनज़ीर के बच्चे हो, कंज़र, तुम्हारी माँ में खोते का लूँ डून” कह कर पहली बार उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह में दे दिया. मैंने थोड़ी देर उनकी ज़बान अपने मुँह में रख कर चूसी और फिर उठ कर इस तरह उनके ऊपर लेट गया के मेरा लंड उनके मुँह की तरफ था और मुँह उनकी चूत की तरफ.
अब मैंने उनकी चूत को दोबारा चाटना शुरू कर दिया. वो मचलने लगीं और उनके मुँह से ऊँची ऊँची आवाजें निकालने लगीं. मेरा लंड बिल्कुल उनके मुँह के पास उनके गालों से टकरा रहा था. “फ़रहीन कंजड़ी, तेरा भोसड़ा मारूं, तारे फुद्दे में लंड डून, चल मेरा लंड चूस. कुतिया तेरी चूत के बड़े खाब देखे हैं में ने, तेरी बहन की मोटी चूत लूं. आज कुतिया की तरह अपने भतीजे से चूत मरवा ले और मज़े कर.” मैंने उन्हे मज़ीद गंदी गालियाँ दीं तो उनके शोक़् की आग और ज़ियादा भर्रक आती. “तुम्हारी माँ की चूत में लूँ मारूं, किसी रंडी की औलाद, गश्ती के बच्चे.” उन्होने भी जवाबन मुझे गालियाँ दीं. मै उनकी चूत चाटने के दोरान उनके मुँह के साथ अपने लंड को लगाता रहा. फिर कुछ कहे बगैर ही उन्होने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उससे तेज़ तेज़ चूसने लगीं. मेरे टट्टे उनकी नाक और गालों पर लग रहे थे और लंड मुँह के अंदर था. उनका थूक मुझे अपने लंड पर महसूस हो रहा था.
कुछ देर फूफी फ़रहीन की चूत चाटने और उन से अपना लंड चुसवाने के बाद में सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया और उनकी टांगें खोल कर अपना लंड उनकी मोटी ताज़ी चूत के अंदर डाल दिया.
फूफी फ़रहीन की चूत अब भी ज़ियादा नही खुली थी और मुझे महसूस हुआ जैसे मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा हो. उन्होने ज़ोर की आवाज़ निकाली. “उफ़फ्फ़……. अमजद हरामी की नेज़ल मत छोड़ो मुझे में तुम्हारा लौड़ा बर्दाश्त नही कर सकती. किसी कुतिया रंडी के बच्चे, ऊऊओ एयाया में छ्छूटने वाली हूँ.” मुहजहे कुछ हैरानी हुई के वो इतनी जल्दी खलास हो रही थीं . शायद उन्होने बहुत अरसे बाद अपनी चूत में लंड लिया था और इस लिये उनकी क़ुवत-ए-बर्दाश्त काफ़ी कम हो गई थी. वो मेरे घस्सों की वजह से बेड पर आगे पीछे हिल रही थीं . वो ज़ियादा देर तक अपनी चूत के अंदर मेरे लंड को संभाल ना सकीं और आठ डूस ज़बरदस्त घस्सों के बाद ही खलास हो गईं. “हन, हाँ अमजद इधर ही झटके मारो….इधर ही…….इधर ही, इधर ही अपना लौड़ा रखो.” वो भारी आवाज़ में कहे जा रही थीं . मै उनकी फुद्दी में घस्से मारता रहा और वो लेतीं अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाती रहीं.
तक़रीबन तीन चार मिनिट के बाद वो एक दफ़ा फिर खलास होने के क़रीब हो गईं और उनकी चूत ने पहले से भी ज़ियादा पानी छोड़ दिया. लेकिन में ये नही जान पाया के वो पूरी तरह खलास हुई हैं या नही. भरहाल मैंने अपना हाथ उनके चूतड़ों के नीचे किया और उनकी गांड़ के सुराख पर उंगली फेरने लगा. इस पर वो जैसे बिफर सी गईं और खुल खुला कर अपनी चूत मरवाने लगीं. अब वो ये भूल चुकी थीं के वो मेरी सग़ी फूफी हैं. भतीजे के जवान लंड ने फूफी की चूत को अच्छा मज़ा दिया था. मेरा लंड अब जड़ तक फूफी फ़रहीन की फुद्दी में जा रहा था. उनके मम्मे मेरी मुठियों में थे और में उन्हे कस कस कर भींच रहा था. वो अपनी मोटी भारी भरकम गांड़ उठा उठा कर मेरे घस्सों का पूरा पूरा मुक़ाबला करती रहीं और मेरे लंड को एक दफ़ा फिर पूरी तरह से अपनी चूत में लेने लगीं.
फिर में उनके ऊपर से हट गया और उन्हे अपने लंड पर बैठने को कहा. वो अपने क़ावी और जानदार जिसम को मेरे ऊपर ले आईं और मेरा लंड हाथ में पकड़ कर अपनी फुद्दी के अंदर डाल लिया. मैंने उनके मम्मों से खेलता रहा और उनका भरपूर बदन मेरे लंड पर ऊपर नीचे होता रहा. मेरी सग़ी फूफी मेरे लंड पर बैठ कर चूत मरवा रही थीं और में खुशी और हैरत के मिले जुले एहसास के साथ उनके गोरे बदन को देख रहा था. मुझे यक़ीन नही था के में कभी फूफी फ़रहीन को चोद सकूँ गा मगर खुश-क़िस्मती से वो दिन आ ही गया था. अचानक उनकी फुद्दी मेरे लंड के गिर्द कस गई और वो मेरे मुँह पर झुक गईं. उनके लंबे बाल मेरे कंधों को गुदगुदाने लगे. मैंने उनके होठों पर प्यार किया तो उन्होने तेज़ सिसकी ली और फिर तेज़ी से खलास होने लगीं.