हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोहित है और आज एक बार फिर से आप सभी antarvasna के चाहने वालों की सेवा में अपनी सच्ची कहानी को लेकर आ गया हूँ, जिसमें मैंने अपने दोस्त की माँ के साथ पुणे में बहुत मज़े किए और अब में उस घटना को पूरी तरह विस्तार से सुनाता हूँ। दोस्तों में यहाँ पर एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता हूँ और मेरा यहाँ पर एक बहुत अच्छा दोस्त बन गया। जिसका नाम प्रणव है, जो कि मेरे घर के पास वाले घर में रहता है और वो भी मेरी ही कम्पनी में काम करता है, जब वो छोटा था तो बचपन में ही किसी बीमारी से उसके पापा की म्रत्यु हो गयी थी, लेकिन वो बहुत ही कम समय में मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त बन गया था। फिर हम रात को एक साथ बैठकर दारू, सिगरेट पीते और यहाँ वहां घूमते, लेकिन मुझे अब पिछले पांच दिनों से उसका मेरे लिए थोड़ा थोड़ा व्यहवार बदला हुआ सा लगने लगा था।
एक दिन जब में उसके घर पर गया तो मैंने उसकी हॉट माँ को देखा, वो तो पूरी ग्रहणी दिख रही थी। मस्त सावला रंग, पूरे भरे भरे बूब्स, मस्त गांड वो बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर में कुछ देर वहां पर रुककर अपना काम खत्म करके अपने घर पर चला आया, लेकिन अब में उस दिन के बाद से हर रोज वहां पर ठीक उसी समय जाने लगा था। फिर एक दिन जब हम ड्रिंक कर रहे थे तब मेरे दिमाग़ में एक प्लान आ गया और मैंने ऐसे ही सही मौका देखकर उससे बोला कि मुझे आंटी के साथ सेक्स करना है क्या तू मेरी कुछ मदद कर सकता है? क्योंकि में उसके बाद ही तेरे बारे में कुछ सोचूँगा और तेरा कोई जुगाड़ भी करवा दूँ। दोस्तों वो मुझे अपना मानता था तो उसने भी कुछ देर सोचा और फिर मुझे उसने सब कुछ सच बोल दिया कि उसकी माँ तो एक नंबर की रंडी है, वो तो ना जाने कितने लोगों से हर कभी चुदवाती रहती है। दोस्तों फिर क्या था मुझे तो उसकी यह बात सुनकर उसकी तरफ से पूरा ग्रीन सिग्नल मिल गया और में समझ गया कि यह मुझसे अपना काम करवाने के लिए मेरा भी काम जरुर करवा देगा और मुझे इस काम में कहीं भी कोई रुकावट नहीं आने देगा। तभी वो मुझसे बोला कि दो दिन बाद छुट्टी के दिन हम सब फ्री बिल्कुल होंगे और में जानबूझ कर उस दिन बाहर अपने अंकल के पास चला जाऊंगा। उस दिन मेरे घर पर मेरी माँ एकदम अकेली रहेगी और तू मौका देखकर मेरे घर पर चला जाना और आगे का काम तू जानता ही है कि कैसे उसे तू अपनी बातों में फंसाकर उसके साथ क्या क्या करेगा और तुझे क्या करना है, तू तो पहले से ही बहुत समझदार है। फिर में उसकी पूरी बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हो गया। मैंने उससे कहा कि ठीक है और फिर मैंने उसको मेरी मदद करने के लिए धन्यवाद कहा और अब में उस दिन का इंतजार करने लगा और इस बीच मैंने कई बार आंटी को उनके घर पर जाकर मौका देखकर छुआ भी और उनको अपनी नजर से घूरकर भी देखा, में लगातार उनके बूब्स को ताकता रहता, जब वो घर का कोई काम करती तो में जानबूझ कर उनके सामने आकर उनकी छाती को देखता और उनसे हंसी मजाक करता, में हमेशा उनसे दो मतलब की बातें करता और जिनका मतलब वो बहुत जल्दी समझकर मुस्कुराने लगती और मुझे उसका मुस्कुराना बहुत अच्छा लगता था।
