दीदी ने चुदाई का जुगाड़ करवाया

बाहर आते ही मैंने उसको प्रपोज किया और उसको गुलाब का फूल दिया।
उसने फूल लिया मुझे हाँ कहा।

मैंने उसे तभी गले लगा लिया।
उसने कहा- हमें सब देख रहे हैं।
हम नॉर्मल हुए।

उसने कहा- घर चलते हैं।
रास्ते में वो मुझसे चिपक कर बैठी थी।

और फिर हम घर आ गए।

मैं अपने घर ना जाके उसके साथ ही दीदी के घर चला गया।
दीदी ने मुझसे पूछा- क्या हुआ? प्रपोज किया कि नहीं?
मैंने हाँ किया … पर कुछ खास नहीं!

दीदी बोली- तू घर जा और बाद में आ।
मैं अपने घर आ गया।

करीब एक घंटे बाद दीदी ने मुझे बुलाया.
दीदी ने कहा कि वो बाहर जा रही है और ज्योति घर पर अकेली ही है.
और दीदी ने मेरी तरफ देख कर आंख मार दी।
फिर दीदी बाहर चली गई।

अब घर में हम दोनों थे।
मैं अंदर गया तो ज्योति ने गाऊन पहना हुआ था।

ज्योति बोली- तुम बैठो में चाय बनती हूं।
मैंने कहा- अभी तो …
उसने कहा कि उसका चाय पीने का मन कर रहा है।

थोड़ी देर बाद वो चाय बना कर मेरे पास आकर बैठ गई.
मैंने उसे एक नजर देखा और हम दोनों चाय पीने लगे.

हम दोनों में एक अजीब सी कशिश चल रही थी.

इस बीच चाय खत्म हो गई और वो कप उठाकर रसोई में चली गई.
मैं बस उसे देख रहा था.

कुछ देर बाद वो वापस आ गई.
मैंने उसकी तरफ देखा और अपने मन की बात को आंखों से कहने की कोशिश करने लगा.

वो बोली- मैं तुमको किस करना चाहती हूँ … खड़े हो जाओ.
मैं उठ कर खड़ा हो गया और हम दोनों किस करने के लिए आगे बढ़े.

वो मेरे साथ लगभग चिपक गई. मैं उसके चुम्बन का इन्तजार कर रहा था.
तभी मैंने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

हम दोनों में से किसी को भी किस करना नहीं आता था.
जैसे तैसे हम एक दूसरे के होंठों को ही चूम रहे थे. हमारे दांत एक दूसरे से लग रहे थे।

इस बीच उसकी सांसें तेज चलने लगीं।

अब मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा।
वो भी गर्म हो चुकी थी।
इधर मेरा लन्ड तनकर पैंट के बाहर आने को कर रहा था।

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मैं दूसरा हाथ उसकी चूची पर रख कर सहलाने लगा और थोड़ा दबाने लगा।
वो कुछ नहीं बोली तो मैं ज्यादा जोर से दबाने लगा।

मैंने दूसरा हाथ भी अब उसकी चूची पर रख लिया और दबाने लगा।
जब मैंने दबाव बढ़ाया तो वो सिसकारी लेने लगी।

अब मैंने उसके गाल, नाक, कान, गर्दन को चूमना चालू किया.
वो आहें भर रही थी।

मैंने अपने हाथों से उसका गाऊन उतारना चालू किया।
तो उसने मेरे कान में कहा- बेड पर चलते हैं।

मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेड पर बैठा दिया.
बेड पर आते ही मैंने उसका गाऊन उतार दिया। अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

उसकी सफ़ेद ब्रा और पैंटी देख मैं तो पागल हो गया।
और उसने शरमा कर अपना मुंह ढक लिया।

अब मैंने अपने कपड़े खोले. मैं सिर्फ अंडरपैंट में था।

मैंने उसके हाथ पकड़कर खोले और उसे किस करने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी।

हम बेड पर लेट कर एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी पीठ और गांड को पैंटी के ऊपर से घूम रहा था; और दूसरा हाथ उसके चूचियों की दबा रहा था।

थोड़ी देर चूमने के बाद मैं उसकी एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा.
पहली बार मुझे किसी लड़की की चूची को मुंह में लेने का मौका मिला था.

अब मैंने ज्योति के पैंटी को नीचे करके उस की बुर पर हाथ रख दिया.
मैं अपने हाथ से ज्योति की बुर को सहलाने लगा। उसकी बुर पर हाथ फिराते हुए बहुत मजा मिल रहा था.
उसकी बुर को मैं तेज तेज मसलने लगा और वो कसमसाने लगी. फिर मैंने उसकी बुर में उंगली करनी शुरू की. ज्योति सिसकारियाँ भरने लगी.

फिर मैं उसकी बुर को चाटने लगा वो आहा .. उम्म्ह… अहाह… याह…. कर रही थी। उसकी बुर की खुशबू मुझे उत्तेजित कर रही थी., अब उसको रहा नहीं जा रहा था तो उसने कहा- अब डाल दो।

तो मैंने अपना लन्ड निकाल कर उस पर थोड़ी थूक लगाई और उसकी बुर के मुंह के पास लगा के ऊपर नीचे किया।
उसे थोड़ा दर्द हुआ।

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उसकी बुर एकदम टाइट थी और उसकी बुर से पानी निकल रहा था।
उससे मेरा सुपारा और चिकना हुआ।

अब मैंने लंड अंदर डालने की कोशिश की पर वो फिसल गया।

फिर मैंने तकिया उसकी गांड के नीचे लगाकर फिर लंड को बुर पर सेट किया और एक धक्का लगाया।
सिर्फ सुपारा ही अंदर गया और उसकी चीख निकली- आअह … आआह… बस्स… बस्शह .. प्लीज़… रुक जाओ.

वो छटपटाई तो मैं उसको पकड़ कर किस करने लगा। मैं उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मसलने लगा.

मैंने अपने लंड को वहीं पर रोक कर पहले ज्योति के दोनों चूचे कस कर दबाये.

कुछ देर के बाद जब उसको राहत महसूस हुई तो मैंने दूसरा झटका दिया अब मेरा लंड पूरा अंदर चला गया।
उसकी आंखों से आंसू आ गए।

मैं थोड़ा रुका और फिर लंड अंदर बाहर करने लगा.
अब उसको भी मजा आने लगा.

वो पागल हुई जा रही थीं और सिसकारियाँ लेती जा रही थीं- आ.. आह.. आइ ओह माँ.. आहा.. उम्म… अह… हाय… याह… अहह…. आ…
और मजे से अपनी कमर उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

मैं उसे किस करते हुए धक्के मार रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया मैंने रफ्तार और बढ़ाई, वह भी तड़प रही थी.
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूं.
तो बोली- हाँह मैं भी! करो … जल्दी … आह आअह ह!

फच्च फच्च की आवाज चल रही थी.
और मैंने एक बड़ी सी सांस ली और अपना सारा माल उसकी बुर में डाल दिया. उसकी बुर मैंने अपने वीर्य से भर दी.

वह हाँफ रही थी.

मैं भी इतना थक गया था कि उसी के ऊपर गिर गया और पांच मिनट तक हम लोग ऐसे ही पड़े रहे.
फिर जब थोड़ी सांस आई तो मैंने उससे पूछा- मजा आया?
वह बोली- बहुत!

अब हमने कपड़े पहने.
दीदी भी आने वाली थी तो हम बाहर आ गए।

थोड़ी देर बाद दीदी भी आ गई और मैं अपने घर आ गया।

उसके बाद हमें मौका ही नहीं मिला।
अब तो उसकी शादी भी हो गई है।

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