दोस्त की मम्मी के सात हुआ सेक्स दंगल

अब उनके गोरे उरोज़ मेरे ठीक सामने थे और दिल कर रहा था उनको मसल दूं, पर डर रहा था।
आंटी फिर बोली- डरो मत…टच करो…!
मैं फिर भी डर रहा था…तब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने गर्म उरोज़ों पर रख दिया। मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया, मैं धीरे-धीरे दोनों हाथों से उनके गोरे-गोरे मांसल उरोज़ों को दबाने लगा।
स्वाति आंटी ने मादक स्वर में कहा- धीरे नहीं…ज़ोर से दबाओ…और मुँह में ले कर चूसो…आहह…वाह…और ज़ोर से…उफ़!

अब मैं भी खुल कर उनके उरोज़ों दबाने लगा और उनके गुलाबी निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा था। अचानक मुझे हटा कर वो बैठ गई और मेरी टी-शर्ट पकड़ कर ऊपर कर दी, मैंने भी हाथ उठा कर टी-शर्ट व बनियान उतार फेंकी और उनको सीने से लगा लिया और उनके कन्धों, गर्दन और होठों को चूमने, चाटने लगा।
मुझे अनाड़ीपन से चूमते, चाटते हुए देखकर हंसते हुए स्वाति आंटी ने पूछा- पहले कभी किया है…?
मैंने शर्माते हुए ज़वाब दिया- नहीं…पर ब्लू फिल्म में बहुत बार देखा है।
यह सुनकर उन्होंने मुझे पकड़ कर बैड पर लिटाया और मेरे घुटनों पर सवार हो कर उन्होंने मेरी पैन्ट के हुक खोले, फिर उसे खोल कर दूर फेंक दी और अपने हाथ मेरे अन्डरवियर के ऊपर मेरे कठोर लिंग पर फिराने लगी।
फिर स्वाति आंटी ने धीरे से मेरा अन्डरवियर खोल कर लिंग को बाहर निकाला और उसे चूमने, चूसने लगी। सचमुच…वो पल मेरे जीवन के सबसे हसीन पल थे। थोड़ी देर चूसने के बाद वो घुटनों के बल बैठी और अपने पेटीकोट की डोरी खोलकर उसे उतार फेंका। अब वो केवल पैन्टी में थी, मैंने उन्हें बाहों में भरकर लिटा दिया और उनकी पैन्टी को चूमने लगा।

आंटी सिसकारते हुए बोली- प्लीज़…प्रीत…पैन्टी खोल कर चूसो ना।”
मैं बिना वक्त गंवाये दोनों हाथों से पैन्टी खोल कर स्वाति आंटी की गुलाबी मखमली योनि में अपनी ज़ीभ डाल दी और होंठों से चूस कर रस पीने लगा।
वो भी दोनों हाथों से मेरे बालों पर हाथ फिराते हुए मेरा सिर अपने अंदर दबाने लगी और उत्तेजना के साथ कराहने लगी- आह्ह…प्रीत…प्लीज़…और ज़ोर से…उफ़…और अन्दर तक डालो…अब तक तुम कहां थे…प्लीज़…क्रश मी हार्ड…!
कहते हुए उन्होंने मुझे अपने ऊपर लेकर मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने उरोज़ों पर रख लिये और अपनी टांगे चौड़ी कर के कहा- प्लीज़…प्रीत…फक मी…अब नहीं सहा जाता!”
मैंने तुरन्त अपने लिंग को पकड़ कर स्वाति आंटी की योनि के छेद पर रखा और झटके से अन्दर घुसा दिया, फिर धीरे-धीरे कूल्हों से प्रहार करने लगा।
हर झटके के साथ आंटी की मादक चीख से मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, आंटी उत्तेजना से चीख रही थी- आह्ह…वाओ…यस…वेरी गुड…और ज़ोर से…करते रहो…तुम सच में बहुत अच्छे हो प्रीत…!
मैं धक्के लगाता रहा पर मैं थोड़ी ही देर में चरम पर था इसलिये आंटी से बोला- आंटी…मैं फिनिश होने वाला हूं…क्या करूं…?
उत्तेजना में स्वाति आंटी बोली- रुको नहीं…प्रीत…करते रहो…प्लीज़…और जोर से…आह…अन्दर ही छोड़ देना…रुकना नहीं!
हालांकि मैं कई सालों से हस्तमैथुन करता था पर यह मेरा पहला सैक्स अनुभव था इसलिये उत्तेजना में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया झटके देते हुए स्खलित हो गया पर स्वाति आंटी अब तक चरम पर नहीं पहुँची थी इसलिये मैंने प्रहार जारी रखे। कुछ समय तक और प्रहारों के बाद मादक सिसकारियों के साथ स्वाति आंटी भी अपने चरम पर पहुँच कर निढाल हो गई और मैं भी उनसे अलग होकर पास में ही लेट गया, आंटी ने अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया और लेटी रही।

