पडोसी कुंवारी लड़की की पहली चुदाई

मेरा नाम गजानन है, मेरी उम्र 23 साल है. मुझे कंप्यूटर पर अच्छी तरह लिखना नहीं आता फ़िर भी कोशिश कर रहा हूँ. आपको लगे या ना लगे, यह मेरी सच्ची कहानी है.

बंटी हमारे घर के बगल में रहती है. वो दिखने में बहुत सुंदर ओर सेक्सी है. उसका कद करीब 5’5′ है. रंग गोरा है. उसके मम्मे छोटे हैं. मुझे छोटे मम्मे वाली लड़कियाँ ही पसंद हैं. मैं उसके बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मार चुका था. मैं उसे चोदने का मौका ढूँढ रह था. जब भी मौका मिलता मैं उसे और वो मुझे देखकर मुस्कुराती थी. मैंने उससे आगे बढ़ने की सोची.

एक दिन जब वो कपड़े सुखाने आई तो मैंने सेक्सी तसवीरों वाली किताब उसके बगल में फेंकी और मैं दीवार के पीछे छिप गया. उसने वो किताब नहीं उठाई. मैं घबरा गया कि अगर उसने घरवालों को बताया तो मैं मर ही गया समझो.

लेकिन कुछ देर बाद वो फ़िर आई और उसने वो किताब उठाई और चली गई. दो दिन बाद जब वो दिखी तो शरमा के किताब मेरी तरफ फेंकी और धीमी आवाज में बोली- और किताबें हैं क्या?
मैं बोला- यह पसंद आई क्या?
उसने शरमा के हाँ में सिर हिलाया तो मैंने उसे हमारे घर के पिछवाड़े बुलाया.
उसने कहा- कल शाम को आऊँगी.

दूसरे दिन शाम को जब वो आई, मैंने किताब देने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया. वो घबराकर छुड़ाने लगी, बोली- कोई आ जायेगा!
मैंने कहा- कोई नहीं आयेगा!
शाम का समय था, इसलिये वहाँ कोई नहीं आता था.
मैंने उसे कहा- सिर्फ किताबों में ही पढ़ेगी या असल में भी कुछ करोगी?
उसने कहा- ना बाबा! बच्चा हो गया तो?
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.

ऐसा कहते ही मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके गालों को चूम लिया. वो मुस्कुराई. फ़िर मैंने उसके होठों को चूसा, मुझे पता चल गया कि यह उसका पहला ही चुम्बन है.

उसके बाद मैं धीरे धीरे उसका स्कर्ट ऊपर उठाने लगा. उसने मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था. मैं धीरे धीरे उसकी जांघ सहलाने लगा. उसे मजा आने लगा था, मेरे हाथ उसकी पेंटी पर लग रहे थे. मैं पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा. उसके बाद मैं उसके टॉप के बटन खोलने लगा. जब मैंने देखा तो मैं दंग रह गया, उसके मम्मे बहुत गोरे और बिल्कुल छोटी नाशपाती की तरह थे. मैं उसकी एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. बंटी कसमसाई उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी, मेरा भी ख्वाब पूरा हो रहा था. मैं एक हाथ से उसका एक मम्मा दबा रहा था.

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फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाल दी और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा. मेरे हाथ को उसकी चूत के नये छोटे छोटे बाल लगे. फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाली तो वो एकदम से चीखी- आऊच और बोली जरा धीरे! मैंने पहले ऐसा कभी किया नहीं!

मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. फ़िर मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया. इतना बड़ा लंड उसके छोटे हाथों में बैठ भी नहीं रहा था. उसे मेरा लंड गरम लगा तो वो बोली- तुम्हारा लंड गर्म है, तुम्हें बुखार है क्या?

मैं हंसने लगा और बोला- जब आदमी का लंड खड़ा होता है तब वो गर्म भी होता है.

मैंने उसे हाथ से लंड को हिलाने को कहा. उसके कोमल हाथ मेरे लंड को मसलने लगे. मैं मानो जैसे जन्नत में सैर कर रहा था. फ़िर मैंने उसे दीवार से टिकाकर खड़ा कर दिया. उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाई, अब मुझे उसकी चूत पूरी तरह दिख रही थी. मैं अपना लौड़ा उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत कसी थी, इसलिये अंदर नहीं जा रहा था. मैंने उसे लंड चूसने को कहा पर वो नहीं मानी.

मैंने भी सोचा कि अच्छा खासा मौका हाथ से निकल जायेगा इसलिये उसे सिर्फ सुपारे पर चाटने को कहा. उसने मेरे सुपारे पर अपनी जीभ फ़िराई.

मैं नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने लगा. वो आँख बंद करके मजा लेने लगी. जब मैंने देखा कि उसकी चूत गीली हो चुकी है तो मैंने फ़िर से अपना सुपारा उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिश की. इस बार मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया, वो दर्द से चिल्लाने लगी. मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और आधा ही लंड अंदर-बाहर करने लगा. फ़िर धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाला, वो दर्द से और भी चिल्लाने लगी. मैं फ़िर कुछ देर वैसे ही रुका. फ़िर अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा. वो सिसकारियाँ भरने लगी.

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मैं धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा. मैं उसे खड़े-खड़े ही चोदने लगा. कुछ देर बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, इसलिये मैंने अपनी गति बढ़ा दी.

उसके मुँह से अअऽऽ आआ शशससउ ऐसी आवाजें निकलने लगी और वो मुझे कसकर पकड़ कर झड़ गई. उसकी चूत में से पानी और कुछ खून निकलने लगा. यह देख कर मुझे भी जोश आने लगा और अब हम दोनों सातवें आसमान पर थे. इस बीच वो दूसरी बार झड़ गई. करीब छः सात मिनट बाद मैं भी झड़ने के करीब पहुँचा, बंटी आय लव यू! कहकर उसे जोर जोर से चोदने लगा. अब मैं झड़ने ही वाला था कि झट से मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और मेरा सारा वीर्य बंटी के पेट और चूत के ऊपर गिर गया और मैं ढीला होकर उसके ऊपर गिर गया. कुछ देर बाद हमने अपने अपने कपड़े पहन लिये, जाते वक्त फ़िर से उसके चूचे दबाये और उसे चूमा.

बंटी से दोबारा मिलने का वादा करके उसे मैंने लाई हुई किताब दी और वो शरमा के बोली- माँ तो नहीं बनूंगी ना?
मैंने कहा- इसी लिये तो मैंने अपना वीर्य तुम्हारी चूत में गिरने नहीं दिया.
उसने कहा- आज बहुत मजा आया.

मेरी भी बरसों की तमन्ना पूरी हो गई थी.

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