तलाक़ के बाद गैर मर्द से चुदाई 2

एक अच्छे रेस्तरां में हमने डिनर लिया, साथ में एक एक का वोडका तड़का लगाया और होटल आ गए.

मैं सोच ही रहा था कि उसको कैसे अपने साथ और देर तक रोकूं.
तभी सिल्क ने आग्रह किया- आप मेरे रूम में चलिए ना!

मना करने का कोई सवाल ही नहीं था मेरा!
यह बात तो तय थी कि अगर मैं पहल करता तो सिल्क ना नहीं करती क्योंकि सेक्स की उतनी तड़प उसमें भी थी जितनी मेरे अंदर थी. पर मैं पहल करने में घबरा रहा था कि मेरे सूने जीवन में इतने सालों के बाद बहार आई है, कहीं वो फिर पतझड़ में ना बदल जाए.

इसमें कोई शक नहीं कि सिल्क एक साधारण, पर सुलझी हुई महिला थी, वक़्त ने उसको काफी परिपक्व बना दिया था. काफी प्रैक्टिकल भी वो थी. परिपक्व तो मैं भी था पर मैं उसको चोट नहीं पहुंचाना चाहता था.
फिर दिल ने कहा कि समय के साथ बह कर देखो.

उसके रूम में पहुंच के हम दोनों सोफे पे अगल बगल बैठ गए.
सिल्क- आप इतने चुप क्यों है, आपको मेरा साथ अच्छा नहीं लगा क्या?
मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है काफी साल से अकेला रहता आया हूँ तो आपका साथ तो मेरे लिए एक नए जीवन की तरह है.
सिल्क- तो फिर खुल के रहिये ना … जो बीत गया उसके साथ आप कब तक जीते रहेंगे? उसको बुरा सपना समझ के भूल जाइये. आज पर अपना ध्यान दीजिये जैसे मैं!

मैं- सिल्क, आपने सही कहा. एक बात कहूँ, आप बुरा तो नहीं मानियेगा?
सिल्क- आप कहिये ना आपकी बात का बुरा मानना होता तो इतनी दूर सिर्फ आप से मिलने घर में झूट बोल कर नहीं आती,
मैं- मतलब?
सिल्क- मैंने घर में आपके बारे में कुछ नहीं बताया है बस इतना बोला कि ऑफिस का काम है तो दिल्ली जा रही हूँ.
मैं- ओह्ह!

सिल्क- आप बोलिये ना क्या कहने वाले थे आप?
सिल्क ने आम लड़की की तरह चंचलता दिखाते हुए पूछा.
मैं- सिल्क, प्लीज आप बुरा मत मानना … आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. शायद मैं आपकी खूबसूरती मैं खो सा गया हूँ, दिल करता है …
कह कर मैं रूक गया उसकी प्रतिक्रिया देखने को!

सिल्क- क्या करता है दिल?
सिल्क ने एक अल्हड़ नवयौवना की भान्ति इठलाते हुए पूछा.

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मैं- दिल करता है कि मैं आपसे दूर ना जाऊं … ये पल यहीं रुक जायें. मैं बस आपके पास बैठा रहूं और आपको निहारता रहूं.

इन सबके बीच सिल्क कहीं से भी परिपक्व, परित्यक्ता नारी नहीं लग रही थी. वो एक 18-20 साल की चंचल अल्हड़, नासमझ सी लड़की लग रही थी और उसी तरह का व्यहवार कर रही थी जिसको पता था उसके सामने वाला मर्द किसी भी पल उसको अपना बनाने के लिए कह सकता था.

सिल्क- तो मत जाइये … मेरे पास ही रहिये. मेरे से दूर मत रहिये.
कह कर मेरे उसके बीच का जो फासला था वो ख़त्म करके मुझसे सट कर बैठ गई. साथ ही मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में ले लिया.

सच कहूं तो सिल्क ने अपना निर्णय सुना दिया था. परिपक्व होने के कारण उसको पता था शायद मैं पहल ना करूं … पर यह भी वो जानती थी कि अगर उसने शह दी तो मैं कहने से भी नहीं हिचकूंगा.
मेरे हाथ की हथेली पसीने से भीगी थी. कम्पन उसके हाथों में भी था.