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उन्होंने पास रखी रजाई हमारे ऊपर डाल ली और सैक्स की थकान के कारण हम दोनों कब नींद के आग़ोश में चले गये पता ही नहीं चला।
लगभग डेढ घन्टे सोने के बाद स्वाति आंटी की आवाज से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वो हाउसकोट पहने मेरे पास पलंग पर बैठी मुस्कुरा रही थी पास में चाय की ट्रे रखी थी।
वो बोली- जल्दी से उठ कर चाय पी लो।
मैं रजाई में बिना कपड़ों के था और शर्म के मारे उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था, इसलिये धीरे से बोला- आंटी…मेरे कपड़े…?
स्वाति आंटी खिलखिला कर हंसते हुए बोली- अभी तक शरमा रहे हो…पहले चाय पी लो…फिर शावर लेकर कपड़े भी पहन लेना…ठीक है…?
मैं भी आज्ञाकारी बालक के जैसे तुरन्त उठ कर बैठ गया। वो सामने कुर्सी पर बैठ गई, उन्होंने अपनी और मेरी चाय सर्व की और मादक स्वर में बोलीं- प्रीत…आज बहुत टाईम बाद किसी का साथ इतना एन्जोय किया है…सच में बहुत मजा आया…वरना…!
कह कर स्वाति आंटी रुक गई, फिर खुद ही स्पष्ट करते हुए बोलीं- वैसे तो…मीत के डैडी बैड में अच्छे हैं पर…बिज़नेस टूअर्स के बिज़ी शेड्यूल के कारण कभी तो उनको टाईम ही नहीं मिलता…और कभी वो इतना थके होते हैं कि उनमें सैक्स के लिये ताकत ही नहीं बचती…।
“खैर…अब तुम मिल गये हो, तो मुझे किसी की जरूरत ही नहीं…तुम सचमुच बहुत अच्छे हो…अब उठ कर नहा लो…तब तक मैं खाने को कुछ बना लेती हूँ…बहुत भूख लगी है…तुमको भी भूख लगी होगी।”

ऐसे कह कर उन्होंने एक तौलिया मेरी तरफ उछाल दिया जिसे लपेट कर मैं बाथरूम की ओर बढ़ गया।
बाथरूम में घुसने से पहले मैंने स्वाति आंटी का हाथ पकड़ कर कहा- आप भी आओ ना…साथ में शावर लेंगे।
आंटी ने कहा- यू नोटी बोय…अभी नहीं…अभी तुम शावर ले कर आओ…फिर हम लंच कर लेते हैं और वैसे भी अगले सात दिन मैं और तुम बहुत एन्जोय करने वाले हैं।
कह कर वो हाथ छुड़ा कर रसोई की ओर बढ़ गई और मैं बाथरूम में शावर लेने चला गया। जब लौटा तो बैड पर मेरे कपड़े रखे थे जिन्हें पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया, तभी स्वाति आंटी सलवार कुर्ते के ऊपर गर्म जैकेट पहने रसोई से लंच की ट्रे लिये बाहर आई और मुझे डाईनिंग टेबल पर आने को कहा।
फिर हम दोनों साथ बैठ कर लंच करने लगे, तब आंटी बोली- प्रीत…मैंने तुम्हारी मम्मी से तुम्हारे रात को मेरे पास रुकने की बात कर ली है…अभी लंच लेकर तुम घर जाकर अपना वहाँ का काम निपटा लो…।
“और हाँ…थोड़ा आराम भी कर लेना…आज सारी रात मैं तुमको सोने नहीं दूँगी!” स्वाति आंटी ने शरारती अंदाज़ में कहा।
लंच लेकर मैं उठा, हाथ धोये और स्वाति आंटी को बाहों में भर कर होंठों से होंठ मिला कर गहरा चुम्बन लिया और रात को मिलने की प्रोमिस के साथ अपने घर चला आया, पर मेरा मन तो रात के इन्तज़ार में अधीर हुआ जा रहा था।
थोड़ी थकान महसूस हुई तो सो गया। दो घन्टे बाद मम्मी ने उठाया तो उठ कर दोस्तों के साथ खेलने चला गया, जब शाम हुई तो घर लौट कर थोड़ी देर टीवी पर मैच देखा तब तक मम्मी शाम के खाने के लिये आवाज़ लगा चुकी थी।

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