एक औरत की सोई हुई भूख शांत किया

प्रेषक :कुंदन कुमार ….

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम कुंदन कुमार है, में बरोली का रहने वाला हूँ और में  आज जो कहानी में आप सभी के लिए लेकर आया हूँ, यह मेरी पहली सच्ची घटना है. दोस्तों मेरी फेमिली में मेरी मम्मी, पापा और मेरा एक भाई है और यह कहानी मेरी और मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त की चाची की है, जिसका नाम सुलाचना है.

दोस्तों सुलाचना की उम्र करीब 28 साल थी और उसका एक 4 साल का बेटा भी था. सुलाचना का पति एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करता था और उसका चक्कर उसी के ऑफिस की एक लड़की के साथ था और इसलिए वो सुलाचना का ज्यादा ख्याल नहीं रखता था और ना ही वो उसके बेटे की परवाह किया करता था, यहाँ तक कि उसे पूरे सात महीने हो गए थे और सुलाचना को उसने हाथ भी नहीं लगाया था, लेकिन दोस्तों आख़िर सुलाचना भी एक औरत थी और वो सेक्स के बिना कैसे रह सकती थी? फिर भी उसने अपनी मर्यादा को अभी तक नहीं तोड़ा था, लेकिन उसके पति ने एक दिन उससे कहा कि वो अब सुलाचना को बहुत जल्दी तलाक दे देगा.

फिर सुलाचना उसके मुहं से यह बात सुनकर बिल्कुल पागल सी हो गई थी, उसने अपनी बहन मतलब कि विजय की मम्मी स्मिता आंटी को फोन करके सब कुछ बता दिया. फिर स्मिता आंटी और अंकल तुरंत सुलाचना के घर पर चले गये. सुलाचना बड़ोदा रहती थी, स्मिता आंटी और अंकल ने सुलाचना के पति को बहुत कुछ समझाया, लेकिन वो नहीं माना और आख़िर स्मिता आंटी, दिव्या और उसके बेटे को अपने घर पर लेकर आ गई. दिव्या का स्मिता आंटी के सिवा पूरी दुनिया में अब कोई नहीं था.

दोस्तों अब में विजय की बात करता हूँ, विजय और में 12th क्लास से साथ है और हम बहुत अच्छे दोस्त है. विजय के परिवार में उसके पापा मम्मी और एक बहन है जो शादीशुदा है. विजय के पापा का कपड़ों का होलसेल बिज़नेस है और विजय भी उनके साथ में काम करता है. दोस्तों विजय के मम्मी, पापा मुझे अपने बेटे की तरह समझते थे, इसलिए में उनके परिवार में एक सदस्य जैसा हूँ और उनको मुझ पर बहुत भरोसा है.

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दोस्तों सुलाचना के आने के बाद स्मिता आंटी ने सुलाचना से मेरी पहली बार मुलाकात करवाई और सुलाचना की सभी समस्याए मुझे बताई. फिर मैंने उन्हें थोड़ा विश्वास दिला दिया कि बहुत जल्दी सब कुछ ठीक हो जाएगा. दो महीने ऐसे ही निकल गये और अब सुलाचना मेरे साथ एक बहुत अच्छे दोस्त की तरह हो गयी थी, लेकिन हमेशा वो बहुत उदास रहती थी और हर कभी रोती थी और उसकी वजह से स्मिता आंटी भी हमेशा बहुत चिंता में रहती थी. फिर एक दिन विजय का कॉल आया और उसने मुझसे कहा कि मेरे घर पर आओ, तो में उसी शाम को उसके घर पर चला गया. तब विजय ने मुझसे कहा कि क्या तुम मेरे साथ बिज़नेस के काम से मुंबई चलोगे?

फिर मैंने उससे कहा कि नहीं मुझे बहुत काम है, इसलिए में तुम्हारे साथ नहीं आ सकता. फिर विजय ने मुझसे कहा कि मेरे पापा भी चार दिनों के लिए दिल्ली जा रहे है और विजय भी तीन दिन के लिए मुंबई जा रहा है, इसलिए उसने मुझसे कहा कि तुम मेरे घर का ख्याल रखना. दोस्तों मेरा और विजय का घर ज्यादा दूरी पर नहीं था, इसलिए मैंने उससे कहा कि कोई बात नहीं आप दोनों आराम से चले जाओ, में घर का पूरा ख्याल रख लूँगा और फिर मैंने आंटी से भी कहा कि अगर आपको कुछ भी काम हुआ तो आप मुझे फोन करना, में चला आ आऊंगा और दूसरे दिन सुबह अंकल दिल्ली चले गये और शाम को विजय मुंबई. फिर करीब 7:00 बजे उसी शाम को आंटी का मेरे पास फोन आया तो उन्होंने मुझसे मेडिकल से कुछ दवाई और मालिश के लिए एक तेल की बॉटल मँगवाई और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आज रात का खाना हम साथ में बैठकर खायेगें

फिर मैंने उनसे कहा कि ठीक है और फिर में रात को करीब 9:30 बजे आंटी के घर पर पहुंच गया, हमने सबसे पहले एक साथ बैठकर खाना खाया, लेकिन मुझे दिव्या वहां नजर नहीं आई तो मैंने आंटी से पूछा कि दिव्या कहाँ है? तो आंटी ने मुझसे कहा कि उसकी हालत बहुत खराब है और वो इस समय अपने रूम में है. फिर मैंने उनसे कहा कि तो चलो हम कोई दवाई दे देते है.

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आंटी ने कहा कि उसे किसी दवाई की ज़रूरत नहीं है और यह सब तुम नहीं समझोगे. दोस्तों में सच में कुछ भी नहीं समझा और में सुलाचना के रूम में चला गया और मैंने वहां पर जाकर देखा कि वो अपने बेटे को सुला रही थी और बहुत रो रही थी और बहुत उदास थी. फिर मुझे देखकर वो और भी ज़्यादा रोने लगी और मुझसे यह सब देखा नहीं गया. फिर में वापस हॉल में आंटी के पास आ गया और फिर मैंने आंटी से पूछा कि क्या हुआ? तो आंटी ने कहा कि सुलाचना के पति ने सुलाचना को तलाक दे दिया है. दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर मुझे भी बहुत दुख हुआ और मैंने देखा कि आंटी भी मुझसे बात करते हुए रोने लगी थी.

फिर मैंने आंटी के कंधो पर हाथ रख दिया और उनसे कहा कि सब ठीक हो जाएगा. फिर आंटी ने मुझसे कहा कि हाँ अब जल्दी से कोई अच्छे से इंसान के साथ सुलाचना की दूसरी शादी करनी पड़ेगी, क्योंकि एक अकेली औरत को हमेशा बहुत मुश्किल होती है. फिर मैंने भी उनकी बात को सुनकर अपने सिर को हिलाकर हाँ कहा और कुछ देर बाद मैंने आंटी से कहा कि में अब अपने घर पर जाता हूँ.

फिर आंटी ने कहा कि मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी. फिर मैंने कहा कि हाँ बोलो ना? तो आंटी ने मुझसे कहा कि पहले अंदर रूम में चलो और फिर हम रूम में चले गये. अब आंटी ने मुझसे पूछा कि क्या तुम सुलाचना की थोड़ी मदद करोगे? और तुम्हारे ऐसा करने से हो सकता है कि सुलाचना को बहुत खुशी मिलेगी? फिर मैंने तुरंत आंटी से कहा कि ठीक है और में सुलाचना की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. फिर आंटी ने मुझसे कहा कि सबसे पहले तुम मुझसे वादा करो और फिर मैंने आंटी से वादा किया.

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