तभी सिल्क ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे और करीब आ गई. मैं उसके बदन की उठती खुशबू को महसूस कर सकता था. मेरे हाथ भी खुद बा खुद उसके कमर से लिपट गए.
उफ़ क्या मखमल सा अहसास था … शर्ट के ऊपर से भी कमर में जो मांस था वो बहुत गुन्दाज़ था.

मैंने उसको और करीब खींच लिया और काफी देर तक सिर्फ एक दूसरे के बदन की खुशबू में खोये रहे, एक दूसरे की धड़कनों को सुनते रहे.
और फिर हमारे होंठ आपस में मिल गए और सांसों की गर्मी एक उफान लाई. काफी पल वैसे ही गुजर गये. जब अलग हुए तो उसका चेहरा लाल था. सांसें हम दोनों की उखड़ी हुई थी और हो भी क्यों न … सालों बाद दोनों विपरीत लिंग के संपर्क में आ रहे थे.

फिर भी उसको टटोलने के लिए मैंने उसको बोला- सॉरी सिल्क, कुछ ज्यादा बेकाबू हो गया था आपके हुस्न को देख कर!
सिल्क- संदीप, आप पर बहुत विश्वास करती हूँ मैं … बस आप मेरा विश्वास मत तोड़ना. हम दोनों ही शायद बहुत कुछ चाहते हैं पर दोनों ही हिचक रहे हैं. पर आज आप मत रुको … आप अपने दिल की कर लो और शायद जो आपके दिल में है वही मेरे दिल में है.

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कह कर सिल्क ने मेरे होंठों से अपना होंठ जोड़ दिया और फिर एक लम्बा स्मूच!

और यह शुरुआत थी एक नए सफर की … एक नए शरीर के मिलन की!

मेरे हाथ उसके गुंदाज चूतड़ों या यह कहिये कि गांड पे आ गए उसको जोर से मसल दिया.
“अह्ह्ह …” सिल्क सिसक पड़ी.

मैं रुकने वाला नहीं था. चुम्बन और जिस्म की गर्मी ने कमरे का माहौल भी गर्म कर दिया. मेरे हाथ शर्ट के अंदर उसके जिस्म के पिछले अंग पीठ को सहलाने लगे. सिल्क के मुँह से जोर जोर से ईइ इशशश्श शश … अआआह्ह … ईइशश्श शश … अआआहह … की आवाजें निकलने लगी.
फिर और उसको गोदी में उठा कर बिस्तर की तरफ चल दिया सिल्क ने अपना मुँह मेरे चौड़ी छाती में छिपा लिया और बाहें मेरे गले में डाल दी. उसको प्यार से लिटा कर उसके ऊपर आ गया एक तरफ मेरे होंठ चुम्बन में व्यस्त थे वही मेरे हाथ शर्ट के बटन खोल रहे थे बटन खुलते ही लाल रंग की लेस वाली ब्रा सामने आ गई.

पीठ को सहलाते सहलाते मेरे हाथ उसकी ब्रा तक पहुंच गए. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप को पकड़ा और जोर से खींच के छोड़ दिया.
‘चट की आवाज़ के साथ सिल्क की दर्द से भरी कामुक आवाज़ भी सुनाई दी- आआह्ह्हह!
तब एक झटके में मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. ढीली ब्रा के ऊपर से ही उसके मांसल चूची अपनी हथेली में भर लिया.
सिल्क की सिसकारी निकली- अआहह … ईइइशश … अआआहहह!
सिल्क बेकाबू हो रही थी और मैं भी!

“संदीप जो भी करना हो जल्दी करो … मेरे से रुका नहीं जा रहा है.” कह कर सिल्क ने मेरे को लिटा के मेरे ऊपर बैठ गई.

इस समय सिल्क, आप कल्पना कर सकते हैं कि कितनी हसीं और सेक्सी लग रही होगी. शर्ट के बटन खुले हुए, ढीली ब्रा, बिखरे बाल, आँखों में लाली, लिपस्टिक तो मैं खा ही चुका था. वो मेरे लण्ड पर बैठ चुकी थी थोड़ा सा हिल के अपनी गांड की दरार में उसको फिट किया और झुक के मेरी शर्ट खोलने लगी.

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