उस दिन में और फूफी फ़रहीन घर में अकेले थे क्योंके डैड अपने बैंक के हेड ऑफीस कराची गए हुए थे जबके हमारी नौकरानी 3 दिन की छुट्टी पर थी. दरअसल उससे छुट्टी देना भी मेरी ही कारिस्तानी थी क्योंके जो कुछ में करना चाहता था उस के लिये घर का खाली होना बहुत ज़रूरी था. मेरा कोई भाई बहन नही है जिस की वजह से में अक्सर-ओ-बैस्तर घर में तन्हा ही होता था. मेरी अम्मी तब ही इंतिक़ाल कर गई थीं जब में 3 साल का था. डैड ने दूसरी शादी नही की और हम दोनो अकेले ही रहते थे. वो एक गैर-मुल्की बैंक में एक आला ओहदे पर फॅया’इज़ थे और ज़ियादा तार अपने काम में मसरूफ़ रहते थे.
मेरी चारों फुफियों में फूफी फ़रहीन का नंबर दूसरा था यानी वो फूफी नीलोफर से तीन साल छोटी थीं और 40 बरस की थीं . वो लाहोर में रहती थीं और 2/3 महीने के बाद पिंडी हमारे घर कुछ दिन ठहरने के लिये आया करती थीं . दूसरी फुफियों के मुक़ाबले में उनका हमारे हाँ सब से ज़ियादा आना जाना था. अब की बार डैड ने खुद ही उन्हे लाहोर से पिंडी बुलवा लिया था. मेरी बाक़ी फुफियों की तरह फूफी फ़रहीन की तबीयत भी ज़रा गुस्से वाली ही थी और जब उनका दिमाग खराब होता तो मर्दों की तरह बड़ी गलीज़ गालियाँ दिया करती थीं . उनकी गालियाँ सारे खानदान में मशहूर थीं .
अम्मी के ना होने की वजह से फूफी फ़रहीन मुझ से बहुत शफक़त से पेश आया करती थीं लेकिन मेरी नियत उनके बारे में बहुत बचपन से ही खराब थी. मै उनके साथ अपनी इस क़ुरबत का फायदा उठा कर उन्हे चोदना चाहता था. वो खानदान की उन औरतों में से थीं जिन को में बालिग़ होने से भी पहले से पसंद करता था. मुझे उस वक़्त सेक्स का ईलम नही था मगर ये ज़रूर मालूम था के फूफी फ़रहीन को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाया करता था और में उनके मम्मों और चूतड़ों को छुप छुप कर देखा करता था. फिर जब में बालिग़ हुआ तो फूफी फ़रहीन और खानदान की दूसरी औरतों के बारे में अपने जिन्सी जज़्बात का एहसास हुआ.
आज उनको आये हुए पहला दिन था और मेरी शदीद खाहिश थी के किसी तरह फूफी फ़रहीन की फुद्दी मार लूं. उनके आने के बाद मेरा लंड बार बार बिला-वजा खड़ा हो जाता था. मोक़ा भी बेहतरीन था क्योंके अगले 3/4 दिन उन्होने मेरे साथ घर में बिल्कुल अकेले ही होना था. अगर में इस दफ़ा उन्हे चोदने में नाकाम रहता तो शायद ऐसा सुनेहरा मोक़ा मुझे फिर कभी नसीब ना होता.
फूफी फ़रहीन का शुमार खूबसूरत औरतों में किया जा सकता था. उनके 2 बच्चे थे दो दोनो कॉलेज में पढ़ते थे. लेकिन अब भी वो जिस्मानी तौर पर इंतिहा भरपूर औरत थीं . लंबी चौड़ी दूध की तरह सफ़ेद और निहायत ही सहेत्मंद. उनके मम्मे कुछ ज़रूरत से ज़ियादा ही मोटे थे जिन को वो हमेशा बड़े बड़े रंग बरंगी ब्रा में बाँध कर रखती थीं . मैंने कभी भी उनके मम्मे ब्रा के बगैर नही देखे थे यहाँ तक के वो रात को भी ब्रा पहन कर ही सोती थीं . शायद इस वजह से भी फूफी फ़रहीन के मम्मे इतने मोटे और बड़े थे.
