फेसबुक पे मिला लुंड

मेरा नाम आरजू रॉय है.. मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ।मेरा 36-30-36 का फिगर वाला एकदम सुडौल जिस्म देख कर किसी की भी नज़र टिक जाए.. और बिना चोदने की सोचे हटे ही नहीं। मैं अभी 22+ की अल्हड़ मस्त जवान और गरम माल हूँ।

अब बात करती हूँ अपनी सेक्स कहानी की..

मैं मुम्बई से हूँ। तीन साल पहले मैं एक लड़के से मिली थी.. जो बेहद स्मार्ट है.. थोड़ा शर्मीला है और एक डीसेंट बंदा है।उसकी उम्र 23+ की है.. वो एकदम गोरे रंग का है।

हम दोनों फेसबुक पर दोस्त बने थे और धीरे-धीरे अच्छे दोस्त बन गए।हम दोनों ने अपने नंबर्स एक्सचेंज कर लिए और पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए।

वो मेरे घर के पास में ही रहता था.. हमारी जब पहली मुलाक़ात हुई.. हम लोगों ने खूब बातें की.. खूब चुम्बन किए.. ‘चॉकलेट किस’ भी किया।

इस चुम्बन के दौर में मेरा हाथ उसकी जाँघों से टकरा गया, मेरा हाथ उसके मेनपॉइंट पर चला गया।
मैं सच बोलती हूँ.. कि मुझे उसका ‘वो’ कोई गरम लोहे की रॉड लग रहा था।

फिर बहाने-बहाने से मैंने ‘उसे’ दबाना शुरू कर दिया।वो तो शर्मा कर पानी होता जा रहा था पर मैं ही थी इतनी तेज.. कि फटाक से उनकी चैन खोलकर उसका आइटम देख लिया।

उसका खड़ा लंड मुझे बहुत पसन्द आया और तुरंत ही उसको बाहर निकाल लिया। एकदम कड़क.. सीधा.. पूरी तरह से सख्त गरम.. और कुछ अधिक ही मोटा और लम्बा लौड़ा जब बाहर आया.. तो मुझे ऐसा लगा कि किसी अजगर को बिल से निकाल लिया हो।लंड का एकदम लाल टोपा.. और एकदम गुलाबी खाल।

खड़ा लौड़ा देखते ही मेरे मुँह से निकला- वाउ.. कितना सुंदर है..

मैंने उसके लौड़े को अपने हाथ में लेकर के अपने दूधों पर लगा लिया.. और कहने लगी- मेरे साथ तुमने बहुत सेक्स चैट किया है ना.. अब रियल में छू कर देखो।

उसने तो किसी लड़की की उंगली भी नहीं छुई थी.. वो शरम से लाल हो गया।पर मुझसे रहा ही नहीं गया.. और मैं उसको पार्क की झाड़ियों के पीछे ले गई.. और अपने मम्मों को खोल कर दिखा दिया।

आखिर कब तक शरमाता वो.. झटके से वो भी भूखे शेर की तरह चूसने लगा।आआहह.. क्या मस्त फ़ीलिंग थी, अभी भी याद आता है तो पेंटी गीली हो जाती है।

और कहानिया   हलकट टीचर से चुडगयी मेरी माँ

फिर हम लोग कुछ देर यूं ही मस्ती करने के बाद वहाँ से अपने-अपने घर को चले गए.. घर जाकर तो नींद नहीं आ रही थी..बस मन कर रहा था कि जल्दी से काम निपटा कर उसके बारे में ही सोचूँ।

मैं तो हर दिन उसके साथ सेक्स के सपने देखने लगी.. पूरी गीली होने लगी।एक दिन मेरे फ्रेंड के यहाँ पार्टी थी.. उसने सबको बुलाया था और उनके मॉम-डैड बाहर थे.. घर पर कोई नहीं था।

हम लोगों ने उसके घर पर पूरी रात रुकने का सोच लिया था।हम थोड़ी देर पार्टी में नाचते-गाते रहे.. कोल्डड्रिंक पीते रहे।

अभी पार्टी चल ही रही थी कि हम दोनों उसकी मम्मी के बेडरूम में आ गए.. जो कि तीसरी मंजिल पर था।

यहाँ से शुरू हुई हमारी चूत चुदाई की कहानी।

उस दिन मैंने ट्राउज़र और टॉप पहना था मैं अपने लवर के लिए एकदम तैयार होकर आई थी।

मैं थोड़ी भरे हुए जिस्म की हूँ मतलब एकदम सूखी नहीं हूँ। मेरे जिस्म पर एकदम टाइट ट्राउज़र था.. जिससे मेरे चूतड़ उठे हुए साफ़ नज़र आ रहे थे और पेंटी लाइन भी साफ़ दिख रही थी।
मेरी पेंटी पिंक कलर की थी।