फिर दो दिन इस तरह दिन बिताने के बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बहुत बेसब्री से इंतजार था और मुझे उस दिन सुबह मेरे दोस्त ने अपने घर से निकलने के बाद फोन करके बता दिया था। अब में तुरंत सुबह ही उठ गया और उसके घर पर पहुंच गया। मैंने वहां पर जाकर देखा कि प्रणव घर पर नहीं था और आंटी घर के काम में लगी हुई थी और वो उस समय तक नहाई भी नहीं थी और फिर जैसे ही में अंदर गया तो वो मुझसे हंसकर बोली कि आइए राजकुमार, क्यों आज कैसे याद आई हमारी? तो मैंने भी बोल दिया कि मुझे कभी आपकी याद नहीं आती, क्योंकि में कभी आपको भूलता ही नहीं। अब वो हंसकर इधर उधर की बातें करने लगी। फिर कुछ देर बाद मैंने भी उनसे बोल दिया कि आज मुझे भी घर पर जाकर खाना पकाना है और मेरी माँ बाहर गई हुई है। फिर वो बोली कि तू क्यों अपने घर पर जाता है तू यहीं पर खा ले, में तेरे लिए भी खाना बना देती हूँ ना और हम दोनों मस्त पार्टी करेंगे, आज वैसे भी प्रणव घर पर नहीं है और में घर में अकेली बोर हो रही हूँ, तेरा साथ रहा तो मेरा भी मन लगा रहेगा।
दोस्तों में भी तो मन ही मन यही सब चाहता था, जो आंटी ने खुद अपने मुहं से मुझसे कह दिया और अब में उन्हें किचन के कामों में उनकी मदद करने लगा और वो मुझसे हंस हंसकर बातें कर रही थी और बहुत सेक्सी लग रही थी। उनके बाल बिखरे हुए थे और उस समय वो एक बड़े गले की मेक्सी में थी, जिसकी वजह से उनके बड़े आकार के बूब्स मुझे काम करते समय झूलते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे, वाह मज़ा आ गया और में हर बार किचन में इधर उधर हर बार उनकी गांड को जानबूझ कर यहाँ वहां छू रहा था, लेकिन वो मुझसे कुछ भी नहीं कहती बस मेरी तरफ हंस देती और में उनकी उभरी हुई छाती को देख रहा था और उसके मज़े ले रहा था। तभी उन्होंने मेरी तरफ देखा और शरारती हंसी देकर वो मुझसे बोली कि क्या हुआ मुझे ऐसे क्या देख रहा है, क्या तूने कभी किसी को नहीं देखा जो मुझे आखें फाड़ फाड़कर देख रहा है क्या मुझे खा जाएगा? तो मैंने बोला कि ऐसा कुछ नहीं है में तो बस ऐसे ही आपको देख रहा था। तभी वो मुझसे बोली कि ऐसे लड़कियों की तरह शरमाता क्यों है बोल देना समुंदर के पास खड़ा रहकर पानी को नहीं देखेगा तो क्या करेगा, क्यों मैंने ठीक कहा ना? तो मैंने बोला कि हाँ आपने बिल्कुल सही कहा और इस मुसाफिर को तो कब से प्यास लगी है, लेकिन आप है कि पानी ही नहीं पिला रहे। फिर वो ज़ोर से हंसते हुए बोली कि यह सब पानी आपका ही है, चाहिए जितना पी लो, आपको किसने रोका है। दोस्तों मैंने देर ना करते हुए तुरंत उसका एक हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लिया और उसे अपनी बाहों में लेकर किस करने लगा और अब कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि उसने भी मुझे टाईट हग किया और में अपना एक हाथ उसकी गांड पर फेर रहा था, तभी वो मुझसे बोली कि रुक पहले में खाना बना लेती हूँ, वरना यह सब ऐसे ही रह जाएगा।