उनकी गांड़ भी बहुत मोटी और चौड़ी थी और जब वो चलतीं तो उनके इंतिहा मज़बूत और वज़नी चूतड़ एक दूसरे के साथ रगड़ खाते रहते. वो चाहे जो मर्ज़ी कपड़े पहन लें मगर उनके चूतड़ों का हिलना नही छुपता था. अपने सेहतमंद बदन की वजह से उनकी कमर पतली तो नही थी मगर मोटे मोटे चूतड़ों और काफ़ी ज़ियादा उभरे हुए मम्मों के मुक़ाबले में छोटी नज़र आती थी. सोने पर सुहागा ये के उनका पेट बाहर निकला हुआ नही था और दो बच्चों की पैदा’इश् के बाद भी साइड से नज़र नही आता था. पेट ना होने से उनकी गांड़ और मम्मे और भी नुमायाँ हो गए थे. उनके बाल बहुत लंबे और घने थे जो अब भी उनके मोटे मोटे चूतड़ों से कुछ ऊपर तक आते थे.
रात के खाने के बाद में अपने कमरे में आ गया और फूफी फ़रहीन अपने कमरे में सोने चली गईं. वो इस बात से बे-खबर थीं के मैंने खाने के वक़्त उनके कोक में नींद की गोली पीस कर मिला दी थी ताके वो गहरी नींद सो ज़ाइन. ये मेरे प्लान के लिये बहुत ज़रूरी था. उन्हे कोक कुछ कडुवा भी लगा था लेकिन बाहरहाल वो उससे पी गई थीं . रात तक़रीबन दो बजे में खामोशी से उनके कमरे में दाखिल हुआ. मुझे अंदाज़ा हो गया के वो गहरी नींद सोई हुई हैं. मेरे पास छोटी सी एक टॉर्च थी जो मैंने जला कर फूफी फ़रहीन के बेड पर डाली.
वो करवट लिये सो रही थीं और उनके लंबे बाल तकिये पर बिखरे थे. उनके खुले हुए गिरेबान से उनके मोटे मम्मे और सफ़ेद ब्रा का कुछ हिस्सा दिखाई दे रहा था. लगता था जैसे उनके सेहतमंद मम्मे ब्रा और क़मीज़ फाड़ कर बाहर निकालने ही वाले हैं. मुझ से रहा नही गया और मैंने आहिस्ता से उनके एक मम्मे को क़मीज़ के ऊपर से ही हाथ लगा कर दबाया. ब्रा की वजह से मेरा हाथ उनके मम्मों तक तो नही पुहँच पाया मगर मुझे ये ज़रूर महसूस हुआ के ब्रा के नीचे बहुत मोटे और बड़े बड़े मम्मे मोजूद हैं. मैंने उनकी क़मीज़ के गिरेबान में उंगली डाल कर उससे ज़रा नीचे किया तो देखा के ब्रा के अंदर उनका एक मम्मा दूसरे मम्मे के उपर पडा हुआ था. टॉर्च की सफ़ेद रोशनी में उनके गोरे मम्मों पर नीली नीली रगै साफ़ नज़र आ रही थीं .
फूफी फ़रहीन मेरे सामने कभी दुपट्टा नही लिया करती थीं और इस लिये मैंने कम-आज़-कम क़मीज़ के ऊपर से उनके मम्मे हज़ारों दफ़ा देखे थे. मगर आज पहली दफ़ा मुझे उनके मम्मों का कुछ हिस्सा नंगा नज़र आया था. होश उड़ा देने वाला मंज़र था. मैंने अपने मंसूबे के मुताबिक़ एल्फी की ट्यूब निकाली और बड़ी आहिस्तगी से उनके बांया मम्मे के बिल्कुल नीचे ब्रा के साथ क़मीज़ पर 6/7 कतरे टपका दिये. फिर मैंने इसी तरह उनके लेफ्ट चूतड़ से क़मीज़ का दामन हटाया और उस के ऊपर भी 9/10 कतरे एल्फी डाल दी. एल्फी चीजें जोड़ने के काम आती है और फॉरन ही सख़्त हो जाती है. मै चाहता था के एल्फी खुश्क हो कर फूफी फ़रहीन के बदन से उनकी क़मीज़ और शलवार को चिपका दे और चूँके जिसम के ऊपर से इससे हटाना आसान नही होता इस लिये उनका परेशां होना यक़ीनी था. मै उसी तरह खामोशी से अपने कमरे में वापस आ गया.