हम जैसे ही कमरे में घुसे.. दरवाजा बंद किया.. सिटकनी लगाई और हम पर जैसे नशा सा छा गया। हम दोनों एक-दूसरे ऐसे चूम रहे थे.. कि पूछो मत।हाथ कभी मेरा हाथ उसके जीन्स के ऊपर से लौड़े पर जाते.. तो मैं कभी उसकी जीन्स के अन्दर हाथ डाल देती।

वो भी मेरे साथ रह कर तेज हो गया था। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए.. जो बहुत ही मजेदार किस हुआ।इसी चुम्बन के साथ हम दोनों पूरी तरह गरम हो गए थे।

उसने धीरे-धीरे मुझे मेरी कमर के पास.. कन्धों पर सहलाना स्टार्ट किया। फिर टॉप के नीचे से हाथ डाल कर पीठ की तरफ से मेरी ब्रा से खोलने लगा।

मैं बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। मैंने उसके लौड़े को मजबूती से अपनी मुठ्ठी में जकड़ लिया.. और उसकी जीन्स को उतारने की कोशिश करने लगी।

तब तक उसके हाथ मेरे मम्मों पर आ चुके थे, वो बड़ी बेरहमी से मेरे चूचों को मसले जा रहा था।

और कहानिया   सौ लौड़ों से चुद चुकी हूँ मैं

मैंने भी अब तक जीन्स खोल दी.. इतनी देर में उसने भी मेरी ब्रा, जो कि वाइट कलर की थी.. उसे पीछे से खोल दिया.. और उतार कर टॉप के नीचे खींचते हुए साइड में फेंक दी।

अब वो मेरे मुक्त हो चुके मम्मों को तेज़ी से मसलने लगा। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था.. मैं एकदम पागल सी हो गई थी।मुझे इससे पहले अपने चूचे दबवाने में कभी मजा नहीं आया था।

हालांकि मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि मेरी चूत की सील खुली हुई थी जिसको मेरे पहले ब्वॉयफ्रेंड ने खोली थी.. पर उस चूतिया के लौड़े में कोई दम ही नहीं था।इसी लिए उससे मेरा ब्रेकअप हो गया था.. खैर छोड़ो उस बात को..

फिर उसने मेरे टॉप भी उतार दिया।अब मैं ऊपर से पूरी नंगी हो गई थी।

वो भी मदहोश हो रहा था।तब तक मैंने उसकी जीन्स उतार डाली.. वो एक चुस्त फ्रेंची में था। वो मेरे मम्मों चूसने लगा.. मेरे एक आम को दबा रहा था.. दूसरे को चूस रहा था।

अहह.. मैं बता नहीं सकती कि मुझे कैसी मस्त फ़ीलिंग हो रही थी।

मैंने उसके कान में कहा- जान अब बर्दाश्त नहीं होता.. खा जाओ.. उफफ्फ़.. आआहह.. उमम्म..

तब उसने तेज़ी से मेरे दूध को चूसना स्टार्ट किया और उसका एक हाथ मेरे ट्राउज़र के अन्दर मेरी चूत पर चला गया.. जो तब तक पूरी गीली हो चुकी थी।

आहह.. वो चूत के अन्दर उंगली डाल कर फिंगरिंग करने लगा।अहह.. क्या मस्त मजा था दोस्तो.. चूत में उंगली से इतना मस्त मजा आ रहा था तो उसके मोटे लौड़े से कितना मजा आने वाला था।

मैं तो अभी से ही कामातुर होकर बहुत चुदासी सी और गरम हो गई थी।फिर मैं खुद अपना ट्राउज़र उतरने लगी.. तो उसने रोक दिया.. और सामने पड़े बिस्तर पर मुझे धकेल दिया।

अहह..वो मेरे मम्मों को चूसते-चूसते.. चूचुकों पर प्यार से काटता हुआ मेरे पेट के छेद को चाटने लगा।मैं एकदम से मचलने लगी।

वो अपनी जीभ से मेरी नाभि को पूरी तरह चाटे जा रहा था।अब मेरा ट्राउज़र उतरता गया.. मैं सिर्फ़ अपनी पिंक पेंटी में उसके सामने चुदने को बेताब पड़ी थी।

Pages: 1 2

Leave a Reply

Your email address will not be published.