आंटी की फुदी को चूमते चाटते मुझे 10 मीं होने वेल थे. इस बीच आंटी एक बार जाध चुकी थी. अब आंटी बार बार छोड़ने को कह रही थी. पर अब निरेश के सबर का बाँध टूट गया, वो पंत उपर कर के अंदर आ गया. और उँचा बोला ये सब क्या हो रहा है???!
मेरी तो गांद फटत के मेरे हाथ मे आ गयी थी और अब आंटी की टाँगें भी कांप रही थी. पर जब मैने उसका खड़ा लंड देखा तो समझ गया की ये ज़्ब देख रहा था. मैने आंटी को इशारा किया मगर आंटी दर गयी थी, मैने हिम्मत कर के निरेश से कहा-
मैं: क्या ड्रामे कर रहा है.. मुझे पता है तू काफ़ी देर से ये खेल देख रहा है और अपनी मा की गांद देख के लंड को रग़ाद रहा है ब्स्दक.
निरेश: तू क्या बकवास कर रहा है बे!
मैं: बकवास नही हरामी तेरा खड़ा लंड बोल रहा, बोल क्या चाहता है कामीने!
पहले तो वो बोला की मैं अपने पापा को बता दूँगा. फिर मेरे काफ़ी बार बोलने पे बोला उसकी काफ़ी अरसे से फॅंटेसी थी की कोई उसकी मा को छोड़े. और वो अपनी मा को चूड़ते हुए अपने सामने देखे..
निरेश की मा का मूह खुला का खुला रह गया.
अब वो अपनी मा के पास आया और बोला-
निरेश: मुझे बुरा तो लगा पर मज़ा भी आया, तू घबरा मत जो करना है खुल के कर, मेरे सामने कर मा.
फिर निरेश मा को गले लगा और अपनी मा के नंगे जिस्म के मज़े लिए और फिर मुझे आँख मार दी.
मैं पीछे से उसकी मा की गांद खोल के गांद चाटने लग गया और निरेश पीछे जेया के चेर पे बैठ के सब देखने लगा और अपना लंड को दबाने लगा. मैने निरेश की मा की फुदी को चाट चाट के फिर से उसे गरम किया. अब वो शरमाना बंद कर दी और मज़े लेने शुरू हो गयी.
आयेज क्या हुआ आपको अगले पार्ट मे बतौँगा.